Navratri 2025: मां शैलपुत्री की पूजा के साथ शुरू होंगे नवरात्र, इस बार 10 दिनों तक होगी मां की पूजा
सोमवार से देहरादून में शारदीय नवरात्र का आरंभ होगा। इस बार चतुर्थी तिथि दो दिन होने के कारण नवरात्र दस दिनों का होगा। घटस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह छह बजकर नौ मिनट से आठ बजकर छह मिनट तक रहेगा। बाजारों में रौनक बढ़ने लगी है और मंदिरों को सजाया जा रहा है। भक्त मां दुर्गा की आराधना के लिए तैयार हैं।

जागरण संवाददाता, देहरादून । मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा के साथ सोमवार से शारदीय नवरात्र शुरू हो रहे हैं। इस बार नवरात्र 10 दिनों के होंगे। क्योंकि चतुर्थी तिथि दो दिन पड़ रही है।
30 सितंबर को अष्टमी, जबकि एक अक्टूबर को नवमी पूजन होगा। एक घंटा 56 मिनट घटस्थापना का मुहूर्त रहेगा, जो सुबह छह बजकर नौ मिनट से शुरू हो जाएगा। इसके लिए मंदिरों को सजाने से लेकर जागरण व भजन संध्या के लिए मंदिर समितियों ने तैयारी पूरी कर दी है।
बाजार में पूजा की दुकानें भी पूरी तरह सज चुकी
वहीं बाजार में पूजा की दुकानें भी पूरी तरह सज चुकी हैं। आज लोगों के काफी संख्या में खरीदारी के लिए उमड़ने की उम्मीद है।
अश्विन मास के शुल्क पक्ष की प्रतिपदा के साथ नवरात्र शुरू होते हैं। इस दौरान व्रत रख पूजा करने से मनोकामना पूरी होती है। आचार्य डा. सुशांत राज ने बताया कि नवरात्र का व्रत करने से मां दुर्गा की विशेष कृपा व्यक्ति पर बनी रहती है। इस बार माता का आगमन हाथी पर हो रहा है और माता का प्रस्थान मनुष्य के कंधों पर हो रहा है, जो कि एक शुभ संकेत है।
घटस्थापना का शुभ मूहूर्त सुबह छह बजकर नौ मिनट से लेकर आठ बजकर छह मिनट तक होगा। इसके बाद अभिजीत मुहूर्त में 11 बजकर 49 मिनट से दोपहर 12 बजकर 38 मिनट के मध्य भी घटस्थापना कर सकते हैं। इस बार 10 दिनों तक नवरात्र होंगे।
नवरात्र के दिनों का अंतर मुख्य रूप से हिंदू पंचांग पर आधारित है। पंचांग की तिथि की गणना सूर्योदय व सूर्यास्त के आधार पर की जाती है। कभी-कभी एक ही दिन में दो तिथियां पड़ जाती है, तो कई बार तिथि पूरे दिन नहीं रहती।
वहीं, बाजार में रौनक बढ़नी शुरू हो चुकी है। दुकानों में पूजा का सामान सजना शुरू हो गया है। शनिवार को भी सहारनपुर चौक, हनुमान चौक के अलावा विभिन्न क्षेत्रों में माता की मूर्तियों के अलावा कलश, हवन पात्र, रोली-मोली, चुनरी के साथ पूजा सामान सजाया गया है।
कलश स्थापना विधि
उत्तराखंड विद्वत सभा के प्रवक्ता विपिन डोभाल के अनुसार सुबह उठकर स्नान आदि करके साफ वस्त्र पहनें। मंदिर की साफ-सफाई करके गंगाजल छिड़कें। इसके बाद लाल कपड़ा बिछाकर उस पर थोड़े चावल रखें। मिट्टी के एक पात्र में जौ बो दें। साथ ही जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें।
कलश में चारों ओर आम, अशोक के पत्ते लगाएं व स्वास्तिक बनाएं। फिर इसमें साबुत सुपारी, सिक्का और अक्षत डालें। एक नारियल पर चुनरी लपेटकर कलावा से बांधें। इस नारियल को कलश के ऊपर पर रखते हुए मां जगदंबे का आह्वान करें। फिर दीप जलाकर कलश की पूजा करें।
नौ दिन इस तरह होगी मां दुर्गा की पूजा
- पहला दिन 22 सितंबर, प्रतिपदा, शैलपुत्री
- दूसरा दिन 23 सितंबर, द्वितीया, ब्रह्मचारिणी
- तीसरा दिन 24 सितंबर, तृतीया, चंद्रघंटा
- चौथे दिन 25 सितंबर, तृतीया, चंद्रघंटा (तिथि की वृद्धि के कारण)
- पांचवें दिन 26 सितंबर, चतुर्थी, कूष्मांडा
- छठा दिन 27 सितंबर, पंचमी, स्कंदमाता
- सातवां दिन 28 सितंबर, षष्ठी, कात्यायनी
- आठवां दिन 29 सितंबर, सप्तमी, कालरात्रि
- नौवां दिन 30 सितंबर, महाअष्टमी, महागौरी
- 10वें दिन 01 अक्टूबर, महानवमी, सिद्धिदात्री
- 11वें दिन 02 अक्टूबर, दशहरा (विजयादशमी)
लाइटों व फूलों से सजने लगे मंदिर
नवरात्र को लेकर शहर के विभिन्न मंदिरों को लाइटों व फूलों से सजाया जा रहा है। सिद्धपीठ मां डाटकाली मंदिर, भवन श्री कालिका माता मंदिर अंसारी मार्ग, श्री पृथ्वीनाथ महादेव मंदिर सहारनपुर चौक, माता वैष्णों देवी गुफा योग मंदिर गढ़ी कैंट, दुर्गा मंदिर सर्वे चौक, श्याम सुंदर मंदिर पटेलनगर, श्री सनातन धर्म मंदिर नेहरू कालोनी, श्री सनातन धर्म मंदिर प्रेमनगर समेत विभिन्न मंदिरों में तैयारी चल रही है।
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