दून अस्पताल में नई व्यवस्था लागू, फ्री-बिलिंग का अनुमोदन सिर्फ चिकित्सा अधीक्षक या उपचिकित्सा अधीक्षक करेंगे
दून अस्पताल में एक नई प्रणाली लागू की गई है, जिसके तहत मुफ्त बिलिंग का अनुमोदन अब केवल चिकित्सा अधीक्षक या उप चिकित्सा अधीक्षक द्वारा ही किया जाएगा। यह निर्णय अस्पताल के कामकाज को सुव्यवस्थित करने और जवाबदेही बढ़ाने के उद्देश्य से लिया गया है।

दून अस्पताल की ओपीडी में लगी मरीजों की भीड़। जागरण आर्काइव
जागरण संवाददाता, देहरादून : दून अस्पताल प्रशासन ने मरीजों को दी जाने वाली फ्री-बिलिंग सेवा की प्रक्रिया में बदलाव करते हुए नई व्यवस्था लागू कर दी है। इसके तहत फ्री-बिलिंग की स्वीकृति का अधिकार अब केवल चिकित्सा अधीक्षक और उप चिकित्सा अधीक्षक के पास रहेगा। यह व्यवस्था शुक्रवार से प्रभावी होगी।
अस्पताल प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि फ्री-बिलिंग से संबंधित पूर्व में जारी सभी आदेश निरस्त माने जाएंगे। नई व्यवस्था के तहत इन दोनों अधिकारियों की अनुपस्थिति में केवल उनके द्वारा नामित अधिकारी ही फ्री-बिलिंग को अनुमोदित कर सकेंगे।
अस्पताल प्रशसान ने यह भी सुनिश्चित किया है कि आपात स्थितियों में मरीजों को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो, इसलिए लावारिस मरीजों, सड़क दुर्घटना में घायलों तथा आग से झुलसे मरीजों के मामलों में पूर्व व्यवस्था जैसी ही रहेगी।
ऐसे मामलों में इमरजेंसी विभाग के आपातकालीन चिकित्सा अधिकारी (ईएमओ) को फ्री-बिलिंग की स्वीकृति देने का अधिकार पहले की तरह जारी रहेगा। यह इसलिए किया गया है ताकि आपात स्थिति में उपचार प्रक्रिया में देरी न हो।
चिकित्सा अधीक्षक डा. आरएस बिष्ट के अनुसार, यह कदम फ्री-बिलिंग व्यवस्था में पारदर्शिता, नियंत्रण और जवाबदेही सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
उनका कहना है कि फ्री-बिलिंग सुविधा का लाभ केवल सही और वास्तविक पात्रों तक पहुंचे, इसके लिए अनुमोदन प्रक्रिया से बदलाव आवश्यक था। सभी विभागाध्यक्षों और संबंधित इकाइयों को आदेश का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि आदेश की अवहेलना या लापरवाही की स्थिति में संबंधित उत्तरदायित्व निर्धारित किया जाएगा।
मरीजों का बढ़ेगा इंतजार, लगानी पड़ेगी दौड़
दून अस्पताल की बिल्डिंग अलग-अलग हिस्सों में बंटी हुई है। ओपीडी, आइपीडी व इमरजेंसी बिल्डिंग में काफी फासला है। फिलहाल ओपीडी में आने वाले मरीजों को फ्री बिलिंग की सुविधा देने के लिए अलग-अलग चिकित्सकों के दिन नियत किए गए हैं। पर अब यह अधिकार चिकित्सा अधीक्षक व उप चिकित्सा अधीक्षक के पास है।
ये अधिकारी प्रशासनिक कार्यों की व्यस्तता के कारण कई बार उपलब्ध नहीं होते। ऐसे में मरीजों को दिक्कत उठानी पड़ सकती है। ईएमओ को अधिकार दिए गए हैं, पर उसके लिए मरीज को इमरजेंसी की दौड़ लगानी पड़ेगी। ओपीडी के मरीज की फ्री बिलिंग ईएमओ सहज भाव से करेंगे, इस पर भी संशय है।
बता दें कि फ्री बिलिंग की सुविधा स्वतंत्रता सेनानियों के आश्रित, राज्य आंदोलनकारी, मान्यता प्राप्त पत्रकार सहित अन्य कुछ लोगों को मिलती है।
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