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    देहरादून में आवारा कुत्तों का आतंक, नगर निगम ने कसी कमर; तीन गुना बढ़ेगी एबीसी सेंटर की क्षमता

    Updated: Sat, 23 Aug 2025 02:35 PM (IST)

    उत्‍तराखंड की राजधानी देहरादून में आवारा कुत्तों के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए नगर निगम ने कमर कस ली है। एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर की क्षमता को तीन गुना बढ़ाया जाएगा और एक टोल-फ्री नंबर जारी किया जाएगा ताकि लोग कुत्तों से जुड़ी शिकायतें दर्ज करा सकें। आक्रामक कुत्तों की पहचान कर उन्हें आश्रय गृह में रखने की योजना है।

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    नगर निगम ने शहर में आवारा कुत्तों का आतंक काबू में लाने को कसी कमर. File

    जागरण संवाददाता, देहरादून। राजधानी दून में लगातार बढ़ रहे आवारा कुत्तों के हमलों से परेशान लोगों को राहत दिलाने के लिए नगर निगम ने अब ठोस कदम उठाने की तैयारी की है। जल्द ही एनिमल बर्थ कंट्रोल (एबीसी) सेंटर की क्षमता तीन गुना बढ़ाई जाएगी। वर्तमान में यहां करीब 70 कुत्तों को रखने की व्यवस्था है, जिसे बढ़ाकर 200 से अधिक किया जाएगा।

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    प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है और इसे आगामी बोर्ड बैठक में रखा जाएगा। इसके साथ ही जल्द कुत्ता शिकायत प्रकोष्ठ तैयार कर टोल फ्री नंबर जारी किया जाएगा। वहीं, पोस्टर-बैनर के माध्यम से भी जनजागरूकता अभियान चलाए जाएंगे।

    नगर निगम के वरिष्ठ पशु चिकित्साधिकारी डा. वरुण अग्रवाल के अनुसार, वर्ष 2016 से आवारा कुत्तों के बंध्याकरण अभियान के तहत अब तक करीब 53 हजार कुत्तों का बंध्याकरण और टीकाकरण हो चुका है। बावजूद इसके, शहर में अब भी लगभग 20 प्रतिशत कुत्तों की नसबंदी बाकी है।

    निगम अब आक्रामक और हमलावर कुत्तों की पहचान कर उन्हें एबीसी सेंटर लाकर लंबे समय तक रखने, उपचार करने और स्वभाव शांत होने पर ही वापस छोड़ने की योजना पर काम कर रहा है।

    निगम की नई नीति के तहत अब ऐसे लोग भी जवाबदेह होंगे जो आवारा कुत्तों को नियमित रूप से खाना खिलाते हैं। यदि उनके खिलाए गए कुत्ते राहगीरों पर हमला करते हैं तो उन्हें कुत्ते का मालिक माना जाएगा। ऐसे मामलों में एक से दो हजार रुपये तक का चालान वसूला जाएगा।

    सुप्रीम कोर्ट के नए दिशा-निर्देश से निगम को मिली राहत

    अभी तक नगर निगम सुप्रीम कोर्ट की पुरानी गाइडलाइन का हवाला देकर हमलावर कुत्तों को उनके इलाके से हटाने से बचता था। पुराने नियमों के तहत आवारा कुत्तों का वास स्थल नहीं बदला जा सकता था, इसलिए निगम केवल बंध्याकरण और टीकाकरण तक ही सीमित रहता था।

    अब सुप्रीम कोर्ट ने नए निर्देश जारी कर दिए हैं, जिनमें आक्रामक आवारा कुत्तों को पकड़कर आश्रय गृह में रखने की अनुमति दी गई है। महापौर सौरभ थपलियाल का कहना है कि नए दिशा-निर्देशों से अब निगम को कार्रवाई करने में आसानी होगी और शहरवासियों को जल्द राहत मिलेगी।

    जागरूकता अभियान और पंजीकरण कैंप

    नगर आयुक्त नमामी बंसल ने पशु चिकित्सा अनुभाग को निर्देश दिए हैं कि कुत्तों से जुड़ी घटनाओं पर रोकथाम के लिए जन-जागरूकता अभियान तेज़ किया जाए। इसके तहत पोस्टर-बैनर शहरभर में लगाए जाएंगे और आरडब्ल्यूए, संस्थाओं के साथ बैठकें की जाएंगी। साथ ही, हर रविवार किसी एक सोसाइटी में कुत्ता पंजीकरण कैंप आयोजित होगा, जिससे खूंखार नस्ल के कुत्तों की पहचान और निगरानी आसान होगी।

    आवारा कुत्तों की नसबंदी पर पांच करोड़ से अधिक खर्च

    बीते नौ वर्ष में नगर निगम की ओर से आवारा कुत्तों के बंध्याकरण पर करीब सवा पांच करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। निगम के एबीसी सेंटर में प्रत्येक कुत्ते के बंध्याकरण पर करीब एक हजार रुपये का खर्च आता है। अब तक 53 हजार कुत्तों की नसबंदी व टीकाकरण किया जा चुका है।

    निगम की प्रमुख कार्ययोजना

    • आक्रामक आवारा कुत्तों की पहचान और उन्हें एबीसी में रखना
    • बंध्याकरण और टीकाकरण की रफ्तार बढ़ाना
    • पालतू कुत्तों के पंजीकरण नियमों को सख्त करना
    • लावारिस कुत्तों को खाना खिलाने वालों की जवाबदेही तय करना
    • कुत्तों के हमलों से बचने के लिए जनजागरूकता