मिलिट्री हिस्ट्री सेमिनार: युद्ध से जीवन तक, ले. जनरल शर्मा ने युवा पीढ़ी को दिखाई प्रेरक राह
देहरादून के वेल्हम ब्वायज स्कूल में 'ईस्टर्न सेक्टर — 1971 युद्ध' विषय पर मिलिट्री हिस्ट्री सेमिनार हुआ। मुख्य अतिथि ले. जनरल निर्भय शर्मा ने छात्रों को अनुशासन, साहस और देशभक्ति के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने 1971 के युद्ध की ऐतिहासिक जीत और सैनिकों के बलिदान को याद किया। जनरल शर्मा ने छात्रों को सैनिकों जैसी मानसिकता से जीवन की चुनौतियों का सामना करने की प्रेरणा दी और इतिहास से सीख लेने का संदेश दिया।

लेखक लेफ्टिनेंट जनरल के जे सिंह की पुस्तक जनरल जोटिंग्स का विमोचन करते अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम के पूर्व राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल निर्भय शर्मा। (बायें से तीसरे) साथ मे वेल्हम बॉयज की प्रिंसिपल संगीता केन,वेल्हम बॉयज स्कूल के चेयरमैन दर्शन सिंह, स्कूल के वाइस चेयरमैन लेफ्टिनेंट जनरल पीसी भारद्वाज व स्कूल कैप्टेन श्रेयस शाह।
जागरण संवाददाता, देहरादून। वेल्हम ब्वायज स्कूल में शुक्रवार को ‘ईस्टर्न सेक्टर — 1971 युद्ध’ विषय पर दो दिवसीय मिलिट्री हिस्ट्री सेमिनार की शुरुआत हुई। उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि अरुणाचल प्रदेश व मिज़ोरम के पूर्व राज्यपाल, लेफ्टिनेंट जनरल (सेनि) निर्भय शर्मा थे।
ले. जनरल शर्मा ने अपने संबोधन की शुरुआत इस बात से की कि हर व्यक्ति में अनुशासन, साहस और दृढ़ता जैसी सैनिक की खूबियां होनी चाहिए। उन्होंने कहा, ये गुण न केवल सैनिकों को बल्कि आम इंसान को भी बेहतर बनाते हैं। हर व्यक्ति को चुनौतियों का सामना करने और अपने कर्तव्य का पालन करने की प्रेरणा इन्हीं मूल्यों से मिलती है।
उन्होंने 1971 के ऐतिहासिक युद्ध का स्मरण कराते हुए कहा कि भारत ने केवल 13 दिनों में निर्णायक जीत हासिल कर बांग्लादेश के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ले. जनरल शर्मा ने बताया कि उस समय पाकिस्तानी सेना द्वारा व्यापक स्तर पर अत्याचार, बलात्कार और हत्याएं की गईं, जबकि भारतीय सैनिक स्वतंत्रता, सम्मान और न्याय के लिए संघर्ष कर रहे थे। उन्होंने छात्रों से कहा कि हमें उन वीर जवानों के बलिदान और उनके संघर्ष को कभी नहीं भूलना चाहिए।इस दौरान 1971 युद्ध पर आधारित एक लघु फिल्म भी दिखाई गई, जिससे छात्रों को युद्ध के भू-भाग, बल-तुल्यता और निर्णायक निर्णयों की समझ मिली।
सैनिकों जैसी मानसिकता से जीवन की चुनौतियों का सामना
ले. जनरल शर्मा ने छात्रों को जीवन में चुनौतियों का सामना सैनिकों जैसी मानसिकता से करने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि इतिहास केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि उससे मिलने वाली सीख जीवन के लिए मार्गदर्शक होती है। हर लड़ाई अलग रणनीतिक मोर्चे और परिस्थितियों में लड़ी जाती है, और हमें हर युद्ध से कुछ न कुछ सीखना चाहिए। ले. जनरल शर्मा ने यह भी कहा कि आज के युवा पिछली पीढ़ियों से अलग हैं, लेकिन इतिहास से मिलने वाले मूल्य और सीख हर समय प्रासंगिक रहते हैं। बल, साहस, त्याग और टीमवर्क जैसे मूल्यों को याद रखना आज भी उतना ही जरूरी है जितना कि 1971 में था।
धर्म, जाति, भाषा से ऊपर देशभक्ति
उन्होंने कहा कि हर दिन टीवी और इंटरनेट मीडिया पर धर्म, जाति, भाषा या क्षेत्र के आधार पर लोग अलग दिखते हैं, लेकिन जब सैनिक मोर्चे पर खड़ा होता है, तो उसे केवल देश की चिंता होती है। त्याग का कोई धर्म नहीं, साहस की कोई कीमत नहीं और टीमवर्क का कोई जोड़ नहीं। ले. जनरल शर्मा ने छात्रों से कहा कि यही मूल्य हैं जिन्होंने भारतीय सेना को 1971 में मजबूत बनाए रखा और यही मूल्य आज भी देश की ताकत हैं। युवा पीढ़ी यह सोचती होगी कि क्या अतीत के युद्ध अभियानों का अध्ययन आज भी प्रासंगिक है। जवाब दिया, पीढ़ियां चाहे जितनी भी बदल जाएं, इतिहास से मिलने वाले सबक और मूल्य हमेशा प्रासंगिक रहते हैं।
हम लाए हैं तूफान से कश्ती निकालके
ले. जनरल शर्मा ने छात्रों को 1962 के भारत-चीन युद्ध की याद दिलाते हुए कहा कि उस समय लता मंगेशकर का गाया अमर गीत ‘ऐ मेरे वतन के लोगो’ आज भी हर भारतीय के हृदय में देशभक्ति की ज्वाला प्रज्वलित करता है। उन्होंने कहा कि यह गीत आज भी युवाओं को देश के प्रति समर्पण और बलिदान की भावना सिखाता है। गीतकार प्रदीप के शब्दों में लिखा गया यह गीत पीढ़ियों तक प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है। उन्होंने कहा, हमारी पीढ़ी 1960 के दशक में बड़ी हुई और हमें उनके हिंदी फिल्म गीत याद हैं, जैसे ‘हम लाए हैं तूफान से कश्ती निकालके।’ यही भावना हमें बड़े होकर अपने जीवन में ले चलनी चाहिए। यह एक कठिन संघर्ष रहा, और हमने कई तूफानों का सामना किया। हमें कभी बीते दौर को नहीं भूलना चाहिए। यही भावी पीढ़ी को मेरा संदेश है।
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