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    Delhi-Dehradun Expressway पर एलिवेटेड रोड के खंभों की एक्‍स्‍ट्रा सेफ्टी, होगा भारी बारिश और बाढ़ से बचाव

    Updated: Wed, 24 Sep 2025 07:33 PM (IST)

    दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे पर एलिवेटेड रोड के खंभों को एनएचएआई अतिरिक्त सुरक्षा दे रहा है। भारी बारिश और बाढ़ से बचाव के लिए खंभों पर आठ मीटर तक जैकेटिंग की जाएगी। गणेशपुर से डाटकाली तक के खंभे सुरक्षित हैं लेकिन भविष्य में सुरक्षा के लिए यह कदम उठाया जा रहा है। आपरेशन सिंदूर के दौरान सेना के वाहनों से एलिवेटेड रोड का सफल परीक्षण भी हुआ था।

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    एक्सप्रेसवे की एलिवेटेड रोड के पिलर पर आठ मीटर तक का सुरक्षा कवच। प्रतीकात्‍मक

    जागरण संवाददाता, देहरादून। दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे के तहत बनी 12 किलोमीटर एलिवेटेड रोड के पिलर को अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान की जा रही है। इसके लिए पिलरों के निचले भाग पर जरूरत के मुताबिक आठ मीटर तक की ऊंचाई पर जैकेटिंग के रूप से कवच पहनाए जाएंगे। ताकि भारी वर्षा और बाढ़ के दौरान बड़े बोल्डर पिलर्स को सीधे टक्कर न मार सकें।

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    एनएचएआइ के अधिकारियों के अनुसार, गणेशपुर से डाटकाली तक बनाई गई एलिवेटेड रोड के पिलर पूरी तरह सुरक्षित हैं। लेकिन, जिस तरह से इस मानसून सीजन में 15 सितंबर की रात को अतिवृष्टि हुई, उसने बीते 100 वर्षों का रिकार्ड तोड़ दिया है।

    इस दौरान देहरादून की सभी नदियां उफान पर रहीं। नदियों के बाढ़ की भयानक स्थिति में बड़े-बड़े पेड़ और बोल्डर भी बहकर आए। इस स्थिति में भी एलिवेटेड रोड के पिलर सुरक्षित खड़े रहे। हालांकि, इस तरह की घटनाओं की भविष्य में भी पुनरावृत्ति हो सकती है।

    लिहाजा, पिलर्स को अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करने का निर्णय लिया गया। पानी के सीधे बहाव के संपर्क वाले 24 से 30 पिलर्स का चयन करते हुए उन पर जरूरत के अनुसार दो, चार और आठ मीटर तक की ऊंचाई पर जैकेटिंग की जाएगी।

    पिलर पर ड्रिल कर सरिया डाला जाएगा और फिर सरियों का जाल बाहर से लगा दिया जाएगा। यह जाल इस तरह होगा, ताकि बोल्डर के हिट करने के दौरान वह सरिया के जाल से टकराए। ऐसे में उसका बल सरियों के जाल तक सीमित रहेगा। चूंकि, अभी परियोजना का लोकार्पण नहीं किया गया है और यह ठेकेदार के ही अधीन है। ऐसे में इस काम में कोई अतिरिक्त खर्च भी वहन नहीं किया जाएगा।

    आपरेशन सिंदूर के दौरान हुआ एलिवेटेड रोड की क्षमता का ट्रायल

    भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) के परियोजना निदेशक पंकज मौर्य के अनुसार, आपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सेना युद्ध के अभ्यास में जुटी थी। उस दौरान इस पुल से सेना के करीब 100 भारी वाहनों का बेड़ा एकसाथ इससे गुजरा था। इतनी बड़ी संख्या में एक साथ वाहन पहली बार एलिवेटेड रोड से गुजारे गए। सेना के वाहनों के बहाने परियोजना की सुरक्षा का सफल ट्रायल भी कर लिया गया था।

    वर्तमान में एलिवेटेड रोड से ही यातायात का संचालन

    हालिया आपदा के कारण दिल्ली-देहरादून राजमार्ग के एक हिस्सा मोहंड के पास धंस गया था। जिसके बाद से फिलहाल राजमार्ग के यातायात का संचालन एलिवेटेड रोड से ही कराया जा रहा है।