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कोरोना संक्रमण से ग्रसित बच्चों के लिए मां का दूध अमृत समान

कोरोना वायरस संक्रमण से ग्रसित बच्चों के लिए मां का दूध अमृत समान है। माता-पिता के स्तर पर सही देखरेख और संयमित आहार भी उनके भीतर एंटीबॉडीज को बढ़ाने का काम करता है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 24 Apr 2020 01:44 PM (IST)Updated: Fri, 24 Apr 2020 01:44 PM (IST)
कोरोना संक्रमण से ग्रसित बच्चों के लिए मां का दूध अमृत समान

ऋषिकेश, जेएनएन। कोरोना वायरस संक्रमण से ग्रसित बच्चों के लिए मां का दूध अमृत समान है। माता-पिता के स्तर पर सही देख-रेख और संयमित आहार भी उनके भीतर एंटीबॉडीज को बढ़ाने का काम करता है।

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एम्स ऋषिकेश में माइक्रोबायोलॉजी विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. बलराम जी. ओमर के मुताबिक बच्चों में कोविड-19 के संक्रमण की जल्द रिकवरी हो रही है। यह बात जामा जनरल ऑफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन में प्रकाशित रिपोर्ट से पुष्ट हो चुका है। जामा जनरल के अनुसार कोविड संक्रमित एक हजार बच्चों में महज एक बच्चे की मृत्यु हुई है, लिहाजा स्पष्ट है कि बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता वृद्धि की वजह से वह इस संक्रमण से सुरक्षित रहते हैं। इसकी एक अहम वजह मां के दूध का सेवन भी है।

ऋषिकेश एम्स में बढेंगे 300 आइसोलेशन बेड

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश के निदेशक प्रो. रवि कांत ने बताया कि संस्थान के आइसोलेशन वार्ड में जल्द ही बेडों की संख्या 100 से बढ़ाकर 400 की जाएगी। जिससे भविष्य में कोराना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ने पर उनको भर्ती करने में दिक्कत न हो।

निदेशक एम्स ने बताया कि कोरोना वायरस पहले पशुओं में पाए जाने की पुष्टि हुई थी। जनमानस द्वारा प्राकृतिक मूल्यों की अवहेलना के फलस्वरूप यह वायरस मनुष्यों में आया। जिसका पुस्तकों में भी उल्लेख किया गया है। उन्होंने बताया कि एम्स ऋषिकेश कोरोना महामारी को लेकर गंभीर है एवं निरंतर मरीजों को आवश्यक स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कर रहा है। प्रो. रवि कांत ने बताया कि घरों से जरूरी इंतजामों के बिना अनावश्यक बाहर निकलने वाले लोगों के ही कोराना संक्रमित होने की आशंका रहती है। लिहाजा हमें इससे बचाव के लिए सरकार व चिकित्सकों के दिशा निर्देशों का स्वयं भी पालन करना चाहिए और दूसरों को भी प्रेरित करना चाहिए।

उन्होंने बताया कि कोराना से लड़ने के लिए हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता पर्याप्त नहीं है, लिहाजा इससे बचाव की नितांत आवश्यकता है। इस वायरस से ग्रसित होने वाले लोगों में से 85 प्रतिशत लोगों को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि उन्हें स्वयं आइसोलेशन में रहने की जरूरत पड़ती है। इस वायरस से ग्रसित लोगों में से पांच से 10 प्रतिशत लोगों को ही अस्पताल में भर्ती होने व वेंटीलेटर सिस्टम के सपोर्ट की आवश्यकता होगी। 

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फिजिकल डिस्टेंसिंग व हाथों की भली प्रकार से साफ सफाई कर हम कोराना वायरस को मात दे सकते हैं। निदेशक एम्स ने बताया कि मास्क लगाना जरूरी है इससे हम इस वायरस से सुरक्षित रख सकते हैं बल्कि दूसरों को भी इस बीमारी से ग्रसित होने से बचा सकते हैं। उन्होंने कहा कि समस्त जनसमुदाय को इस महामारी के प्रकोप से सुरक्षित रखने का एकमात्र उपाय सरकार एवं उससे जुड़े स्वास्थ्य विशेषज्ञों के निर्देशों का शतप्रतिशत पालन सुनिश्चित करने मात्र से संभव है।

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