Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    History of Mussoorie: मसूरी में हुआ करती थी इंग्‍लैंड जैसी सारी सुविधाएं, इसे बसाने का श्रेय है कैप्टन यंग को

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Mon, 19 Sep 2022 03:53 PM (IST)

    History of Mussoorie अंग्रेजों के समय में मसूरी में वे सारी सुविधाएं मौजूद थीं जो इंग्लैंड में हुआ करती थीं। यह सब संभव हुआ था कैप्टन फ्रेडरिक यंग की बदौलत। वह अंग्रेजी सेना के अफसर बनकर मसूरी आए। उन्हें मसूरी इतनी पसंद आई कि वह पूरे 40 साल यहीं रहे।

    Hero Image
    History of Mussoorie: अंग्रेजों के समय में मसूरी में वे सारी सुविधाएं मौजूद थीं, जो इंग्लैंड में हुआ करती थीं।

    जागरण संवाददाता, देहरादून। History of Mussoorie आप ने पहाड़ों की रानी मसूरी का नाम तो सुना ही होगा। कई लोग तो यहां घूमने भी आए होंगे। लेकिन कुछ ही लोगों को इसके इतिहास के बारे में जानकारी होगी। 19वीं सदी की शुरुआत में मसूरी वे सारी सुविधाएं थीं, जो इंग्‍लैंड में हुआ करती थी। इसमें अंग्रेजी सेना के अफसर कैप्टन फ्रेडरिक यंग (Captain Frederick Young) का अहम योगदान रहा। आइए चलते इतिहास की ओर...।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    आयरलैंड में हुआ था फ्रेडरिक यंग का जन्म

    30 नवंबर 1786 को फ्रेडरिक यंग का जन्म आयरलैंड के डोनेगल प्रोविंस में हुआ था। वह 18 साल की उम्र में ब्रिटिश सेना में भर्ती हुए और भारत आए। उन्होंने टीपू सुल्तान से युद्ध कर उन्हें हराया। वर्ष 1814 में उनका ट्रांसफर देहरादून हो गया।

    टिहरी रियासत और गोरखा के बीच युद्ध

    वर्ष 1814 में देहरादून में टिहरी रियासत और गोरखा सेना के बीच लड़ाई हो रही थी। इसमें टिहरी महाराज ने अंग्रेजी सेना की मदद मांगी। इस लड़ाई के शुरुआती दौर में अंग्रेजी सेना के कई अफसर मारे गए। इनमें मेजर जनरल राबर्ट रोलो जिलेप्सी भी शामिल थे।

    अंग्रेजों को दिया राज्‍य का आधा हिस्‍सा

    जिलेप्सी की मौत के बाद अंग्रेजी सेना की कमान कैप्टन यंग को दी गई। उनके नेतृत्व में कई स्थानों से मिलिट्री बुलाकर दोबारा खलंगा के किले पर हमला किया गया। 30 नवंबर 1814 को इस युद्ध का समापन गोरखाओं की हार से हुआ। टिहरी महाराज ने संधि के तहत राज्य का आधा हिस्सा अंग्रेजों को दे दिया, जो ब्रिटिश गढ़वाल कहलाया।

    मसूरी की सुंदरता पर मोहित थे कैप्टन यंग

    कैप्टन यंग ने वर्ष 1823 में मसूरी (Tourist Place Mussoorie) को बसाने का कार्य शुरू किया। उन्‍हें यह जगह आयरलैंड की तरह लगी। यहां की सुंदरता पर वह मंत्रमुग्ध हो गए। इसलिए उन्होंने यहीं बसने की ठानी। उन्होंने मसूरी के मलिंगार में शूटिंग रेंज बनाई। अपने लिए एक मकान भी बनाया।

    • उन्होंने अंग्रेज अफसरों को यहां सैनिकों के लिए सेनिटोरियम बनाने के लिए मनाया। जो वर्ष 1827 में बनकर तैयार हुआ। इसके बाद से ही यहां बसागत शुरू हो गई।

    कैप्‍टन यंग की ही देन है सिस्टर बाजार

    कैप्टन यंग ने मसूरी में सैनिकों के लिए अस्पताल बनवाया। जिसको ब्रिटिश मिलिट्री अस्पताल नाम दि‍या गया। यहां युद्ध में घायल अंग्रेजी फौज के जवानों का उपचार होता था। अस्‍पताल की नर्स व सिस्टरों के लिए आवासीय परिसर बनाए गए। जो बाद में सिस्टर बाजार नाम से पुकारा गया।

    मसूरी को बसाने का श्रेय कैप्टन यंग को

    मसूरी को बसाने का श्रेय कैप्टन यंग को ही जाता है। उन्हीं के मनाने पर आला अंग्रेज अफसर यहां रहने को राजी हुए। क्‍योंकि, कैप्‍टन यंग ने अपने उच्चाधिकारी विलियम बेंटिक को भरोसा दिलाया कि वह मसूरी को हिल स्टेशन व सैनिक डिपो के रूप में डेवलप करेंगे, जिससे उन्‍होंने पूरा किया।

    आलू व चाय की खेती की शुरू

    कैप्टन यंग ने ही मसूरी में आलू और चाय की खेती भी की। वर्ष 1827 से पहले यहां आलू नहीं होता था। उस समय सिर्फ आयरलैंड में ही आलू उगाया जाता था।

    राजपुर गांव में था यंग का डोनेगल हाउस

    मसूरी (Tourist Place Mussoorie) में कैप्टन यंग करीब 40 साल रहे। देहरादून में उनका आवास 'डोनेगल हाउस' हुआ करता था। आज भी राजपुर-शहंशाही आश्रम के बीच से होकर एक मार्ग झड़ीपानी होते हुए मसूरी को पहुंचता है। जिसे कैंप्‍टन यंग ने बनावाया था।

    Uttarakhand Tourist Places: अगर आपको है पहाड़ों पर घूमने का शौक तो चले आइए उत्‍तराखंड के इन हिल स्‍टेशन पर

    comedy show banner
    comedy show banner