केंद्र ने उत्तराखंड में नियो मेट्रो पर जताई असहमति, धामी सरकार ईबीआरटीएस अपनाने को तैयार
उत्तराखंड में मेट्रो रेल परियोजना को नया रूप मिलने जा रहा है। केंद्र सरकार की सलाह पर राज्य सरकार एलिवेटेड बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (ईबीआरटीएस) को अपनाने के लिए तैयार है। राज्य कैबिनेट ने नियो मेट्रो परियोजना के प्रस्ताव को केंद्र की सलाह के अनुसार आगे बढ़ाने की मंजूरी दे दी है। मेट्रो रेल कार्पोरेशन जल्द ही इसकी डीपीआर तैयार करेगा।

केंद्र ने नियो मेट्रो पर असहमति के बाद एलिवेटेड बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम को बताया है बेहतर। प्रतीकात्मक
सुमन सेमवाल, देहरादून। वर्ष 2017-18 से अधर में लटकी मेट्रो रेल परियोजना अब नए रूप में गति पकड़ने को तैयार दिख रही है। केंद्र और राज्य सरकार की हां और ना के बीच परियोजना में मेट्रो से लेकर पीआरटीएस, एलआरटीस, केबल कार और नियो मेट्रो का रूप धारण किया, लेकिन धरातल पर गाड़ी अटकी रही।
अब केंद्र ने राज्य को नई दिशा एलिवेटेड बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (ईबीआरटीएस) के रूप में दिखाई है तो उत्तराखंड मेट्रो रेल कार्पोरेशन ने भी झटपट इसका दामन थाम लिया। केंद्र की सलाह के क्रम में राज्य कैबिनेट ने भी इस कवायद को हरी झंडी दिखा दी है। लिहाजा, अब तय है कि सरकार सार्वजनिक परिवहन की सड़कों पर जाम होती गाड़ी को परिवहन के नए माध्यम के रूप में आगे बढ़ाने को पूरी तरह तैयार है।
राज्य कैबिनेट के निर्णय के अनुसार नियो मेट्रो परियोजना के प्रस्ताव को केंद्र के सलाह के क्रम में आगे बढ़ाया जाएगा। साथ ही यह प्रस्ताव मेट्रो रेल कार्पोरेशन की बोर्ड बैठक के माध्यम से शासन को भेजा जाएगा। कार्पोरेशन के प्रबंध निदेशक बृजेश कुमार मिश्रा के अनुसार चूंकि केंद्र ने नियो मेट्रो तकनीक को भारत के लिहाज से सही नहीं बताया है, तो अब ईबीआरटीएस पर ही आगे बढ़ने का निर्णय लिया गया है। वर्तमान समय में इसकी डीपीआर तैयार की जा रही है। जल्द बोर्ड बैठक आयोजित कर प्रस्ताव को पास किया जाएगा।
नियो मेट्रो के कारिडोर पर ही आगे बढ़ेगी ईबीआरटीएस
उत्तराखंड मेट्रो रेल कार्पोरेशन के अधिकारियों के अनुसार नियो मेट्रो के लिए जो कारिडोर तय किए गए थे, वही ईबीआरटीएस में भी रखे जाएंगे। इस तरह कारिडोर को लेकर अतिरिक्त प्रयास नहीं करने पड़ेंगे।
नियो मेट्रो के फेर में खर्च हो चुके 100 करोड़
मेट्रो के अलग-अलग रूप से लेकर नियो मेट्रो तक की गई कसरत के बीच उत्तराखंड मेट्रो रेल कार्पोरेशन अब तक करीब 100 करोड़ रुपये खर्च कर चुका है। वहीं, परियोजना विलंब के चलते 1852 करोड़ से बढ़कर 2303 करोड़ रुपये जा पहुंची थी, जो निवेश के लिहाज से बेहद अधिक है। हालांकि, अब इतना जरूरी है कि लंबी खामोशी के बाद राज्य सरकार ने ईबीआरटीएस के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखा दी है।
यह होंगे ईबीआरटीएस के कारिडोर
- आइएसबीटी से गांधी पार्क, लंबाई 8.5 किमी
- एफआरआइ से रायपुर, लंबाई 13.9 किमी
- कुल लंबाई, 22.42 किमी
ईबीआरटीएस की विशेषता
- बसें सड़क के ऊपर एलिवेटेड कारिडोर पर चलती हैं। जिससे सड़क पर बाधा नहीं पहुंचती है।
- सिर्फ बसों के लिए अलग समर्पित लेन ट्रैक के रूप में होती है।
- सिग्नल और जाम से मुक्ति की दशा में तेज यात्रा का बेहतर विकल्प।
ईबीआरटीएस और नियो मेट्रो में अंतर
- ईबीआरटीएस - नियो मेट्रो
- प्रति घंटे 08 से 15 हजार यात्री- प्रति घंटे 10 से 25 हजार यात्री क्षमता
- एक बस में 250 तक यात्री- कोच में 300 तक यात्री
- बसों की संख्या बढ़ाने का विकल्प-ट्रेनों की लंबाई सीमित
- उच्च दबाव वाले रूट पर लचीला समाधान- मध्यम दबाव के लिए उपयुक्त
- परिचालन लागत कम-अधिक लागत आती है
- टायर- दोनों की रबर आधारित टायर प्रणाली
मंत्रिमंडल को सूचना दी गई कि इस कैबिनेट से जो नियो मेट्रो की डीपीआर पास की गई थी, उसे केंद्र सरकार ने मंजूरी नहीं दी है। केंद्र की सलाह के मुताबिक एलिवेटेड बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम पर अध्ययन किया जा रहा है। उचित पाए जाने पर इस पर आगे बढ़ा जाएगा। - आर मीनाक्षी सुंदरम, प्रमुख सचिव आवास एवं नियोजन

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