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    विवि में मिले लोकगीत और संगीत शिक्षा : प्रीतम भरतवाण

    जागरण संवाददाता देहरादून प्रसिद्ध लोकगायक पद्मश्री प्रीतम भरतवाण ने कहा कि हिमालय का लोक संगीत देवस्व प्रकट करता है। इसमें इतनी शक्ति है कि यह अंत चेतना को जागृत कर देवत्व को जगा देता है। विवि स्तर पर लोकगीत और संगीत पर आधारित डिप्लोमा कोर्स आयोजित किए जाने चाहिए।

    By JagranEdited By: Updated: Fri, 25 Feb 2022 08:20 PM (IST)
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    विवि में मिले लोकगीत और संगीत शिक्षा : प्रीतम भरतवाण

    जागरण संवाददाता, देहरादून: प्रसिद्ध लोकगायक पद्मश्री प्रीतम भरतवाण ने कहा कि हिमालय का लोक संगीत देवस्व प्रकट करता है। इसमें इतनी शक्ति है कि यह अंत: चेतना को जागृत कर देवत्व को जगा देता है। विवि स्तर पर लोकगीत और संगीत पर आधारित डिप्लोमा कोर्स आयोजित किए जाने चाहिए।

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    यह विचार उन्होंने शुक्रवार को ग्राफिक एरा हिल विवि में शुरू हुए दो दिवसीय राज्यस्तरीय संगीत शिक्षक प्रतिभा सम्मान-समारोह में बतौर मुख्य अतिथि रखे। वर्तमान समय में दुनिया के तमाम विकसित देश अपने लोकसंगीत की ओर आ रहे हैं। लोक संगीत से सभ्यता जीवित रहती है। उद्घाटन सत्र में कार्यक्रम की संयोजक डा. उषा कटियार ने प्रसिद्ध गायिका लता मंगेशकर को श्रद्धाजलि देते हुए श्रीराम पर आधारित भजन प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन सीमेट के विशेषज्ञ डा. मोहन बिष्ट ने किया। इस अवसर पर प्रारंभिक शिक्षा निदेशक वंदना गब्र्याल, अपर निदेशक रामकृष्ण उनियाल, संयुक्त निदेशक कंचन देवराड़ी आदि उपस्थित रहे।

    शिक्षकों को प्रदान किया मंच: महानिदेशक

    विद्यालयी शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी ने कहा कि शिक्षकों को एक बेहतरीन मंच प्रदान करना इस कार्यक्रम का उद्देश्य है। इससे परंपराएं जीवंत रहेंगी। परंपराओं को अगली पीढ़ी तक पहुंचाया जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि गायन, वादन और नृत्य एक यौगिक क्रिया है। यह शरीर, मन और प्राण का योग होता है। संगीत के माध्यम से सुनने और सुनाने वाले दोनों को सुख मिलता है। कहा कि अपने लोकवाद्य, लोकगायन का संरक्षण होना चाहिए।

    संगीत प्रतिभा जन्मजात होती है: निदेशक

    अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण उत्तराखंड के निदेशक आरके कुंवर ने कहा कि संगीत की प्रतिभा जन्मजात होती है। जिसे लगातार अभ्यास से निखारा जाता है। इस प्रकार के कार्यक्रम प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने की दृष्टि से उपयोगी सिद्ध होते हैं। उन्होंने कहा कि विगत दो वर्षो से इस कार्यक्रम के माध्यम से शिक्षकों को अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर प्राप्त हो रहा है। ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार कैप्टन हिमाशु धूलिया और ब्रिगेडियर ओपी सोनी ने नई शिक्षा नीति 2020 में संस्कृति और कला के संरक्षण पर विशेष बल दिया।

    संस्कृति को जड़ों से जोड़ने का है कार्य: जौनसारी

    माध्यमिक शिक्षा निदेशक सीमा जौनसारी ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम बच्चों को अपनी संस्कृति की जड़ों से जोड़ने का कार्य करते हैं। उन्होंने बताया कि दो दिवसीय समारोह में प्रदेशभर से 38 शिक्षक भाग ले रहे हैं। प्रथम दिन गायन और वादन व दूसरे दिन नृत्य पर आधारित कार्यक्रम होंगे।