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उत्‍तराखंड में क्रिकेट के नए युग की हुई शुरुआत, पढ़िए पूरी खबर

बीसीसीआइ ने क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड को उत्तराखंड में क्रिकेट गतिविधियों के संचालन का जिम्मा सौंप तस्वीर साफ कर दी है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Wed, 14 Aug 2019 02:00 PM (IST)Updated: Sat, 17 Aug 2019 04:52 PM (IST)
उत्‍तराखंड में क्रिकेट के नए युग की हुई शुरुआत, पढ़िए पूरी खबर
उत्‍तराखंड में क्रिकेट के नए युग की हुई शुरुआत, पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, निशांत चौधरी। सालों की जद्दोजहद के बाद उत्तराखंड की मान्यता मिली और प्रदेश की चार एसोएिशन के बीच चल रही खींचतान पर भी पूरी तरह ब्रेक लग गया। बीसीसीआइ ने 'क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड' को उत्तराखंड में क्रिकेट गतिविधियों के संचालन का जिम्मा सौंप तस्वीर साफ कर दी है। राज्य को बीसीसीआइ से पूर्ण मान्यता मिलने से यहां के खिलाड़ि‍यों के लिए अपार संभावनाएं पैदा होंगीं। राज्य के खिलाड़ी बीसीसीआइ के घरेलू सत्र के अलावा भी अन्य प्रतिष्ठित टूर्नामेंटों में अपने राज्य का प्रतिनिधित्व कर सकेंगे। मान्यता मिलने से सिर्फ खिलाडिय़ों को ही नहीं, बल्कि राज्य के लोकल स्पोर्टिंग स्टॉफ को भी बढ़वा मिलेगा। अब सूबे में आयोजित होने वाले बीसीसीआइ के मैचों में भी राज्य की तकनीकी टीम ही क्रिकेट गतिविधियों का संचालन करेगी।

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सूबे के खिलाड़ियों और क्रिकेट प्रेमियों की खुशी सातवें आसमान पर

उत्तराखंड को बीसीसीआइ से मान्यता मिलने के बाद उत्तराखंड के खिलाड़ियों और क्रिकेट प्रेमियों में खुशी की लहर है और हो भी क्यों न, वर्षों का इंतजार जो खत्म हो गया है। साथ ही उत्तराखंड में क्रिकेट के नई ऊंचाइयों पर पहुंचने की उम्मीदों को भी पंख लग गए हैं। सर्वविदित है कि उत्तराखंड में प्रतिभा की कमी नहीं है और बात अगर क्रिकेट की करें तो समय-समय पर उत्तराखंड मूल के खिलाड़ियों ने देश ही नहीं विदेशों में भी अपने हुनर का लोहा मनवाया है। अब जब कि मान्यता मिल गई है तो उम्मीद है कि राज्य के प्रतिभावान खिलाड़ी अन्य राज्यों का रुख करने की बजाय उत्तराखंड से अपना नाम बनाएंगे और बड़े फलक पर राज्य का भी नाम रोशन करेंगे। 

बोले खिलाड़ी 

  • दीपक धपोला (खिलाड़ी) का कहना है कि मान्यता मिलने से राज्य के खिलाड़ि‍यों को बड़ा फायदा होगा, अब खिलाड़ियों के लिए ऑफ सीजन कैंप, स्थायी कोच, स्थायी फिजियो, स्थायी ट्रेनर समेत अन्य सुविधाएं मिल सकेंगी। जिसकी एक खिलाड़ी को सबसे ज्यादा जरूरत होती है।
  • करनवीर कौशल (खिलाड़ी) का कहना है कि आज का दिन उत्तराखंड के खिलाड़ियों के लिए स्वर्णिम दिन है, मान्यता मिलने से खिलाड़ियों के पास सारी सूचनाएं पूर्व से ही रहेंगी। जिससे वह चुनौतियों के लिए तैयार रहेंगे। उत्तराखंड का मान्यता मिलना लगभग पलायन को खत्म कर देगा।
  • आर्यन जुयाल (खिलाड़ी) का कहना है कि उत्तराखंड क्रिकेट के लिए यह बड़ी सौगात है, राज्य को मान्यता मिलने से खिलाड़ियों की संख्या तो बढ़ेगी ही, उनका हुनर भी निखरेगा। अब अपने राज्य का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमक बिखेरेगा।
  • कुनाल चंदेला (खिलाड़ी) का कहना है कि उत्तराखंड को मान्यता मिलना राज्य के खिलाड़ियों के लिए सम्मान की बात है। उत्तराखंड में क्रिकेट के शानदार खिलाड़ी है, अब खिलाड़ियों के साथ सपोर्टिंग स्टॉफ को भी मजबूती मिलेगी।
  • सन्नी राणा (खिलाड़ी) का कहना है कि मान्यता मिलने से खिलाड़ियों को अब वो सुविधाएं मिलेंगी, जो यूसीसीसी के समय पर नहीं मिल पाईं। राज्य के पास पूर्ण मान्यता होने से खिलाड़ि‍यों का मनोबल भी बढ़ेगा। अब खिलाड़ि‍यों की सुविधानुसार फिटनेस कैंप समेत अन्य आयोजन होंगे।
  • आदित्य चक्रवर्ती (खिलाड़ी) का कहना है कि बीसीसीआइ से उत्तराखंड को मान्यता मिलना एक युवा खिलाड़ी का सपना पूरा होना जैसा है, अब युवा खिलाड़ि‍यों को भी राज्य से ही उचित प्लेटफार्म मिलेगा। खिलाडिय़ों को अन्य राज्यों का रुख नहीं करना पड़ेगा।
  • धनराज शर्मा (खिलाड़ी) का कहना है कि करीब 19 साल बाद उत्तराखंड को बीसीसीआइ से मान्यता मिली है, इसका राज्य के खिलाड़ि‍यों को भरपूर फायदा उठाना चाहिए। आज राज्य के क्रिकेटरों के लिए खुशी का दिन है, इस दिन का हमें लंबे समय से इंतजार था।
  • मनोज रावत (बीसीसीआइ लेवल टू कोच) का कहना है कि पीसी वर्मा की मेहनत रंग लाई, इसके लिए वह बधाई के पात्र हैं। 19 साल के बाद उत्तराखंड को बीसीसीआइ से मान्यता मिली है, इस खुशी का एहसास सिर्फ एक क्रिकेटर ही कर सकता है। अब राज्य के खिलाड़ि‍यों का भविष्य उज्ज्वल है।
  • रविंद्र नेगी (बीसीसीआइ लेवल वन कोच) का कहना है कि बीसीसीआइ से राज्य को क्रिकेट संचालन की पूर्ण मान्यता मिलने की खबर सुनकर बेहद खुशी हुई। अब राज्य के खिलाड़ियों को उच्च स्तर की सुविधाओं के साथ प्रशिक्षण भी मिलेगा। उत्तराखंड के खिलाड़ियों को बधाई।
  • दीपक मेहरा (बीसीसीआइ लेवल वन कोच) का कहना है कि एक खिलाड़ी व कोच होने के नाते इस खुशी के एहसास को बयां नहीं कर पा रहा हूं। आज का दिन उत्तराखंड क्रिकेट के स्वर्णिम पन्नों में दर्ज होगा। अब उत्तराखंड से क्रिकेट खिलाड़ियों का पलायन जड़ से खत्म होगा।
  • देवेंद्र सती (चेयरमैन यूसीएल) का कहना है कि उत्तराखंड क्रिकेट को मान्यता का श्रेय पीसी वर्मा को जाता है, उनकी मेहनत आज रंग लाई है, सीएयू के साथ उत्तराखंड के खिलाड़ियों को बधाई। अब उत्तराखंड के प्रदर्शन में और सुधार होगा।
  • अमित पांडे (पूर्व खिलाड़ी) का कहना है कि उत्तराखंड क्रिकेट इतिहास के लिए सुनहरा दिन, एक खिलाड़ी होने के नाते पिछले 18 साल से इस दिन का इंतजार था, सभी प्रदेशवासियों को, खेल मंत्री को, पीसी वर्मा व पूरी सीएयू टीम को बधाई। बीसीसीआइ ने लगभग एक साल से उत्तराखंड क्रिकेट को आगे लाने के लिए जो प्रयत्न किए, उसका परिणाम सामने है।
  • महिम वर्मा (संयुक्त सचिव, क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड) का कहना है कि विनोद राय, मुख्य मंत्री, खेल मंत्री, रत्नाकर शेट्टी, पूरी बीसीसीआइ टीम को धन्यवाद। उन्होंने हमारे काम को तवज्जो देकर हमें इस लायक समझा। राज्य में निष्पक्ष क्रिकेट का संचालन करना हमारा उत्तरदायित्व होगा। राज्य के खिलाड़ि‍यों को भी बधाई।
  •  धीरज खरे (कोषाध्यक्ष, जिला क्रिकेट एसोसिएशन, देहरादून) का कहना है कि पीसी वर्मा की मेहनत रंग लाई है, राज्य के खिलाडिय़ों को बधाई। अब उत्तराखंड के खिलाड़ी एक अलग फलक पर अपनी पहचान बनाने के लिए सक्षम हो गए हैं।
  • सुनील चौहान (बीसीसीआइ लेवल वन एंपायर) का कहना है कि उत्तराखंड के क्रिकेटरों को बधाई। राज्य को पूर्ण मान्यता मिलने से तकनीकि स्टॉफ को बढ़ावा मिलेगा। अब यहां होने वाले टूर्नामेंटों में राज्य का लोकल स्टाफ कार्य करेगा।

सरकारी ग्रांट ने खोली सीएयू की मान्यता की राह

क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड (सीएयू) को बीसीसीआइ से मान्यता दिलाने में एसोसिएशन के राजस्व व सरकार से मिलने वाली ग्रांट का अहम योगदान रहा। जिसके चलते प्रशासकों की समिति को सीएयू के नाम पर मुहर लगाने में संकोच नहीं किया।

सीएयू उत्तराखंड की एकमात्र एसोसिएशन है, जिसे राज्य में क्रिकेट संचालन के लिए राज्य सरकार से ग्रांट मिलता रहा है। इसके अलावा अन्य किसी भी एसोसिएशन को राज्य सरकार की ओर से ग्रांट उपलब्ध नहीं कराया गया। जबकि सीएयू का राजस्व भी अन्य एसोसिएशन से कहीं ज्यादा है। बीसीसीआइ की ओर से जारी मान्यता की मेल के अनुसार उत्तरांचल क्रिकेट एसोसिएशन और क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड ने वर्ष 2005 से 2018 तक अपने प्रतिवर्ष राजस्व का ब्यौरा दिया है। जिसमें उत्तरांचल क्रिकेट एसोसिएशन का कुल राजस्व 10,84,028 रहा है। जबकि क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड का राजस्व इससे 96.48 फीसद ज्यादा 2,70,64,484 है। इसके अलावा बीसीसीआइ ने स्पष्ट किया है कि उत्तराखंड से सिर्फ क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड ने सरकारी ग्रांट का ब्यौरा उपलब्ध कराया है। जबकि अन्य एसोसिएशन ने प्रायोजकों से मिलने वाला ग्रांट उपलब्ध कराया है। इस पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा चयनित प्रशासकों की समिति ने क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड को राज्य में क्रिकेट संचालन के लिए बेहतर समझते हुए उन्हें पूर्ण मान्यता देने का निर्णय लिया है।

राज्य के खिलाडिय़ों को सुलभ होगा अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम

उत्तराखंड को बीसीसीआइ की मान्यता मिल जाने के बाद राज्य के क्रिकेट खिलाडिय़ों के हुनर को तराशने के लिए सभी संसाधन मुहैया कराए जाएंगे। इसमें दून का एकमात्र राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम भी है।

रायपुर स्थित इस अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम में अब बीसीसीआइ रणजी मैच कराएगी और यहां पर आइपीएल समेत विभिन्न तरह के अंतरराष्ट्रीय मुकाबले भी आयोजित किए जा सकेंगे। इन सब में एक खास बात यह भी कि राज्य के खिलाडिय़ों के लिए भी यह स्टेडियम पूरी तरह उपलब्ध रहेगा। इस बात का भरोसा स्वयं खेल मंत्री अरविंद पांडे ने दिलाया है। दैनिक जागरण से बातचीत में खेल मंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम में राज्य के खिलाड़ी अभ्यास कर सकें, इसके लिए हर स्तर पर प्रयास किए जाएंगे। ध्यान रखा जाएगा कि प्रदेश के खिलाडिय़ों को हर वह संसाधन मिल सकें, जो एक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के लिए जरूरी होते हैं।

सीएयू को 14 सितंबर से पहले बनाना होगा नया संविधान

उत्तराखंड में क्रिकेट के संचालन के लिए चयनित क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड को 14 सितंबर से पहले लोढा कमेटी की गाइडलाइन के अनुसार एसोसिएशन का संविधान तैयार कर नई कार्यकारिणी का गठन करना होगा। इसके लिए प्रशासकों की समिति ने सीएयू को एक सितंबर तक का समय दिया है।

सुप्रीम कोर्ट के नौ अगस्त 2018 के आदेश के अनुसार बीसीसीआइ व उससे संबद्ध सभी क्रिकेट संघों को लोढा कमेटी की गाइडलाइन के अनुसार अपने संविधान में परिर्वतन करना होगा। नए संविधान की तर्ज पर एसोसिएशन की नई कार्यकारिणी का गठन करना होगा।

नई कार्यकारिणी के गठन को होगी कसरत

बोर्ड से पूर्ण मान्यता मिलने के बाद अब सीएयू को बोर्ड के संविधान के अनुसार नई कार्यकारिणी बनाने को कसरत करनी होगी। अभी तक एसोसिएशन के पदाधिकारी रहे पीसी वर्मा, हीरा सिंह बिष्ट आदि संरक्षक की भूमिका में ही नजर आएंगे। एसोसिएशन में नए चेहरे लाने होंगे। इसके लिए भी लंबी कतार लगी है।

लोढा समिति की सिफारिशें

  • एक की बजाए लगातार दो कार्यकाल के बाद होगा तीन साल का कूलिंग ऑफ पीरियड
  • 70 साल की उम्र की अधिकतम सीमा, सरकारी अधिकारी और मंत्री वाली अयोग्यता बनी रहेगी

सीएयू के सामने उम्मीदों पर खरा उतरने की चुनौती

क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड को बीसीसीआइ से उत्तराखंड में क्रिकेट संचालन को मान्यता मिलने के बाद अब सीएयू के सामने सबसे बड़ी चुनौती क्रिकेट संचालन के मानकों पर खरा उतरने की है। एसोसिएशन को राज्य में क्रिकेट का अनुभव तो है, लेकिन बीसीसीआइ के मानकों को पूरा करने में एसोएिशन को एड़ी चोटी का जोर लगाना होगा।

उत्तराखंड को लंबे इंतजार के बाद बीसीसीआइ से मान्यता मिली है। यह निश्चित रूप से उत्तराखंड के लिए हर्ष का विषय है। इससे उत्तराखंड की युवा प्रतिभाओं को एक बड़ा मंच भी मिलेगा। मान्यता मिलने से सबसे अधिक लाभ पर्वतीय क्षेत्र के युवा खिलाडिय़ों को होगा। इन्हीं को सबसे अधिक उम्मीद भी सीएयू से है। 

क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के संयुक्त सचिव महिम वर्मा कहते हैं कि 'उनकी एसोसिएशन राज्य में निष्पक्ष भाव से क्रिकेट का संचालन करेगी।' ऐसी ही उम्मीद भी है। अब यह कह देने भर से ही संभव नहीं होगा। इसके लिए एसोसिएशन को पहाड़ और मैदान की दूरी को नापना पड़ेगा। राज्य में नैनीताल, अल्मोड़ा, बागेश्वर, पिथौरागढ़, चंपावत, ऊधमसिंह नगर, चमोली, नई टिहरी, उत्तरकाशी में कई प्रतिभावान खिलाड़ी हैं, जिनको सिर्फ प्रोत्साहित करने की जरूरत है। सही दिशा मिलने से यह देश-विदेश में प्रदेश का नाम रोशन कर सकते हैं। एसोसिएशन को इसके लिए मैदानी इलाकों के साथ-साथ पहाड़ी क्षेत्रों का रुख करना होगा।

एसोसिएशन के प्रमुख वाद 

  • राज्य में निष्पक्ष क्रिकेट का संचालन
  • स्कूल क्रिकेटिंग पर फोकस
  • सरकार के साथ मिलकर पहाड़ पर क्रिकेट गतिविधियों पर विशेष ध्यान
  • खिलाडिय़ों की हर संभव मदद
  • ग्रास रूट पर कार्य कर उदीयमान खिलाडिय़ों को तराशना

इन चुनौतियों पर उतरना होगा खरा

  • पर्वतीय क्षेत्र में क्रिकेट ग्राउंड बनाना, उनका रख-रखाव करना
  • पर्वतीय क्षेत्र में टीमों को डेवलप करना
  • प्रत्येक जिले में जिला क्रिकेट लीग का आयोजन कराना
  • जिला लीग के माध्यम से टीमों का चयन करना।
  • हर जिले के खिलाडिय़ों को मौका देना
  • मानसून सत्र में क्रिकेट गतिविधियां कराना।
  • गरीब तबके के खिलाड़ि‍यों के लिए निश्शुल्क विशेष प्रशिक्षण ऐकेडमी की व्यवस्था करना।

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