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    चमोली आपदा में लापता श्रमिक मिले एक गांव में, जानिए उन्‍होंने क्‍या कहा

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Wed, 10 Feb 2021 09:18 PM (IST)

    चमोली आपदा के बाद रैणी गांव में एक अस्थायी हेलीपैड पर फंसे श्रमिकों का एक समूह मिला हैं। तीन दिन से श्रमिकों का उनके परिवार वालों से संपर्क न होने के बाद उन्‍हें लापता मान लिया गया था।

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    चमोली आपदा के बाद रैणी गांव में एक अस्थायी हेलीपैड पर फंसे श्रमिकों का एक समूह मिला हैं।

    एएनआइ। चमोली आपदा के बाद रैणी गांव में एक अस्थायी हेलीपैड पर फंसे श्रमिकों का एक समूह मिला हैं। तीन दिन से श्रमिकों का उनके परिवार वालों से संपर्क न होने के बाद उन्‍हें लापता मान लिया गया था। ये श्रमिक उत्‍तराखंड के सीमावर्ती क्षेत्रों में काम करने के लिए उत्‍तरप्रदेश के मेरठ और अमरोहा जिले के विभिन्न हिस्सों से आए थे, आपदा के बाद ये अपने घरों में लौटने का इंतजार कर रहे थे।

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    टूटे पुल, सड़क और मोबाइल कनेक्टिविटी न होने के कारण कई श्रमिक जोशीमठ के दूसरी तरफ फंसे हुए हैं। संपर्क न होने के कारण इन्‍हें लापता घोषित कर दिया गया था। श्रमिकों के अनुसार, उनके परिवारों को लगा कि वे लोग बाढ़ में बह गए हैं। क्योंकि वे किसी से बात नहीं कर पा रहे थे। वहीं, रैणी गांव के दूसरी तरफ मोबाइल नेटवर्क नहीं था।

    उन्होंने रैणी गांव पहुंचने के बाद आइटीबीपी और स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों से संपर्क किया और उन्हें बताया कि परिवार वालों से बात करने के बाद उन्हें पता चला कि उन्‍हें लापता माना गया है। श्रमिकों ने कहा कि हमारे परिवारों ने स्थानीय पुलिस के पास गुमशुदगी की शिकायतें दर्ज कराई थीं। क्योंकि वे हमसे संपर्क नहीं कर पा रहे थे।

    वहीं, बाढ़ में बहे पुल को बनाने के लिए भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी), एनडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन दिन-रात काम कर रहे हैं। जोशीमठ की एसडीएम कुमकुम जोशी को श्रमिकों के लिए भोजन और परिवहन की व्यवस्था करने का जिम्‍मा दिया गया है।

    यहां फंसे एक श्रमिक सनी दत्त ने बताया कि हमे बाढ़ का पता तब चला, जब हम अन्य लोगों के साथ एक दूरदराज के गांव में एक कंपनी के मोबाइल नेटवर्क को लगाने के लिए काम कर रहे थे। हमें नीचे आने में लगभग तीन दिन लग गए। जहां पर हमे मोबाइल नेटवर्क मिला तो हमने अपने परिवार वालों से संपर्क किया।

    सनी दत्त के साथ काम करने वाले एक अन्य श्रमिक कामिंदर ने बताया कि वह उन पांच लोगों में शामिल था, जिन्‍हें लापता मान लिया गया था। क्योंकि मोबाइल का कोई नेटवर्क न होने के कारण वे तीन दिनों तक अपने परिवार वालों से बात नहीं कर पा रहे थे। कमिंदर ने कहा कि जब हमने अपने परिवार वालों से बात की तो उन्‍होंने बताया कि स्‍थानीय पुलिस ने उन्‍हें बताया कि वे लोग लापता हैं। लेकिन मेरे फोन के बाद, मेरा पूरा परिवार खुश है। वे चाहते हैं कि मैं जल्द से जल्द वापस आऊं। मुझे उम्मीद है कि आज मैं अमरोहा के लिए निकल जाऊंगा।

    राज्य सरकार के अनुसार, उत्तराखंड के चमोली जिले के तपोवन-रेणी क्षेत्र में बीते रविवार को एक ग्‍लेशियर टूटा था, जिसके कारण धौलीगंगा और अलकनंदा नदियों और बड़े पैमाने पर बाढ़ आई और ऋषिगंगा बिजली परियोजना और उसके पास के घरों को नुकसान पहुंचा है। चमोली जिले में ग्लेशियर के फटने से अलग-अलग क्षेत्रों से अब तक 32 शव बरामद किए गए हैं, जबकि तपोवन सुरंग के अंदर 25 से 35 लोग फंसे हुए है। वहीं कुल 206 लोग लापता हैं।

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