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    उत्तराखंड में थमेगी बिल्डरों की 'लूट', नई नियमावली तैयार कर रही धामी सरकार

    Updated: Wed, 26 Nov 2025 03:04 PM (IST)

    उत्तराखंड में निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए सरकार बिल्डरों पर शिकंजा कसने की तैयारी में है। नई नियमावली के अनुसार, निवेशकों का पैसा एस्क्रो अकाउंट में जमा होगा और निर्माण की प्रगति के अनुसार बिल्डरों को जारी किया जाएगा। बिल्डरों को प्रोजेक्ट पूरा होने तक शहर छोड़ने पर भी रोक लगेगी।

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    एस्क्रो अकाउंट में जमा होगा निवेशकों का पैसा, निर्माण की प्रगति के अनुसार बिल्डर को होगा जारी

    अंकुर अग्रवाल, जागरण देहरादून। प्रदेश में निवेश के नाम पर रकम लेकर प्रोजेक्ट अधूरे छोड़ने, तय वादों से मुकरने और ग्राहकों को लूटकर फरार होने वाले ''कंक्रीट माफिया'' यानी बिल्डरों पर अब सरकार सख्त कार्रवाई की तैयारी कर रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर शासन व विकास प्राधिकरण ने बिल्डर गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए एक कड़ी और पारदर्शी नियमावली के मसौदे पर काम तेज कर दिया है। नई व्यवस्था लागू होने के बाद बिल्डरों की मनमानी पर रोक लगेगी और निवेशकों को सुरक्षा भी मिलेगी। नई नियमावली में निवेशकों का पैसा एस्क्रो अकाउंट में जमा होगा व निर्माण की प्रगति के अनुसार बिल्डरों को यह पैसा किश्तों में जारी होगा।

    गुजरे चार-पांच वर्ष में विकास प्राधिकरण और पुलिस के पास ऐसे कई मामले आए, जिनमें बिल्डरों ने करोड़ों रुपये लेकर आवासीय प्रोजेक्ट शुरू तो किए, लेकिन बीच में ही निर्माण रोक दिया। कई बिल्डर शहर छोड़कर फरार हो गए, जिससे निवेशकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा। कई प्रोजेक्ट अधर में हैं, जबकि खरीदार बैंक की इएमआई और किराया दोनों का बोझ झेल रहे हैं। बढ़ती शिकायतों एवं निवेशकों को होने वाली परेशानी

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    के दृष्टिगत शासन के निर्देशन में मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) ने नई नियमावली के मसौदे पर काम शुरू कर दिया है। जल्द ही इसे शासन के माध्यम से मुख्यमंत्री के समक्ष रखा जाएगा।

    नई नियमावली के प्रमुख बिंदु

    • बिल्डर का अनिवार्य पंजीकरण: हर बिल्डर को प्रोजेक्ट शुरू करने से पहले संबंधित विकास प्राधिकरण व रेरा में पंजीकरण कराना होगा। पंजीकरण के बिना नक्शा स्वीकृत नहीं होगा और न ही बिल्डर कोई विज्ञापन जारी कर सकेगा।
    • एस्क्रो अकाउंट व्यवस्था: निवेशकों से मिली राशि सीधे बिल्डर के हाथ में नहीं जाएगी। पैसा एस्क्रो अकाउंट में जमा होगा और निर्माण की प्रगति के अनुसार बिल्डर को किश्तों में जारी किया जाएगा। इससे पैसों के दुरुपयोग पर रोक लगेगी।
    • प्रोजेक्ट पूरा किए बिना शहर छोड़ने पर रोक: बिल्डरों को प्रोजेक्ट पूरा होने तक शहर छोड़ने पर प्रतिबंध जैसा प्रविधान जोड़ा जा रहा है। अचानक गायब होने या भागने की स्थिति में एफआइआर व आर्थिक दंड का प्रविधान तो होगा ही, साथ ही संबंधित प्रोजेक्ट को सरकार अपने कब्जे में भी ले सकेगी।
    • प्रोजेक्ट की आनलाइन मानिटरिंग: हर प्रोजेक्ट का निर्माण चरण, धनराशि की स्थिति और बिल्डर का प्रोफाइल पोर्टल पर सार्वजनिक होगा। इससे निवेशकों को वास्तविक स्थिति पता चलती रहेगी। नक्शे से हटकर निर्माण मिलने पर प्राधिकरण को तुरंत सीलिंग व मुकदमा दर्ज करने का अधिकार दिया जाएगा।

    उपभोक्ता सुरक्षा प्रविधान

    -तय समय पर फ्लैट हैंडओवर न करने पर जुर्माना
    -तय सुविधाएं नहीं देने पर बिल्डर की जिम्मेदारी तय-खरीदार को रिफंड और ब्याज के प्रविधान किए जाएंगे
    -पैसा गलत जगह खर्च होने पर रोक, ठगी में त्वरित कार्रवाई

    यह होता है एस्क्रो अकाउंट

    एस्क्रो अकाउंट ऐसा बैंक अकाउंट होता है, जहां दो या दो से अधिक पक्षों के बीच सौदा पूरा होने तक धनराशि किसी विश्वसनीय तृतीय पक्ष द्वारा सुरक्षित रखी जाती है। समस्त आवश्यकताओं को पूरा करने के बाद धनराशि विक्रेता को भुगतान कर दी जाती है। यदि विक्रेता आवश्यकता पूरी नहीं करता है, तो धनराशि उसी व्यक्ति को या खरीदार को वापस कर दी जाती है। एस्क्रो अकाउंट का इस्तेमाल आमतौर पर अचल संपत्ति के लेन-देन में यह सुनिश्चित करने को होता है कि खरीदार और विक्रेता अपने दायित्वों को पूरा करें। यह व्यवस्था दोनों पक्षों को संभावित धोखाधड़ी से बचाती है।

    नई नियमावली लागू होने के बाद किसी भी बिल्डर को निवेशकों के पैसे लेकर गायब होने नहीं दिया जाएगा। हर कदम पर पारदर्शिता और जवाबदेही तय होगी। निवेशकों में उम्मीद बढ़ेगी व उनकी मेहनत की कमाई सुरक्षित रहेगी। बिल्डर सेक्टर में अनुशासन और भरोसे का माहौल बनेगा। - बंशीधर तिवारी, उपाध्यक्ष एमडीडीए