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    पानी को तरस रहे यहां के लोग, खराब स्ट्रीट लाइट, टूटी नाली से मुसीबत

    By BhanuEdited By:
    Updated: Wed, 02 Jan 2019 12:29 PM (IST)

    चंद्रबनी खालसा, मोहब्बेवाला में पीने के पानी का संकट बना है। यहां विभाग मनमाफिक तरीके से पानी की आपूर्ति कर रहा हैं। यहां गंदगी, खराब स्ट्रीट लाइटें और टूटी नाली भी बड़ी समस्या है।

    पानी को तरस रहे यहां के लोग, खराब स्ट्रीट लाइट, टूटी नाली से मुसीबत

    देहरादून, जेएनएन। चंद्रबनी खालसा, मोहब्बेवाला में पीने के पानी का संकट बना हुआ है। यहां विभाग मनमाफिक तरीके से पानी की आपूर्ति कर रहा हैं। आलम यह है कि बहुत ही कम मात्रा में पानी लोगों के घरों तक पहुंच रहा है और वो भी इतना गंदा कि यह पीने योग नहीं है। पहली बार नगर निगम में शामिल होने के बावजूद यहां गंदगी, खराब स्ट्रीट लाइटें और टूटी नाली भी बड़ी समस्या है।

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    सहारनपुर रोड से लगे चंद्रबनी खालसा (मोहब्बेवाला) की आबादी तो दिनोंदिन बढ़ रही हैं, लेकिन सुविधाओं में कोई सुधार नहीं हो रहा है। हालांकि पंचायत से नगर निगम में शामिल हुए क्षेत्र के लोगों को विकास की उम्मीदें जगी हैं। 

    क्षेत्र में सबसे बड़ी समस्या पीने के पानी की है। यहां विभाग मनमाफिक तरीके से कभी आधे घंटे, कभी एक घंटे तो कभी सुबह, दोपहर और कभी शाम को पानी की आपूर्ति करता है। उसमें भी प्रेशर इतना कम है कि लोगों को ग्राउंड फ्लोर पर भी पंप लगाकर पानी खींचना पड़ता है। 

    इतना ही नहीं पानी में मिट्टी व रेत आने से लोगों को ज्यादातर टैंकरों के सहारे ही रहना पड़ता है। इसी तरह चंद्रबनी, खालसा और इससे लगी कॉलोनी के रास्तों पर गंदगी के ढेर लगे हुए हैं। 

    कई जगह नाली नहीं तो कुछ जगह नालियां टूटी-फूटी हैं। इससे बरसात के सीजन में जलभराव की भी स्थिति बनी रहती है। स्ट्रीट लाइटें कुछ जगह लगी हैं, जो कभी-कभार जलती हैं। यही स्थिति कूड़ा उठाने की भी है। कूड़ा लोग इधर-उधर फेंककर प्रदूषण फैला रहे हैं। हरे-भरे जंगल चंद्रबनी और मोहब्बेवाला की सुंदरता पर चार चांद लगाते हैं, लेकिन गंदगी और अव्यवस्थाएं उस पर उतना ही दाग लगा रही हैं।

    पानी की टंकी पर चल रहा विवाद

    चंद्रबनी खालसा में पानी की समस्या दूर करने के लिए ढाई करोड़ की लागत से पानी की टंकी बनाई जा रही है। टंकी का काम लगभग पूरा हो चुका है, लेकिन विवाद के चलते पिछले दो माह से काम बंद पड़ा हुआ है। जबकि टंकी में सिर्फ रंगाई-पुताई और पानी की आपूर्ति होना बाकी है। विभागों के बीच चल रहे विवाद से योजना खटाई में पड़ी है। इस टंकी से पानी की आपूर्ति होने के बाद समस्या काफी हद तक दूर हो जाएगी।

    बंदरों के आतंक से लोग पेरशान

    क्षेत्र में बंदरों के आतंक से लोग परेशान हैं। घर और दुकानों में रखे सामान को बंदर नुकसान पहुंचा रहे हैं। उन्हें भगाने पर वह बच्चों और बड़ों पर भी झपट रहे हैं। मसूरी और दूसरी जगह से बंदर पकड़ कर वन विभाग यहां छोड़ रहे हैं। दिनोंदिन बंदरों के आतंक से लोग खासे परेशान हैं।

    स्थानीय लोगों का तर्क 

    खालसा रोड निवासी बीपी बड़थ्वाल के अनुसार निकासी की व्यवस्था न होने से बरसात में सड़क और घरों में पानी घुस जाता है। कूड़ा उठाने की कोई व्यवस्था नहीं है। 

    चंद्रबनी खालसा निवासी सीबी मल्ल के मुताबिक पानी कभी-कभार आता है। जिससे पीने के पानी की बड़ी समस्या रहती है। स्ट्रीट लाइटें न जलने से अंधेरे में आवाजाही में दिक्कत आती है। 

    खालसा रोड निवासी अमर गुरुंग बताते हैं कि पीने का पानी बेटाइम आता है। बिना पंप से पानी टंकी तक नहीं पहुंचता है। प्रेशर कम होने की समस्या से लोग परेशान हैं। 

    चंद्रबनी निवासी विशाल थापा के अनुसार सबसे बड़ी समस्या बंदरों का आतंक है। घरों में सामान उठाने के साथ ही बंदर अब हमला करने लगे हैं। इस दिशा में सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं। 

    मोहब्बेवाला निवासी पवन के मुताबिक सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण चल रहा है। बच्चों के लिए कोई पार्क नहीं है। इससे बच्चे घरों की छतों में खेलने को मजबूर हैं। 

    चंद्रबनी खालसा निवासी राजेश रावत का कहना है कि वन विभाग दूसरे जगहों से बंदर पकड़ कर यहां छोड़ रहा है। इससे बंदरों के आतंक से घरों में अंदर अकेले रहना मुश्किल हो गया है। 

    मोहब्बेवाला निवासी बसंती बोहरा करती हैं कि आसपास खाली जमीन पर्याप्त है। लेकिन पार्क के नाम पर कोई योजना नहीं है। बच्चों को खेलकूद में परेशानी उठानी पड़ती है।

    चंद्रबनी रोड निवासी कमला विष्ट के अनुसार क्षेत्र में खाली पड़ी जमीनों पर भू-माफिया गिद्द दृष्टि लगाए हुए हैं। कई जमीनों पर कब्जा कर लिया गया है। प्रशासन कार्रवाई नहीं कर रहा है।

    चंद्रबनी खालसा निवासी लीला रावत के मुताबिक घरों में कम पानी और उसमें मिट्टी और रेत आ रही है। इससे पीने के पानी का बड़ा संकट बना हुआ है। 

    मोहब्बेवाला निवासी रश्मि रावत का कहना है कि कूड़ेदान और कूड़े उठाने की कोई व्यवस्था नहीं है। लोग इधर-उधर कूड़ा फेंक रहे हैं। इससे पर्यावरण दूषित हो रहा है। 

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