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    सरकारी मेडिकल कॉलेजों को सरकार ने दी राहत, नहीं रहेगी दवाओं की कमी

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    Updated: Wed, 04 Jul 2018 09:15 PM (IST)

    सरकारी मेडिकल कॉलेजों में अब जीवनरक्षक दवाओं और ऑक्सीजन की कमी नहीं रहेगी। साथ ही एमआरआइ, सीटी स्कैन व एक्सरे की फिल्म, एंबुलेंस व जेनरेटर के लिए डीजल की कमी नहीं रहेगी।

    सरकारी मेडिकल कॉलेजों को सरकार ने दी राहत, नहीं रहेगी दवाओं की कमी

    देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेजों को सवा दो साल बाद सरकार ने बड़ी राहत दी है। इन कॉलेजों में अब जीवनरक्षक दवाओं और ऑक्सीजन की कमी नहीं रहेगी। साथ ही एमआरआइ, सीटी स्कैन व एक्सरे की फिल्म, एंबुलेंस व जेनरेटर के लिए डीजल की कमी नहीं रहेगी। राज्य सरकार ने इन कॉलेजों को संबद्ध चिकित्सालयों में लिए जा रहे यूजर चार्जेज के इस्तेमाल की अनुमति दे दी। हालांकि, यूजर चार्जेज से मिलने वाली सिर्फ 50 फीसद राशि ही कॉलेज इस्तेमाल करेंगे। इस राशि के उपयोग में प्राचार्य का एकाधिकार नहीं होगा, बल्कि उनकी अध्यक्षता में गठित समिति इसे संचालित करेगी। 

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    सरकारी मेडिकल कॉलेजों खासतौर पर श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में यूजर चार्जेज के इस्तेमाल में अनियमितता की शिकायतें मिलने पर सरकार ने सख्त रुख अपना लिया था। 11 मार्च, 2016 को शासनादेश जारी कर मेडिकल कॉलेजों को यूजर चार्जेज के रूप में मिलने वाली शत-प्रतिशत धनराशि सरकारी खजाने में जमा कराने को कहा गया था। यूजर चार्जेज पर पाबंदी लगने से कॉलेजों को कई मुश्किलें पेश आ रही थीं।

    खासतौर पर औषधि रसायन, जीवनरक्षक दवाओं चिकित्सालयों में प्रयोग में लाए जाने वाले एंबुलेंस और जेनरेटर के लिए डीजल व ऑक्सीजन की आपूर्ति मदों में पर्याप्त बजट नहीं होने से हल्द्वानी और श्रीनगर के राजकीय मेडिकल कॉलेजों की देनदारियां लंबित हैं। इससे कॉलेजों से संबद्ध अस्पतालों के संचालन में भी दिक्कत हो रही है। इन अस्पतालों में आकस्मिक खर्च के लिए प्राचार्य को तत्काल व्यवस्था करने का दबाव है। इस वजह से उनके पास एक निश्चित फंड की जरूरत महसूस की जा रही थी।

    इसे देखते हुए चिकित्सा शिक्षा सचिव नितेश कुमार झा ने राजकीय मेडिकल कॉलेजों के संबद्ध चिकित्सालयों में यूजर चार्जेज की 50 फीसद धनराशि का उपयोग तत्काल प्रभाव से करने और शेष 50 फीसद सरकारी खजाने में जमा कराने के आदेश मंगलवार को जारी किए। मेडिकल कॉलेजों के संबद्ध चिकित्सालयों में 50 फीसद राशि का उपयोग प्राचार्य की अध्यक्षता में गठित प्रबंधन समिति कर सकेगी। इस राशि के उपयोग के लिए उक्त समिति का खाता किसी राष्ट्रीयकृत बैंक एवं उसकी शाखा में खोला जाएगा। कॉलेज प्राचार्य और वित्त नियंत्रक के संयुक्त हस्ताक्षर से ही खाता संचालित होगा।

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