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    बदलते दौर में भी कायम है जौनसार बावर का पहनावा, पढ़ि‍ए पूरी खबर

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Tue, 03 Nov 2020 11:35 PM (IST)

    अपनी अनूठी संस्कृति के लिए देश में विख्यात जनजातीय क्षेत्र जौनसार बावर की पौराणिक लोक संस्कृति व पहनावा हाइटेक युग व बदलते दौर में भी कायम है। मैदानी इलाकों में जहां फैशन के इस युग में पौराणिक त्यौहारों व उत्सवों में पहनावा तेजी से बदला है।

    जनजातीय क्षेत्र जौनसार बावर ऐसा पर्वतीय क्षेत्र है, जहां पर पौराणिक पहनावा व लोक संस्कृति आज भी कायम है।

    साहिया (देहरादून),भगत सिंह तोमर । अपनी अनूठी संस्कृति के लिए देश में विख्यात जनजातीय क्षेत्र जौनसार बावर की पौराणिक लोक संस्कृति और पहनावा हाईटेक युग व बदलते दौर में भी कायम है। मैदानी इलाकों में जहां फैशन के इस युग में पौराणिक त्योहारों व उत्सवों में पहनावा तेजी से बदला है, लोग अपना पौराणिक पहनावा लगभग त्याग चुके हैं, लेकिन जनजातीय क्षेत्र जौनसार बावर ऐसा पर्वतीय क्षेत्र है, जहां पर पौराणिक पहनावा व लोक संस्कृति आज भी कायम है, सभी पर्व पर महिला हो या पुरुष अपने परंपरागत पहनावे में ही दिखाई देते हैं। साथ ही कोई भी आयोजन हो, उसे सामूहिक रूप से मनाकर अपनी एकजुटता को भी प्रदर्शित करते हैं।

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    हालांकि अपना पैतृक गांव छोड़कर बाहर नौकरी करने वाले युवा जरूर पाश्चात्य संस्कृति की तरफ भाग रहे हैं, लेकिन वह भी जब गांव आते हैं तो परंपरागत पहनावे को ही तरजीह देते हैं। प्रदेश के सबसे बड़े जनजाति क्षेत्र जौनसार बावर को वर्ष 1967 को जनजातीय क्षेत्र का दर्जा मिला था। देश में ही नहीं, बल्कि दुनिया में अनूठी लोक संस्कृति के लिए बिख्यात इस क्षेत्र की पंरपराएं व रीति रिवाज भी अनूठे हैं। शादी विवाह, तीज त्योहार, रहन सहन, खान पान के साथ ही यंहा का पहनावा भी अलग है। जिसके चलते इस क्षेत्र को लोक संस्कृति के लिए जाना जाता है।

    क्षेत्र के पुराने पहनावे पर अगर नजर डाले तो स्वंय को भी बेहद खुशी होती है। महिलाओं का ऐसा पहनावा देश में कही देखने को नहीं मिलता, जहां पूरा शरीर वस्त्र से ढका रहता था। क्षेत्र के जागरूक बुजुर्ग केशवराम, श्रीचंद शर्मा, वीरेंद्र सिंह, शेर सिंह, सरदार सिंह आदि बताते हैं कि परिवार का मुखिया वर्ष में एक बार पूरे परिवार के कपड़े एक साथ खरीदकर गांव के दर्जी से सिलाने के बाद ही पहने जाते थे। जिसमें महिलाओं के लिए घागरा, कुर्ती, झगा और ढांटू तो पुरुषों के लिए झगा, डिगूवा और चौड़ा बनाया जाता है। जौनसार बावर का चौड़ा देश के तीन प्रधानमंत्रियों को भी भेंट किया जा चुका है।

    • पुरूषों का पहनावा:   ऊन की जंगैल यानि पयजामा, झगा यानि कुर्ता, डिगूवा, टोपी के साथ ऊन का लंबा चौडा।
    • महिलाओं का पहनावा: घाघरा, कुर्ती, ढांटू, मेकडी।
    • आभूषण: जौनसार बावर में महिलाएं गले में कोंठी, चांदी का शूच, चांदी के सिक्के की कंठी, कानों में सोने के तुंगल, दोसरू, नाक में बुलाक व नाथ, सिर पर मांग टीका, उतराई, हाथों में सोने की चूड़ियां, कांगण के साथ नौ तौली की नाथ पहनी जाती है। 

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