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    उत्तराखंड में सितंबर-अक्टूबर में हो सकते हैं नगर निकाय चुनाव, हाईकोर्ट को भेजा गया प्रस्ताव; अब फैसले पर टिकी निगाहें

    Updated: Mon, 08 Jul 2024 09:53 PM (IST)

    निकाय अधिनियम के अनुसार छह माह की अवधि के लिए ही निकायों में प्रशासक बैठाए जा सकते हैं। छह माह में भी लोकसभा चुनाव समेत विभिन्न कारणों से निकाय चुनाव की स्थिति नहीं बन पाई तो सरकार ने प्रशासकों का कार्यकाल तीन माह के लिए बढ़ा दिया। उत्तराखंड में लंबे समय से लटकते आ रहे नगर निकायों के चुनाव के लिए हाईकोर्ट में प्रस्ताव भेजा गया है।

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    सितंबर-अक्टूबर में निकाय चुनाव के लिए हाईकोर्ट को भेजा गया प्रस्ताव

    राज्य ब्यूरो, देहरादून। लंबे समय से लटकते आ रहे नगर निकायों के चुनाव अब सितंबर-अक्टूबर में हो सकते हैं। शहरी विकास विभाग के सूत्रों के अनुसार इस अवधि का प्रस्तावित कार्यक्रम हाईकोर्ट को भेजा गया है। अब कोर्ट के आदेश पर नजर टिकी हैं और उसी के अनुरूप कदम उठाए जाएंगे। इसके साथ ही शासन अब आने वाले दिनों में नगर निकायों में ओबीसी आरक्षण के निर्धारण की प्रक्रिया भी आगे बढ़ाएगा।

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    नगर निकायों का पांच साल का कार्यकाल  गत वर्ष नवंबर में खत्म होने के बाद चुनाव की स्थिति न बन पाने पर इन्हें प्रशासकों के हवाले कर दिया गया था।

    हाईकोर्ट भी पहुंचा निकाय चुनाव लटकने का मामला

    निकाय अधिनियम के अनुसार, छह माह की अवधि के लिए ही निकायों में प्रशासक बैठाए जा सकते हैं। छह माह में भी लोकसभा चुनाव समेत विभिन्न कारणों से निकाय चुनाव की स्थिति नहीं बन पाई तो सरकार ने प्रशासकों का कार्यकाल तीन माह के लिए बढ़ा दिया।  इस बीच निकाय चुनाव लटकने का मामला हाईकोर्ट भी पहुंचा। पूर्व में शासन की ओर से 30 जून तक चुनाव कराने का शपथ पत्र दिया गया था, लेकिन चुनाव नहीं हो पाए।  हाईकोर्ट ने इस पर कड़ा रुख अपनाया है।

    सूत्रों ने बताया कि सरकार की ओर से अब निकाय चुनाव के दृष्टिगत प्रस्तावित कार्यक्रम भेजा है। इसमें सितंबर मध्य से अक्टूबर तक का कार्यक्रम प्रस्तावित किया गया है।

    निकाय अधिनियम में संशोधन के लिए सरकार दे चुकी है मंजूरी

    उधर, निकाय चुनाव के दृष्टिगत नगर निकायों में नए सिरे से ओबीसी आरक्षण का निर्धारण, नोटिस मिलने के बाद निकाय अध्यक्षों के अधिकार सीज होने, चुनाव लड़ने के लिए दूसरी संतान जुड़वा होने पर उसे एक इकाई मानने जैसे बिंदुओं पर निकाय अधिनियम में संशोधन के लिए सरकार अध्यादेश को मंजूरी दे चुकी है। इसकी अधिसूचना भी जारी की जा चुकी है।

    अब शासन को सभी नगर निकायों में ओबीसी आरक्षण का नए सिरे से निर्धारण करना है। इस संबंध में गठित एकल सदस्यीय वर्मा आयोग पहले ही 95 निकायों की रिपोर्ट शासन को सौंप चुका है।

    सूत्रों के अनुसार आयोग की ओर से निकायवार सुझाए गए ओबीसी आरक्षण के प्रस्तावों का गहनता से परीक्षण चल रहा है।

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