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    दून से मेरा गहरा नाता : पद्म भूषण पंडित विश्व मोहन भंट्ट

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 12 Oct 2019 06:15 AM (IST)

    देहरादून से 20-25 साल पहले ही एक गहरा नाता जुड़ गया था जब छोटे बेटे सौरभ की शादी गढ़वाल में हुई थी। अब तो बार-बार यहां आकर यहां की वादियों को निहारता ह ...और पढ़ें

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    दून से मेरा गहरा नाता : पद्म भूषण पंडित विश्व मोहन भंट्ट

    जागरण संवाददाता, देहरादून : देहरादून से 20-25 साल पहले ही एक गहरा नाता जुड़ गया था जब छोटे बेटे सौरभ की शादी गढ़वाल में हुई थी। अब तो बार-बार यहां आकर यहां की वादियों को निहारता हूं। यह कहना है ग्रेमी अवार्ड विजेता व पद्म भूषण पंडित विश्व मोहन भंट्ट का। जिन्होंने शुक्रवार को आंबेडकर ग्राउंड में आयोजित विरासत समारोह में शिरकत की। इस दौरान उनके साथ उनके बड़े बेटे सलील भी मौजूद रहे।

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    दैनिक जागरण से खास बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि वह दून में आयोजित विरासत कार्यक्रम में चौथी बार आएं हैं। इस बार के कार्यक्रम की खासियत यह है कि वह अपने बड़े बेटे सलील के साथ जुगलबंदी कर रहे हैं। उनका बेटा जुगलबंदी में सात्विक वीणा बजाएंगे और वह मोहन वीणा।

    पिता गुरु हो तो शिक्षा प्राप्त करना आसान नहीं

    सलील भंट्ट ने बताया कि पिता ही गुरु हो तो शिक्षा प्राप्त करना आसान नहीं होता। खासकर जब पिता 95 देशों में अपनी कला का प्रदर्शन कर चुके हों। ऐसे में समय की कमी होने के कारण बहुत कम समय मिलता है कि आप मन लगाकर संगीत सीख सकें। उन्होंने बताया कि जब उनके पिता विदेश जा रहे होते थे तो वह उन्हें एयरपोर्ट तक छोड़ने जाते थे। घर से एयरपोर्ट के रास्ते के दौरान ही वह अपने पिता से राग के बारे में जानकारी जुटाते थे। ऐसे ही सफर में उन्होंने अपने पिता से संगीत सीखा।

    स्वर और सुर को कभी बांटा नहीं जा सकता

    सलील ने बताया कि 15 दिवसीय कार्यक्रम के पहले दिन विश्वरंजनी राग सुनाया। जिसमें दक्षिण और उत्तर भारतीय संगीत का संगम है। उन्होंने बताया कि उन्होंने ही इस राग का नाम तय किया। जिसके माध्यम से वह समाज को संदेश देना चाहते है कि संगीत और स्वरों में भेदभाव नही करना चाहिए। इन्हें नदी और सागर की तरह कभी बांटा नहीं जा सकता।

    बिग बॉस शो पर लगाया जाए बैन

    पंडित विश्व मोहन भंट्ट ने बताया कि भारत सरकार को एक ऐसा चैनल चलाना चाहिए जहां 24 घंटे शास्त्रीय संगीत दिखाया जाए। उन्होंने कहा बिग बॉस शो भारतीय सभ्यता के खिलाफ है। बच्चों से लेकर युवा और बुजुर्ग सभी इस शो को देखते हैं। जिसमें सिर्फ झगड़े ही दिखाए जाते हैं। इसलिए इस शो पर बैन लगाया जाना चाहिए।

    मोहन वीणा बनाने का ऐसे आया ख्याल

    पंडित ंिवश्व मोहन भंट्ट ने बताया कि वह 15 वर्ष के थे जब उनके पिता से जर्मन की युवती संगीत सीखने आती थी। वह गिटार सीखती थी। जिसे उनके पिता ने पच्चीस रुपये में खरीदा था। उन्हें गिटार पर शास्त्रीय संगीत बजाने की इच्छा होती थी। इसलिए उन्होंने मोहन वीणा बनाई। जिसमें बीस स्ट्रिंग हैं। इसके अलावा उनके बेटे सलील ने अपने बेटे के नाम पर सात्विक वीणा बनाई। दोनों में अंतर यह है कि मोहन वीणा में ज्वाइंट होते हैं और सात्विक वीणा में कोई ज्वाइंट नहीं होता।

    दूसरों की जय से पहले खुद की जय करें

    पंडित विश्व मोहन भंट्ट ने कहा कि वह पाश्चात्य संगीत के प्रति रुझान रखने वाले युवाओं को दोषी नहीं ठहराते। हर देश का अपना संगीत है। जिसका हमें सम्मान करना चाहिए, लेकिन दूसरों की जय से पहले खुद की जय करें। यानि दूसरे देशों की सभ्यता को अपनाने पर अपने देश की संस्कृति और सभ्यता को न भूलें। पंडित विश्व मोहन भंट्ट की उपलब्धि यह है कि वह एक साथ ही तीन सप्तक बजाते हैं।

    बहुत जल्द आने वाली है नई वीणा

    पंडित विश्व मोहन भंट्ट ने बताया कि शास्त्रीय संगीत को उनकी पीढि़यों से बढ़ावा मिलता आ रहा है। यही कारण है कि उनके परिवार में अब तक विश्व, मोहन, सात्विक जैसी तीन वीणा का निर्माण किया जा चुका है। अब वह बहुत जल्द चौथी वीणा लेकर आ रहे हैं। उनके परिवार में अगली पीढ़ी में उनके पोते सात्विक शास्त्रीय संगीत में रुझान रख रहे हैं। जिनका लिमका बुक ऑफ रिकॉर्ड में युवा संगीतकार के खिताब से नाम दर्ज है।