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    आपदा के घाव देकर उत्तराखंड से विदा हुआ मानसून, प्रदेशभर में जान-माल का भारी नुकसान

    Updated: Sat, 27 Sep 2025 02:22 PM (IST)

    उत्तराखंड से मानसून की विदाई हो चुकी है लेकिन इस दौरान प्रदेश में भारी तबाही हुई। सामान्य से 22% अधिक वर्षा दर्ज की गई। बादल फटने भूस्खलन और बाढ़ से जान-माल का भारी नुकसान हुआ खासकर पर्वतीय जिलों में। बागेश्वर में सबसे अधिक और पौड़ी गढ़वाल में सबसे कम बारिश हुई। मौसम विभाग ने मानसून के लौटने की घोषणा की।

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    पर्वतीय जिलों में भारी नुकसान । जागरण आर्काइव

    विजय जोशी, जागरण देहरादून। उत्तराखंड में इस बार भारी तबाही मचाने के बाद मानसून शुक्रवार को औपचारिक रूप से विदा हो गया है। हालांकि, पिछले कुछ दिनों से प्रदेश के ज्यादातर क्षेत्रों में मौसम शुष्क बना हुआ है, लेकिन करीब दो माह प्रदेश के ज्यादातर क्षेत्रों में आसमान में जमकर आफत बरसी।

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    इस बार मानसून ने 20 जून को प्रदेश में प्रवेश किया था और 26 सितंबर को लौट गया। अगस्त और सितंबर में प्रदेश में बादल फटने, भूस्खलन और बाढ़ जैसी घटनाओं ने प्रदेशभर में भारी जान-माल का नुकसान किया।

    राज्य मौसम विज्ञान केंद्र ने उत्तराखंड से मानसून के पूरी तरह लौटने की घोषणा कर दी है। इस बार राज्य में औसतन 1411.8 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो सामान्य 1154.7 मिमी से करीब 22 प्रतिशत अधिक रही।

    मानसून के इन चार महीनों में उत्तराखंड ने कई भयावह आपदाओं का सामना किया। बादल फटने और भूस्खलन से बड़ी संख्या में लोग मारे गए और सैकड़ों परिवार प्रभावित हुए। सड़कों, पुलों और मकानों को भारी क्षति पहुंची। सबसे ज्यादा तबाही पर्वतीय जिलों में देखने को मिली। धराली, थराली, सैंजी, सहस्रधारा जैसे कई गहरे घाव देकर अब मानसून विदा हो गया।

    बागेश्वर में सर्वाधिक और पौड़ी गढ़वाल में सबसे कम वर्षा दर्ज की गई। इससे पहले पिछले तीन वर्षों से उत्तराखंड में मानसून की विदाई अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में ही हो रही थी। इस बार सितंबर समाप्त होने से पहले ही लौट गया।

    यह रही सीजन में बारिश की स्थिति

    • सबसे ज्यादा बारिश बागेश्वर में 2683.6 मिमी दर्ज हुई, जो सामान्य से 241 प्रतिशत अधिक रही।चमोली में 1350 मिमी बारिश सामान्य से 89 प्रतिशत अधिक।
    • देहरादून में 1971.9 मिमी बारिश हुई, जो सामान्य से 38 प्रतिशत अधिक है।
    • टिहरी गढ़वाल में सामान्य से 58 प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज की गई।
    • उत्तरकाशी में सामान्य से 15 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई, यहां धराली की भयावह आपदा ने प्रदेश को झकझोर दिया।

    इन जिलों में सामान्य से कम वर्षा

    पूरे मानसून सीजन में पौड़ी गढ़वाल में सामान्य से 30 प्रतिशत कम, चंपावत में सात प्रतिशत, नैनीताल में छह प्रतिशत, पिथौरागढ़ में एक प्रतिशत और रुद्रप्रयाग में पांच प्रतिशत कम वर्षा हुई।

    मानसून सीजन में माहवार वर्षा की स्थिति

    • जून में सामान्य से 36 प्रतिशत अधिक वर्षा
    • जुलाई में सामान्य से 16 प्रतिशत कम वर्षा
    • अगस्त में सामान्य से 50 प्रतिशत अधिक वर्षा
    • सितंबर में सामान्य से 41 प्रतिशत अधिक वर्षा
    • पूरे मानसून सीजन में सामान्य से 22 प्रतिशत अधिक वर्षा