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पर्वतीय जिलों में लहलहाएंगी मंडुवा-झंगोरा की फसलें, 1400 से ज्यादा क्लस्टर स्थापित

उत्तराखंड में इसबार मंडुआ और झंगोरा की फसल लहलहाएगी। राज्य में मंडुआ और झंगोरा के 1400 से ज्यादा क्लस्टर स्थापित किए गए हैैं।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Mon, 22 Jul 2019 03:38 PM (IST)Updated: Mon, 22 Jul 2019 08:50 PM (IST)
पर्वतीय जिलों में लहलहाएंगी मंडुवा-झंगोरा की फसलें, 1400 से ज्यादा क्लस्टर स्थापित
पर्वतीय जिलों में लहलहाएंगी मंडुवा-झंगोरा की फसलें, 1400 से ज्यादा क्लस्टर स्थापित

देहरादून, राज्य ब्यूरो। उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों के सीढ़ीनुमा खेतों में इस खरीफ सीजन से न सिर्फ मंडुवा-झंगोरा की फसलें व्यापक पैमाने पर लहलहाएंगी, बल्कि किसानों की झोलियां भी खूब भरेंगी। यह सब संभव हो पाया है केंद्र सरकार की परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) में मिले संबल से। इसके तहत राज्यभर में स्थापित हो रहे 3900 क्लस्टर में मंडुवा-झंगोरा के 1482 क्लस्टर शामिल किए गए हैं। हर क्लस्टर 50 एकड़ का होगा। इससे मंडुवा-झंगोरा के क्षेत्रफल में 30 हजार हेक्टेयर से अधिक की बढ़ोतरी होगी। यही नहीं, मंडुवा को सरकारी स्तर पर खरीदने की व्यवस्था शुरू कर दी गई है। झंगोरा का समर्थन मूल्य भी सरकार जल्द घोषित करेगी। 

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किसानों की आय दोगुना करने की कोशिशों में जुटी राज्य सरकार को तब झटका लगा, जब ये बात सामने आई कि देशभर में भारी मांग के बावजूद पौष्टिकता से लबरेज मंडुवा-झंगोरा का राज्य में क्षेत्रफल घट रहा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में वर्ष 2010-11 तक पहाड़ में खरीफ की क्रमश: दूसरी और तीसरी फसलों में शुमार मंडुवा व झंगोरा का क्षेत्रफल 179442 हेक्टेयर था। 2018-19 में यह घटकर 140684 हेक्टेयर पर आ गया। कारणों की पड़ताल हुई तो पता चला कि गांवों से निरंतर हो रहे पलायन, मौसम की बेरुखी, वन्यजीवों द्वारा फसल क्षति, उत्पाद का उचित दाम न मिलने समेत अन्य कारणों से किसान मंडुवा-झंगोरा की खेती से विमुख हो रहे हैं।

इस बीच केंद्र सरकार ने कृषि को प्रोत्साहित करने के मद्देनजर परंपरागत कृषि विकास योजना की शुरुआत की तो इससे राज्य को संबल मिला। इसके तहत प्रदेशभर में क्लस्टर आधार पर खेती को बढ़ावा देने का निश्चय किया गया और 3900 क्लस्टर को मंजूरी मिली। इसमें 11 जिलों में मंडुवा-झंगोरा के 1482 क्लस्टर शामिल किए गए। कोशिशें ये हैं कि इस खरीफ सीजन से मंडुवा-झंगोरा के ये क्लस्टर अस्तित्व में आ जाएं। 50-50 एकड़ के इन क्लस्टरों के विकसित होने से जहां क्रेताओं को एक ही जगह पर यह फसलें उपलब्ध हो सकेंगी, वहीं किसानों को इसका बेहतर दाम भी मिलेगा। 

20 रुपये किलो होगी मंडुवा की खरीद 

किसानों को मंडुवा-झंगोरा का बेहतर दाम मिले, इस दिशा में कोशिशें शुरू कर दी गई हैं। किसानों से सीधे फसल खरीद के लिए मंडी परिषद में रिवाल्विंग फंड गठित किया जा रहा है। पौड़ी जिले में तो इसकी शुरुआत भी कर दी गई है। वहां मंडी ने किसानों से 20 रुपये प्रति किलो के हिसाब से मंडुवा खरीदा है, जबकि बिचौलियों ने कई किसानों से 11 रुपये प्रति किलो के हिसाब से यह खरीदा था। इस साल मंडी परिषद किसानों से 20 रुपये प्रति किग्रा की दर से मंडुवा क्रय करेगी। 

लाभांश में भी किसानों की हिस्सेदारी 

मंडी परिषद किसानों से मंडुवा-झंगोरा समेत अन्य परंपरागत अनाज खरीदकर इसमें वेल्यू एडीशन करेगी। मंडी से होने वाले परंपरागत अनाजों की बिक्री से जो लाभांश प्राप्त होगा, उसमें किसानों को भी हिस्सेदारी मिलेगी। 

मंडुवा-झंगोरा के क्लस्टर 

जिला,        संख्या 

चमोली,       357 

पौड़ी,         247 

उत्तरकाशी,    203 

पिथौरागढ़,    151 

नैनीताल,      104 

चंपावत,       94 

टिहरी,         92 

अल्मोड़ा,      82 

बागेश्वर,      81 

रुद्रप्रयाग,      64 

देहरादून,       07 

कृषि मंत्री सुबोध उनियाल का कहना है कि निश्चित रूप से पर्वतीय क्षेत्र में लोग तमाम कारणों के चलते खेती से विमुख हो रहे थे। ऐेसे में मंडुवा-झंगोरा जैसी परंपरागत फसलों को परंपरागत कृषि विकास योजना में रखा गया है। साथ ही उत्पादित फसलों को उचित दर पर खरीदने की व्यवस्था की गई है। लोगों ने क्लस्टर आधारित खेती में रुचि दिखाई है। यही कारण भी है कि राज्य में विकसित होने वाले 3900 क्लस्टर में 1482 मंडुवा-झंगोरा के हैं। इन सब प्रयासों से न सिर्फ खेती के प्रति लोगों की उदासीनता खत्म होगी, बल्कि उन्हें अच्छी आय भी होगी।

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