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यह पूर्व फौजी लगाते हैं उल्टी दौड़, एक घंटे में नापते हैं इतनी दूरी; जानिए

उल्टा दौड़ने का शौक पूर्व सैनिक मोहन गुरुंग का कब जुनून बन गया, उन्हें खुद पता नहीं चला। अब चाहे वह पहाड़ी ढलान का रास्ता हो या चढ़ाई। वह इन रास्तों पर उल्टा सरपट दौड़ लेते हैं।

By BhanuEdited By: Published: Wed, 13 Feb 2019 10:01 AM (IST)Updated: Wed, 13 Feb 2019 10:01 AM (IST)
यह पूर्व फौजी लगाते हैं उल्टी दौड़, एक घंटे में नापते हैं इतनी दूरी; जानिए

देहरादून, जेएनएन। उल्टा दौड़ने का शौक पूर्व सैनिक मोहन गुरुंग का कब जुनून बन गया, उन्हें खुद पता नहीं चला। अब चाहे वह पहाड़ी ढलान का रास्ता हो या चढ़ाई। वह इन रास्तों पर उल्टा सरपट दौड़ लेते हैं। 

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मोहन गुरुंग की माने तो वह पहाड़ी रास्तों पर एक घंटे में दस किलोमीटर उल्टी दौड़ आसानी से पूरा कर लेते हैं। खास बात यह कि जितनी तेजी से वह ढलान पर दौड़ते हैं, उतनी ही तेजी से खड़ी चढ़ाई पर भी। इस दौड़ के माध्यम से वह लोगों को पर्यावरण संरक्षण का भी संदेश देते हैं। 

मोहन गुरुंग पिथौरागढ़ के रहने वाले हैं। वह 7/8 गोरखा राइफल में तैनात थे। वर्ष 2014 में फौज से रिटायर्ड होने के बाद उन्हें उल्टा दौड़ने का शौक चढ़ा। सेना में दौड़ में प्रतिभाग करते रहने के कारण उन्हें इसमें परेशानी भी नहीं हुई। 

धीरे-धीरे उल्टी दौड़ की प्रैक्टिस कर वह इतने दक्ष हो गए कि क्या पहाड़ी क्षेत्र का ढलान वाला रास्ता वह बिना बाधा के इसमें आसानी से दौड़ लेते हैं। मोहन गुरुंग ने बताया कि वह वर्तमान में साठ मिनट में आसानी से दस किलोमीटर दौड़ लेते हैं। 

बताया कि शुरुआत में वह एक किलोमीटर सीधी दिशा और आधा किमी उल्टा दौड़ने का अभ्यास करते थे। अब वह नियमित रूप से खड़ी चढ़ाई और पहाड़ी ढलानों पर रोज एक घंटा प्रैक्टिस करते हैं। ॉ

मोहन गुरुंग ने बताया कि उनकी तमन्ना है कि वह अपने इस हुनर का प्रदर्शन किसी राष्ट्रीय मंच पर करें। इसके लिए वह इस प्रकार के किसी प्रतियोगिता का इंतजार कर रहे हैं। 

उन्होंने बताया कि वर्तमान में वह 130 टीए इको बटालियन में काम कर रहे हैं। उल्टी दौड़ के माध्यम से वह लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक भी कर रहे हैं।

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