Updated: Tue, 08 Jul 2025 04:03 PM (IST)
उत्तराखंड राज्य गठन के 25 वर्ष बाद भी राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय का सपना अधूरा है। जबकि छत्तीसगढ़ और झारखंड में ऐसे विश्वविद्यालय स्थापित हो चुके हैं। भूमि विवाद और कोर्ट में मामला लंबित होने के कारण उत्तराखंड में निर्माण अटका हुआ है। विशेषज्ञ मानते हैं कि विश्वविद्यालय बनने से छात्रों को उच्च शिक्षा और राज्य को आर्थिक लाभ होता। सरकार अदालत के आदेश का इंतजार कर रही है।
सुकांत ममगाईं, देहरादून। उत्तराखंड राज्य गठन को 25 साल होने को हैं, लेकिन विधि शिक्षा के क्षेत्र में प्रतिष्ठित नेशनल ला यूनिवर्सिटी (एनएलयू) का सपना अब तक अधूरा है। जबकि इसी कालखंड में बने छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे राज्यों में विधि विवि न केवल स्थापित हो चुके हैं, बल्कि वहां के छात्र लाभ भी ले रहे हैं।
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उत्तराखंड में वर्ष 2012 में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय का गजट नोटिफिकेशन हुआ था, लेकिन अगले पांच वर्षों तक इस पर कोई ठोस प्रगति नहीं हुई। नैनीताल हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर हुई, जिसके बाद अदालत ने ऊधमसिंह नगर में विधि विश्वविद्यालय स्थापित करने का आदेश दिया।
मगर भूमि की अनुपलब्धता के कारण वहां योजना परवान नहीं चढ़ सकी। वर्ष 2019 में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में देहरादून के रानीपोखरी में रेशम विभाग की 10 एकड़ भूमि पर विश्वविद्यालय का शिलान्यास किया गया।
शुरुआती काम के लिए 50 लाख रुपये भी स्वीकृत किए गए, लेकिन अधिकारियों ने यह कहकर पेच फंसा दिया कि जहां पर विश्वविद्यालय के लिए स्थान का चयन किया गया है, वहां संपर्क मार्ग ठीक नहीं है। राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के मानकों के अनुसार भी यह स्थान उपयुक्त नहीं है।
इसके बाद मामला कोर्ट जाने के कारण अटक गया। वर्षों बाद भी विधि विश्वविद्यालय के नाम पर एक ईंट नहीं लगी है। स्थिति यह है कि उत्तराखंड के साथ बने राज्य छत्तीसगढ़ में वर्ष 2003 और झारखंड में वर्ष 2010 में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय बन चुके हैं, लेकिन उत्तराखंड में इसकी आस अधूरी है।
उत्तराखंड के छात्रों को मिलती प्राथमिकता देश के 26 राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय में कामन ला एडमिशन टेस्ट (क्लैट) के माध्यम से प्रवेश होते हैं। जिन राज्यों में ये विश्वविद्यालय स्थित हैं, वहां के छात्रों को दाखिले में आरक्षण का लाभ मिलता है।
हालांकि, आरक्षण का प्रतिशत और मानदंड प्रत्येक राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय और राज्य के लिए अलग-अलग हो सकते हैं। उत्तराखंड में राष्ट्रीय विधि विवि बनने से यहां के विधि छात्रों को यह सीधा लाभ मिल सकता था, पर ऐसा हुआ नहीं।
विधि विशेषज्ञ एसएन उपाध्याय का मानना है कि उत्तराखंड में विधि विश्वविद्यालय की स्थापना से न केवल स्थानीय छात्रों को उच्च गुणवत्ता वाली विधि शिक्षा मिलती, बल्कि राज्य को शैक्षिक पर्यटन और आर्थिकी के रूप में लाभ होता।
कोर्ट में मामले की मजबूत पैरवी के साथ ही जल्द इस पर कोई ठोस निर्णय होना चाहिए। सरकार की प्राथमिकता में यह योजना है। कोशिश है कि राज्य के युवाओं को विधि शिक्षा का अवसर देने के लिए राष्ट्रीय विधि विवि शीघ्र अस्तित्व में आए।
भूमि पूजन हो चुका है, लेकिन मामला फिलहाल कोर्ट में लंबित है। अदालत के आदेशानुसार ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। डा. धन सिंह रावत, उच्च शिक्षा मंत्री
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