मसूरी में उमड़ी पर्यटकों की भीड़, कारोबारी खुश, जाम से लोग परेशान, किंक्रेग-लाइब्रेरी-जीरो प्वाइंट मार्ग पर जाम
मसूरी में वीकेंड पर पर्यटकों की भारी भीड़ उमड़ी जिससे किंक्रेग-गांधी चौक जैसे इलाकों में जाम लग गया। पुलिस यातायात को नियंत्रित करने में जुटी रही। पहलगाम की घटना के बाद मसूरी के पर्यटन पर भी असर पड़ा है। गांधी चौक पर जाम की समस्या को दूर करने के लिए राजमार्ग का चौड़ीकरण और अतिक्रमण हटाना आवश्यक है।

जागरण संवाददाता, मसूरी। वीकेंड पर मसूरी पर्यटकों से गुलजार रहा। पर्यटकों का दबाव बढ़ने से रविवार सुबह नौ बजे से किंक्रेग-गांधी चौक-जीरो प्वाइंट कैंपटी रोड पर जाम की स्थिति बनी रही। वाहन रेंगते हुए आगे बढ़ते नजर आए। गांधी चौक से आंबेडकर चौक तक भी यही हाल रहा। गांधी चौक पर पुलिस और होमगार्ड के जवान तैनात रहे, जो यातायात को नियंत्रित करते दिखे।
मसूरी कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक संतोष कुंवर ने बताया कि अभी शटल सेवा का उपयोग नहीं किया जा रहा है। देहरादून से कैंपटी की ओर जाने वाले वाहनों को गज्जी बैंड से कार्ट मैकेंजी रोड-हाथीपांव मार्ग से भेजा जा रहा है, ताकि गांधी चौक पर यातायात का दबाव कम हो सके।
मसूरी होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय अग्रवाल ने बताया कि शनिवार रात तक होटलों में पर्यटकों की 65 से 70 प्रतिशत आक्युपेंशी रही, जो शनिवार शाम को 60 प्रतिशत तक आ गई।
बताया कि पहलगाम में हुई आतंकी घटना के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव के चलते मसूरी के पर्यटन पर भी असर पड़ा। सीजफायर लागू होने के बाद से पहली बार इस वीकेंड पर मसूरी में पर्यटकों की अच्छी आमद देखी गई।
गांधी चौराहा सबसे व्यस्त, हमेशा लगता है जाम
गांधी चौक मसूरी का सबसे व्यस्ततम चौराहा है, जहां आम दिनों में भी जाम की स्थिति बनी रहती है। इसका मुख्य कारण हैप्पीवैली-जीरो प्वाइंट जाने वाले मार्ग का संकरा होना। यदि यहां कोई भारी वाहन आ जाए, तो जाम लग जाता है।
गांधी चौक पर देहरादून, माल रोड, हैप्पीवैली और मोतीलाल नेहरू मार्ग की ओर से यातायात आता है और यहीं से होकर चारधाम यात्रा के वाहन भी गुजरते हैं। राज्य बनने के बाद पिछले 25 वर्षों में इस बाटल नेक को खोलने के लिए कोई सार्थक प्रयास नहीं हुए हैं।
इससे यात्रियों और स्थानीय नागरिकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। गांधी चौक पर जाम से राहत के लिए इस बाटल नेक को खोलना और राष्ट्रीय राजमार्ग 707ए का चौड़ीकरण आवश्यक है। यहां पर कुछ जगह अतिक्रमण भी है, जिसको तोड़ने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग/लोक निर्माण विभाग ने निशान भी लगाए थे, लेकिन नाम मात्र की खानापूरी रही।
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