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    उत्तराखंड में जंगल की सीमा लांघ रहे बाघ लोगों को बना रहे शिकार, केंद्र ने लांच की सुरक्षा योजना

    Updated: Mon, 06 Oct 2025 10:05 PM (IST)

    देहरादून में बाघों के बढ़ते हमलों को देखते हुए केंद्र सरकार ने संरक्षित क्षेत्रों से बाहर बाघों की सुरक्षा योजना शुरू की है। केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने वन्यजीव सप्ताह 2025 के दौरान इस योजना का शुभारंभ किया। इसका उद्देश्य बाघों को आबादी वाले क्षेत्रों से दूर रखना और मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करना है। इसके साथ ही पांच नई परियोजनाओं की घोषणा की गई।

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    जंगल की सीमा लांघने वाले बाघों के लिए केंद्र ने सुरक्षा योजना की लांच।

    जागरण संवाददाता, देहरादून। अब बाघ केवल जंगलों के राजा नहीं रह गए हैं, वे जंगलों की सीमाएं पार कर खेतों, गांवों और बस्तियों तक पहुंचने लगे हैं। यह बदलाव वन्यजीव विशेषज्ञों और ग्रामीणों दोनों के लिए चिंता का विषय बन गया है। इससे बाघों के हमले भी बढ़े हैं। लिहाजा, बाघों की बढ़ती धमक को देखते हुए केंद्र सरकार ने नई राष्ट्रीय पहल ‘संरक्षित क्षेत्रों से बाहर बाघों की सुरक्षा योजना’ की शुरुआत की।

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    इस योजना का शुभारंभ केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने वन्यजीव सप्ताह 2025 के उद्घाटन अवसर पर भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) देहरादून में किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि भारत में बाघों की संख्या बढ़ना गर्व की बात है, परंतु यह भी सच्चाई है कि अब कई बाघ टाइगर रिजर्व से बाहर निकलकर आबादी की ओर बढ़ रहे हैं।

    यह प्रवृत्ति इंसानों और बाघों दोनों के लिए खतरा बन सकती है। लिहाजा, नई परियोजना के तहत इस दायरे को नियंत्रण में रखा जाएगा। बाघों की गतिविधियों की त्वरित निगरानी प्रणाली स्थापित की जाएगी। ग्रामीण क्षेत्रों में सुरक्षा पट्टी और जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे।

    बाघों के आवागमन मार्ग (कॉरिडोर) को कानूनी सुरक्षा प्रदान की जाएगी। त्वरित राहत और पुनर्वास दलों को सुदृढ़ किया जाएगा, ताकि संघर्ष की स्थिति में नुकसान न्यूनतम हो। इसके अलावा उन्होंने कहा कि संरक्षण का अर्थ अब केवल जंगलों की सुरक्षा नहीं है।

    अब हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि इंसान और वन्यजीव दोनों सुरक्षित रहें। उन्होंने कहा कि भारत ने बाघों की संख्या बढ़ाने में विश्व रिकार्ड कायम किया है और अब लक्ष्य मनुष्य और बाघ दोनों को समान रूप से सुरक्षित रखना है।

    प्रकृति और मानव का संतुलन पांच परियोजनाओं पर काम

    केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने पांच नई परियोजनाओं की घोषणा की, जो भारत की जैव विविधता को सशक्त करने के लिए बनाई गई हैं।

    ये हैं परियोजनाएं

    डॉल्फिन परियोजना (द्वितीय चरण) नदियों और समुद्रों में रहने वाली डॉल्फिन और अन्य जलचर स्तनधारियों के संरक्षण को नई कार्ययोजना।

    स्लाथ भालू परियोजना: भालू प्रजातियों की सुरक्षा और उनके प्राकृतिक आवास की रक्षा के लिए समग्र योजना।

    घड़ियाल परियोजना: नदियों में घड़ियालों के प्रजनन और पुनर्वास को बढ़ावा देने के लिए विशेष कार्यक्रम।

    मानव-वन्यजीव संघर्ष प्रबंधन उत्कृष्टता केंद्र (सैकों, कोयंबटूर): संघर्ष कम करने के लिए अनुसंधान, नीति निर्माण और क्षेत्रीय समाधान पर केंद्रित संस्थान।

    संरक्षित क्षेत्रों से बाहर बाघों की सुरक्षा परियोजना: बढ़ते मानव-बाघ संघर्ष को नियंत्रित करने की दिशा में ठोस कदम।

    हैकाथान बना आकर्षण का केंद्र

    कार्यक्रम में आयोजित राष्ट्रीय हैकाथान आन मानव-वन्यजीव सह-अस्तित्व में देशभर से 120 टीमों के 420 युवाओं ने भाग लिया। युवाओं ने अपने विचारों और तकनीकी नवाचारों के माध्यम से यह दिखाया कि आधुनिक तकनीक से भी वन्यजीव संघर्षों को कम किया जा सकता है।

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