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युवाओं की करतूतें संकट की घड़ी में सभी के लिए बन रही हैं खतरा

युवाओं की करतूतें संकट की घड़ी में सभी के लिए खतरा बन रही हैं। देश में लॉकडाउन है। लेकिन इसके बावजूद युवाओं की टोलियां अक्सर सड़कों पर मंडराती नजर आ रही हैं।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 27 Mar 2020 12:35 PM (IST)Updated: Fri, 27 Mar 2020 12:35 PM (IST)
युवाओं की करतूतें संकट की घड़ी में सभी के लिए बन रही हैं खतरा
युवाओं की करतूतें संकट की घड़ी में सभी के लिए बन रही हैं खतरा

देहरादून, विजय जोशी। दुनिया इस वक्त कोरोना महामारी से जूझ रही है। यही समय है कि अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए हमें एहतियात और सतर्कता से कोरोना को हराना है। लेकिन, युवाओं की करतूतें संकट की घड़ी में सभी के लिए खतरा बन रही हैं। देश में लॉकडाउन है। ऐसे में घरों से अनावश्यक बाहर निकलने पर पाबंदी है, लेकिन इसके बावजूद युवाओं की टोलियां अक्सर सड़कों पर मंडराती नजर आ रही हैं। दुपहिया वाहनों पर युवकों को घूमते देखा जा सकता है। यह उनके ही नहीं, उनके परिवार और अन्य लोगों के लिए खतरा है। गंभीरता न दिखाकर युवा देश को और गहरे संकट में डाल सकते हैं। इस पर पुलिस के पास भी सख्ती दिखाने के सिवाय कोई विकल्प नहीं है। पुलिस लाठियां भांजने को मजबूर है। बात सिर्फ इतनी सी है कि लॉकडाउन यानि घर में रहो। पता नहीं क्यों इसे समझने में युवाओं को दिक्कतें पेश आ रही हैं।

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धार्मिक आयोजनों से दूरी

कोरोना महामारी के दौरान सभी को सतर्कता बरतनी है। देश में लॉकडाउन है और घरों में रहकर खुद को और अन्य को सुरक्षित रखना है। तो भैया ऐसे में तो घर में रहने में ही भलाई है। धार्मिक आयोजन भी इस समय मानव जीवन से बढ़कर नहीं। अधिकांश मंदिरों के कपाट बंद हैं। गली-मोहल्लों में मंदिर खुले तो हैं, लेकिन समझदारी इसी में है कि लोग मंदिर जाने से बचें। नवरात्रि के दौरान लोगों को घरों पर ही विधि-विधान से पूजन करना चाहिए। साथ ही फोन पर पुजारियों से पूजन विधि पूछना ठीक रहेगा। दून में कई मंदिरों के महंत भी पहल कर रहे हैं। जिसके तहत वह फोन पर बात कर मंदिर में संबंधित के नाम की पूजा कर रहे हैं। लोग नवरात्रि के व्रत रख रहे हैं और सुबह ही मंदिर पहुंच जाते हैं। कोरोना महामारी को देखते हुए उन्हें घर पर ही पूजन को तवज्जो देनी होगी।

कोरोना जंग के योद्धा

इस वक्त चारों ओर सन्नाटा पसरा है। तमाम वर्गो को लॉकडाउन के तहत घरों में रहने के निर्देश दिए गए हैं। लेकिन अति आवश्यक सेवाओं से जुड़े लोग खामोशी से कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं। हम बात कर रहे हैं डॉक्टर, नर्स, पुलिस, सफाई कर्मी और मीडियाकर्मियों की। ये सभी लोग अपनी जिम्मेदारी और कर्तव्यों का पूरी निष्ठा के साथ पालन कर कोरोना से जंग में अहम भूमिका अदा कर रहे हैं। इसमें भी डॉक्टर और नर्स तो भगवान के रूप नजर आ रहे हैं। आएं भी क्यों न, दिनरात कोरोना के मरीजों और कोरोना संदिग्ध मरीजों का उपचार और देखभाल कर रहे ये लोग अपनी और अपने परिवार तक की फिक्र नहीं कर हैं। ये सभी लोग अस्पतालों को ही अपना घर बना चुके हैं। सफाई कर्मचारी, जो शहर को सेनिटाइज करने में जुटे हुए हैं। इन लोगों के न थकने वाले जज्बे को सलाम करना चाहिए।

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अपील भी है जरूरी

कोरोना महामारी को गंभीरता से न लेने का खामियाजा इटली, ईरान और स्पेन जैसे देश भी भुगत रहे हैं। ऐसे में हमें ज्यादा सावधान रहने की आवश्यकता है। इसमें युवाओं पर सतर्कता बरतते हुए खुद के साथ-साथ दूसरों को भी सतर्क करने की जिम्मेदारी है। कुछ युवा इसके लिए आगे भी आए हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जा रहा है। लोगों से अपील की जा रही है कि वह घर में रहें और एहतियात बरतें। स्वच्छता का ख्याल रखें। इसके अलावा युवाओं की सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी बनती है, सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन कराने में। लोगों को समझना होगा कि इस समय एक-दूसरे से दूर रहने में ही भलाई है। कोरोना को रोकने का एकमात्र तरीका सोशल डिस्टेंसिंग ही है। यह सभी विशेषज्ञ कहते आए हैं और अब पूरी दुनिया मान रही है। हमें भी गंभीरता से इसे मानना होगा। तभी हम इस जानलेवा वायरस से बचेंगे।

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