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    उदास हैं उत्तराखंड के पहाड़ों पर बसे आदर्श गांव

    By sunil negiEdited By:
    Updated: Tue, 16 Aug 2016 07:30 AM (IST)

    हिमालय की गोद में बसे पर्वतीय प्रदेश उत्तराखंड के आदर्श गांव उदास हैं। इन ग्रामों में विकास की योजनाएं परवान चढ़ने को तरस रही हैं।

    देहरादून, [जेएनएन]: उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार जैसे मैदानी और बड़ी आबादी वाले रायों में सांसद आदर्श ग्राम योजना का हाल देखने के बाद हमने झारखंड के पठारों पर गोद लिए कुछ गांवों का भी मुआयना किया। आइए, अब हिमालय की गोद में बसे पर्वतीय प्रदेश उत्तराखंड के आदर्श गांव चलकर देखते हैं कि उन्हें गोद लेने सांसदों ने उनकी कितनी सुध ली है।

    उत्तराखंड में लोकसभा के पांच सांसद हैं और ये पांचों भाजपा के हैं। इसी प्रकार प्रदेश से रायसभा के तीनों सदस्य कांग्रेस के हैं। इन गांवों का हाल देखकर मोटे तौर पर यही निष्कर्ष सामने आता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस महत्वाकांक्षी योजना को कम से कम विपक्षी कांग्रेस के सांसदों ने तो कोई खास तवजो नहीं दी है। भाजपा के सांसद अपेक्षाकृत सक्रिय जरूर हैं और इनके चयनित गांवों में कुछ कामकाज भी हुआ है। फिर भी इन्हें आदर्श तो कतई नहीं कहा जा सकता।

    पौड़ी गढ़वाल के सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री भुवनचंद्र खंडूड़ी के चयनित देवली भणीग्राम में केदारनाथ आपदा की जबरदस्त मार पड़ी थी। यहां कई काम हुए हैं। फिर भी इस गांव के सामने अपने पैरों पर खड़ा होने की चुनौती अभी कायम है। नैनीताल के सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी ने ऊधमसिंहनगर के सरपुड़ा गांव का चयन किया है। इसका आदर्श ख्वाब भी अभी अधूरा है। हम इन दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों के गांवों का हाल अलग से भी देखेंगे।

    एक अन्य पूर्व मुख्यमंत्री और हरिद्वार के मौजूदा सांसद रमेश पोखरियाल निशंक के आदर्श गांव गोवर्धनपुर में भी स्वास्थ्य, बिजली, पानी और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं में बेहतरी की दरकार है। इसी प्रकार टिहरी की सांसद महारानी माला रायलक्ष्मी शाह का गोद लिया गांव बौन हो या अल्मोड़ा सांसद और केंद्रीय कपड़ा रायमंत्री अजय टम्टा का चयनित गांव सूपी, इन तमाम आदर्श ग्रामों में विकास की योजनाएं परवान चढ़ने को तरस रही हैं। अजय टम्टा प्रदेश सरकार पर असहयोग का आरोप लगाते हैं।

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    दूसरी ओर, प्रदेश से कांग्रेस के राज्यसभा सांसद महेंद्र सिंह माहरा, सिने अभिनेता राज बब्बर और प्रदीप टम्टा प्रधानमंत्री मोदी की इस योजना से खिंचे-खिंचे से दिखाई देते हैं। माहरा ने चंपावत जिले के रौलमेल गांव, जबकि राजबब्बर ने चमोली के लामबगड़ गांव को गोद लिया है। दोनों की स्थिति दयनीय है। राज बब्बर ने तो अब तक अपने गांव का रुख ही नहीं किया है।

    उधर, बीते जून माह में रायसभा पहुंचे प्रदीप टम्टा ने तो अभी तक आदर्श गांव का चयन ही नहीं किया है। सांसद रमेश पोखरियाल निशंक के आदर्श गांव गोवर्धनपुर की हालत बयां करती तस्वीर। अल्मोड़ा के सांसद अजय टम्टा के आदर्श गांव सूपी को जोड़ने वाली सड़क बदहाल है। राज्यसभा सांसद महेंद्र सिंह माहरा के गोद लिए गांव रौलमेल का टूटा हुआ संपर्क मार्ग।

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    आदर्श ग्राम योजना में विकास के मामले में गोवर्धनपुर देश में सातवें स्थान पर है। केंद्र ने इसके विकास के लिए 25 करोड़ रुपये भी दिए हैं। काफी काम हुए हैं। कुछ चल रहे हैं।
    -रमेश पोखरियाल निशंक, सांसद, हरिद्वार

    बौन गांव में रास्ते, नहर, नाली का काम विभिन्न योजनाओं के तहत चल रहा है। गांव में सुरक्षा दीवार व रास्ते का पांच लाख रुपये का काम सांसद निधि से कराया है।
    -माला रायलक्ष्मी शाह, सांसद, टिहरी

    गांव के लिए कुछ बड़ी योजनाएं हैं। उनके पूरा होने में थोड़ा समय लगेगा। कुछ कार्यों के लिए धन जारी किया गया है, लेकिन प्रदेश सरकार की बेरुखी से अड़ंगा लग रहा है।
    -अजय टम्टा, सांसद, अल्मोड़ा

    आदर्श गांव को पूरी तरह विकसित बनाने के निर्देश दिए गए हैं। जल्द ही कार्यों की प्रगति की रिपोर्ट ली जाएगी। यदि स्थिति संतोषजनक नहीं हुई तो तो जिम्मेदारों पर कार्रवाई होगी।
    -महेंद्र सिंह माहरा, रायसभा सदस्य

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