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    देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के लिए मोहम्मद खान ने बनाई थी टोपी, इनाम में मिला था चांदी का सिक्का

    Updated: Fri, 14 Nov 2025 05:30 PM (IST)

    देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का देहरादून से गहरा संबंध था। उन्हें स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान यहां जेल में रखा गया था। जेल में एक दर्जी, नजर मोहम्मद खान ने उन्हें एक टोपी भेंट की, जो उन्हें बहुत पसंद आई। नेहरू ने नजर को चांदी का सिक्का इनाम में दिया। आज भी नेहरू वार्ड उनकी याद दिलाता है और 'नजर टेलर' की दुकान उनके हुनर की कहानी कहती है।

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    देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का देहरादून से रहा गहरा लगाव। 

    सुमित थपलियाल, जागरण देहरादून: देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का देहरादून से गहरा लगाव रहा है। वर्ष 1906 में वह मसूरी आए और दून व मसूरी के अतुलनीय सौंदर्य के मुरीद हो गए। देश की आजादी की खातिर दून की जेल में चार बार कैद रहे थे।

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    पुरानी जेल की कोठरी में वर्ष 1932 से 1941 के बीच वह 878 दिन कैद रहे। 1941 के दौरान टेलर का कार्य करने वाले नजर मोहम्मद खान ने उन्हें जेल में एक टोपी भेंट की। नेहरू को यह टोपी इस कदर पसंद आई कि उन्होंने इनाम के रूप में नजर को चांदी का सिक्का भेंट किया था। आज भी नजर का परिवार के सदस्य उस दौरान की सुनी गई बातों का याद करते हैं।

    हरिद्वार रोड स्थित पुरानी जेल परिसर में बना नेहरू वार्ड आज भी चाचा नेहरू के संघर्षों की याद दिलाता है। उन्होंने भारत एक खोज के कई अंश भी लिखे। नजर मोहम्मद खान के पोते ताहिर खान बताते हैं कि सहारनपुर से यहां आकर दादा जी कोतवाली के समीप टेलर की दुकान चलाने वाले मकसूद हसन के शागिर्द बन गए और उनसे सिलाई का काम सीखने लगे।

    जवाहर लाल नेहरू दून जेल में थे, तब उनके कपड़ों की सिलाई नजर के उस्ताद ही किया करते थे। उस दौरान नेहरू की शेरवानी उन्हीं की दुकान में सिली गई। ज्यादा मुश्किल उनकी पसंदीदा टोपी तैयार करने में आती थी। क्योंकि, इसकी बनावट को लेकर वह काफी ज्यादा सजग रहते थे। टोपी के आकार-प्रकार पर वह खास ध्यान देते थे। नेहरू ने काली रंग की टोपी सिलने वाले का नाम पूछा, तो जवाब मिला 'नजर' ने इसे तैयार किया है। जिस पर उन्होंने तुरंत ही नजर से मिलने की इच्छा जताई।

    अगली दफा उस्ताद नजर को भी साथ ले गए। चाचा नेहरू से मुलाकात का वह लम्हा नजर अंतिम वक्त तक भी नहीं भूले। नेहरू ने उन्हें न सिर्फ शाबाशी दी, बल्कि चांदी का सिक्का ईनाम में भी दिया। उनके हुनर को भी खूब सराहा। यही हुनर अब तक भी नजर टेलर के नाम से जिंदा है। वर्ष 2014 में नजर के इंतकाल के बाद यह दुकान 2018 से अमीर अहमद संचालित कर रहे हैं।

    वे बताते हैं कि 30 वर्ष तक उन्होंने भी मोहम्मद नजर खान के साथ कार्य किया। इसलिए आज भी इस दुकान का नाम नहीं बदला और पिछले 75 वर्षों से नजर टेलर के नाम से चल रही है। बताया कि वे नेहरू के सरल व्यक्तित्व के बारे में काफी कुछ बताया करते थे। दून से उनका खासा लगाव था।

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