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    उत्‍तराखंड में नौ विधायकों की सदस्‍यता खत्‍म

    By Thakur singh negi Edited By:
    Updated: Mon, 28 Mar 2016 10:15 AM (IST)

    कांग्रेस के नौ बागी विधायकों पर आखिरकार दलबदल कानून के तहत गाज गिर ही गई। स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल ने शाम पौने पांच बजे सभी नौ विधायकों की सदस्यता रद करने का अपना निर्णय सार्वजनिक किया।

    देहरादून। कांग्रेस के नौ बागी विधायकों पर आखिरकार दलबदल कानून के तहत गाज गिर ही गई। स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल ने शाम पौने पांच बजे सभी नौ विधायकों की सदस्यता रद करने का अपना निर्णय सार्वजनिक किया। शाम तक प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू होने की कोई लिखित सूचना न मिलने का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि विधायकों के जवाब का परीक्षण करने के बाद नियमों के तहत उन्होंने अपराह्न 2:30 बजे उनकी सदस्यता रद करने का निर्णय लिया गया। इससे पूर्व सभी नौ विधायकों व सरकार पक्ष के वकीलों को सुनवाई का पर्याप्त अवसर भी दिया गया।

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    प्रदेश में उपजे सियासी संकट के बीच कांग्रेस विधानमंडल दल की मुख्य सचेतक डा. इंदिरा हृदयेश की ओर से 18 मार्च को ही नौ बागी विधायकों के विरुद्ध दलबदल कानून के तहत कार्रवाई करने की याचिका स्पीकर को दे दी गई थी। स्पीकर ने सभी विधायकों को इस संबंध में नोटिस जारी करते हुए 26 मार्च तक अपना जवाब देने का समय दिया। बीते रोज ही विधायकों के वकीलों ने दलबदल की शिकायत से जुड़े साक्ष्य स्पीकर से मांगे थे। स्पीकर ने उन्हें रविवार सुबह नौ बजे साक्ष्य उपलब्ध करने का वक्त दिया, मगर विधानसभा में देर रात तक विधायकों की सदस्यता रद करने की तैयारी चलती रही।
    सूत्रों के मुताबिक बीती रात ही सदस्यता रद करने के आदेश तैयार कर लिए गए थे, मगर केंद्र द्वारा राष्ट्रपति शासन लागू करने के आदेश जारी नहीं किए गए, लिहाजा सदस्यता रद करने के आदेश भी रोक लिए गए। रविवार सुबह नौ विधायकों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ताओं की टीम ने स्पीकर से साक्ष्य की प्रमाणित प्रतियां मांगी और नियमानुसार साक्ष्य उपलब्ध कराने के बाद जवाब देने के लिए न्यूनतम सात दिन का समय मांगा। वरिष्ठ अधिवक्ता दिनेश द्विवेदी ने बताया कि स्पीकर ने कई घंटे सुनवाई के बाद भी जवाब देने के लिए पर्याप्त वक्त नहीं दिया। साक्ष्य की जो प्रतियां उपलब्ध कराई गईं, वे भी नियमों के अनुरूप प्रमाणित नहीं हैं।
    उन्होंने बताया कि उनकी ओर से प्रक्रिया से संबंधित इन खामियों के बारे में आपत्ति दर्ज की गई, मगर स्पीकर आधी सुनवाई में ही सीट से उठकर चले गए। सुप्रीम कोर्ट ने येदुरप्पा मामले में दिए आदेश में भी दलबदल कानून के तहत साक्ष्यों की प्रमाणित प्रतियां उपलब्ध कराने के बाद न्यूनतम सात दिन का समय जवाब के लिए देने की बात कही गई है, मगर लगता है कि स्पीकर विधायकों के विरुद्ध कार्रवाई का पहले से मन बना चुके हैं। इस बीच, विधायकों के वकील राजेश्वर सिंह ने 2:40 बजे स्पीकर के कार्यालय को उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लागू होने की लिखित सूचना दी।
    राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद अब नौ विधायकों के विरुद्ध अपने निर्णय को स्थगित रखने का अनुरोध भी किया, मगर शाम को स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल ने पत्रकारों से बातचीत में नौ विधायकों की सदस्यता समाप्त करने की घोषणा कर दी। उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति शासन संबंधी कोई आधिकारिक सूचना विधानसभा को अब तक नहीं मिली है। अलबत्ता, उक्त नौ विधायकों की सदस्यता रद करने का निर्णय वे 2:30 बजे ही ले चुके हैं। इस निर्णय की सूचना चुनाव आयोग, मुख्य सचिव समेत अन्य संबंधित कार्यालयों को ई मेल के जरिए भेजी जा चुकी है।


    इन विधायकों की सदस्यता हुई रद्द
    विजय बहुगुणा, डा. हरक सिंह रावत, सुबोध उनियाल, अमृता रावत, शैलेंद्र मोहन सिंघल, कुंवर प्रणव चैंपियन, उमेश शर्मा काऊ, शैलारानी रावत व प्रदीप बत्रा।


    दलबदल कानून के तहत मिली याचिका पर नोटिस के बाद नौ विधायकों को सात दिन का समय जवाब देने के लिए दिया गया। उनके वकीलों के अनुरोध पर एक दिन का वक्त और दिया। विधायकों व सरकार, दोनों पक्षों के वकीलों को सुनने व जवाब के परीक्षण के बाद नौ विधायकों की सदस्यता खत्म करने का निर्णय किया गया है।
    -गोविंद सिंह कुंजवाल, स्पीकर, उत्तराखंड विधानसभा

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