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    Mussoorie Golikand: ताजा है 2 सितंबर 1994 को हुआ मसूरी गोलीकांड, पुलिस ने आंदोलनकारियों पर बरसाईं थी गोलियां

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Thu, 01 Sep 2022 06:18 PM (IST)

    Mussoorie Golikand मसूरी में दो सितंबर 1994 को शांतिपूर्ण तरीके से उत्तराखंड राज्य आंदोलन को आगे बढ़ रहे आंदोलनकारियों पर पीएसी व पुलिस ने बिना किस ...और पढ़ें

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    Mussoorie Golikand: मसूरी गोलीकांड में मसूरी के छह आंदोलनकारी बलिदान हुए थे।

    संवाद सहयोगी, मसूरी।  Mussoorie Golikand: दो सितंबर का दिन आज भी मसूरीवासियों की धड़कनें तेज कर देता है। वर्ष 1994 में इसी दिन पीएसी और पुलिस ने उत्तराखंड राज्य आंदोलन को आगे बढ़ा रहे मसूरी के आंदोलनकारियों पर गोलियां बरसा दीं थी। इस गोलीकांड में मसूरी के छह आंदोलनकारी बलिदान हुए थे और दर्जनों घायल हुए थे। वहीं, एक पुलिस उपाधीक्षक की भी मौत हो गई थी।

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    मसूरी गोलीकांड

    • तारीक : दो सितंबर
    • वर्ष : 1994
    • दिन : शुक्रवार

    रात में ही बदल दिया था मसूरी थानाध्यक्ष को

    एक सितंबर 1994 को ऊधमसिंह नगर के खटीमा में गोलीकांड हुआ था। इसके बाद रात में ही मसूरी थानाध्यक्ष को बदल दिया गया था। यहां झूलाघर स्थित संयुक्त संघर्ष समिति कार्यालय के चारों ओर पीएसी व पुलिस के जवान कर दिए थे।

    अकारण ही बरसानी शुरू कर दी थीं गोलियां

    इस दिन उत्तराखंड राज्य प्राप्ति आंदोलन अन्य दिनों की तरह चल रहा था। मसूरी के झूलाघर के समीप संयुक्त संघर्ष समिति के कार्यालय में आंदोलनकारी एक सितंबर को ऊधमसिंह नगर खटीमा में हुए गोलीकांड के विरोध में क्रमिक अनशन कर रहे थे। इस दौरान पीएसी व पुलिस ने आंदोलनकारियों पर बिना पूर्व चेतावनी के अकारण ही गोलियां बरसानी शुरू कर दीं।

    इस गोलिकांड में छह लोगों ने दिया बलिदान

    • 1 बलबीर सिंह नेगी
    • 2 धनपत सिंह
    • 3 राय सिंह बंगारी
    • 4 मदनमोहन ममगाईं
    • 5 बेलमती चौहान
    • 6 हंसा धनाई।

    एक पुलिसकर्मी की भी हुई थी मौत

    • 1 पुलिस उपाधीक्षक उमाकांत त्रिपाठी

    वर्षों तक झेलने पड़े थे मुकदमे

    इसके बाद पुलिस ने आंदोलनकारियों की धरपकड़ शुरू की। इससे पूरे शहर में अफरातफरी मच गई। क्रमिक अनशन पर बैठे पांच आंदोलनकारियों को पुलिस ने एक सितंबर की शाम को ही गिरफ्तार कर लिया था। जिनको अन्य गिरफ्तार आंदोलनकारियों के साथ में पुलिस लाइन देहरादून भेजा गया। वहां से उन्‍हें बरेली सेंट्रल जेल भेज दिया गया था। वर्षों तक कई आंदोलनकारियों को सीबीआइ के मुकदमे झेलने पड़े थे।