माय सिटी माय प्राइड फोरमः काल्पनिक नहीं, जल्द दौड़ती दिखेगी मोनो व मेट्रो रेल- आर्य
आमजन की सुरक्षा को लेकर ही सड़कों पर स्पीड ब्रेकर बनाए जाते हैं। विशेषकर स्कूलों के बाहर यह बेहद जरूरी हैं।
जागरण संवाददाता, देहरादून: परिवहन मंत्री एवं जिले के प्रभारी मंत्री यशपाल आर्य ने कहा कि दून की सार्वजनिक परिवहन सेवाओं के मद्देनजर मोनो व मेट्रो रेल परियोजना काल्पनिक नहीं है। जल्द ही यह शहर में दौड़ती नजर आएंगी। न केवल दून शहर बल्कि हरिद्वार, ऋषिकेश, रुड़की तक के लोगों को इसका लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि परियोजना को पूरा होने में समय लगता है, मगर इससे पहले ही आलोचना शुरू हो जाती है। आलोचना ठीक है, मगर हमें समालोचक भी बनना चाहिए।
कैबिनेट मंत्री आर्य ने कहा कि वे लोग दून का दर्द महसूस कर रहे होंगे, जिन्होंने यहां की पुरानी जलवायु और माहौल देखा है। स्वाभाविक है कि विकास होगा तो हमें कुछ खोना भी पड़ेगा। विकास के मुद्दों पर शहर में चल रही सियासत पर उन्होंने कहा कि 'सियासत कहां नहीं होती, लेकिन हम इस जिम्मेदारी से बच नहीं सकते।' जनता हमें जनादेश देती है और हमसे सभी वायदे पूरे करने की उम्मीद रखती है, लेकिन यह सच है कि इनमें कुछ वायदे ही पूरे होते है। विकास में आमजन की भागीदारी होनी चाहिए।
दून शहर का नाम देश में ही नहीं बल्कि विदेश में भी विख्यात है। यहां दून स्कूल व अन्य शैक्षिक संस्थानों की पहचान है, लेकिन हमें प्राथमिक विद्यालयों में गुणवत्ता पर ध्यान देना होगा। आर्य ने कहा कि स्वास्थ्य सेवा के हालात देखकर उन्हें पीड़ा होती है, मगर सभी कार्य एक-साथ नहीं हो सकते।
आर्य ने शहर में बढ़ते अपराध पर भी चिंता जताई। पुलिस-व्यवस्था को सुधारना होगा। खुफिया तंत्र मजबूत करना होगा। पूरे शहर में सीसीटीवी कैमरे लगाने होंगे, तभी सुरक्षित शहर की परिकल्पना की जा सकती है। पर्यावरण संतुलन को लेकर हमें पेड़ लगाने होंगे और उनकी परवरिश बच्चों की तरह करनी होगी। उन्होंने शहर की नफासत कायम रखने के लिए हर वर्ग से आगे आने का आह्वान किया।
सड़क और कूड़े की समस्या
माय सिटी माय प्राइड फोरम में जब दून के लोगों को यहां की समस्याओं पर सरकार के साथ सीधे संवाद का मौका मिला तो स्पष्ट हो पाया कि वह किस तरह का दून चाहते हैं और यहां किस तरह की समस्याएं अधिक हैं। अधिकतर लोगों ने दून की सड़कों को बेहतर बनाने और कूड़े की समस्या को दूर करने की मांग उठाई।
केवल विहार की सोसाइटी के प्रतिनिधियों ने कहा कि उनकी कॉलोनी दिसंबर से जैविक-अजैविक के हिसाब से कूड़े का पृथक्करण शुरू कर देगी। जबकि नगर निगम अभी इस दिशा में प्रयास करता नजर नहीं आ रहा। ऐसे में घर से कूड़ा अलग-अलग एकत्रित करने के बाद भी डंपिंग स्तर पर वह आपस में मिल जाएगा।
कुछ अन्य कॉलोनी के लोगों ने भी दून के लिए कूड़े की समस्या को विकराल स्थिति में बताया। इसके बाद सबसे अधिक सवाल बदहाल सड़कों को लेकर पूछे गए। आइएसबीटी में ही सड़कों की खराब स्थिति को लेकर यहां आने वाले लोगों के मन में दून की छवि खराब हो रही है। हालांकि ऐसे तमाम सवालों का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री और शहरी विकास मंत्री ने आश्वासन दिया कि जल्द यह समस्या दूर कर दून को आदर्श शहर बनाया जाएगा।
जनता ही पुलिस की आंख और कान
देहरादून की वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक निवेदिता कुकरेती ने कहा कि आम जनता ही पुलिस की आंख और कान होती है। कहीं कुछ भी गलत या गैरकानूनी हो रहा हो तो चुप न रहें, पुलिस को सूचना दें, हम कार्रवाई करेंगे।
सूचनाओं की महत्ता को बताते हुए एसएसपी ने कहा कि पिछले सप्ताह एक सूचना आई कि एक बोर्डिंग स्कूल में किसी बच्ची के साथ कुछ गलत हुआ है। इस पर त्वरित कार्रवाई की गई और वर्तमान में तीन नाबालिग समेत नौ आरोपी सलाखों के पीछे हैं। यह सूचना के दम पर ही संभव हो सका।
महिला सुरक्षा को लेकर एसएसपी ने कहा कि हमें अपनी सोच भी बदलनी होगी। बच्चों को बेटियों के सम्मान की सीख दें। फिलहाल महिला सुरक्षा की कड़ी को मजबूत करने के लिए जिले के प्रत्येक थाने पर महिला दारोगा और सिपाही की तैनाती कर दी गई है।
सीमित संसाधनों में बेहतर परिणाम
एसएसपी ने कहा कि दून में ट्रैफिक बड़ी चुनौती है। विभाग के पास 220 यातायात सिपाही हैं। यानी आबादी के हिसाब से देखें तो ढाई हजार लोगों पर एक सिपाही है। हम यह नहीं कहते संसाधन कम हैं, पर सीमित जरूर हैं। फिर भी शहर को एक हद तक जाम की स्थिति से निजात दिलाने में सफल हो रहे हैं।
मॉडल दून की रखी जा चुकी है नींव : कौशिक
भविष्य में देहरादून देश में मॉडल शहर बनकर उभरे इसकी नींव राज्य सरकार रख चुकी है। शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने 'माय सिटी माय प्राइड' फोरम में यह बात कही। उन्होंने फोरम में शामिल प्रबुद्धजनों की ओर से आए सवालों के न सिर्फ बेबाकी से जवाब दिए।
इनमें से कुछ चुनिंदा सवाल-जवाब इस प्रकार हैं :-
सवाल : कूड़े-कचरा बीनने वाले बच्चों के पुर्नवास को सरकार क्या कर रही है। - सुरेश उनियाल, राज्य समन्वयक बचपन बचाओ आंदोलन
जवाब: केंद्र सरकार की 'उड़ान' योजना के तहत ऐसे बच्चों का जीवन संवारा जा रहा है। योजना के तहत कूड़ा बीनने वाले बच्चों से यह कार्य छुड़वाकर नजदीकी स्कूलों में शिक्षा ग्रहण करने के लिए भेजा जा रहा है।
सवाल : शहर में नये बनाए गए फुटपाथ पर फिर से अतिक्रमण होने लगा है। - मनोज अग्रवाल, वरिष्ठ अधिकारी डब्ल्यूआइआइ
जवाब : अतिक्रमण दोबारा न हो, इसको लेकर सख्ती बरती जा रही है। संबंधित थाने को यह अधिकार पहले ही दिया गया है कि वह ऐसे अतिक्रमणकारियों को चिन्हित करें और फिर कार्रवाई सुनिश्चित करें।
सवाल : स्मार्ट सिटी को लेकर कोई काम नहीं हो रहा है। - जगदीश धीमान, निवर्तमान पार्षद, नगर निगम
जवाब : स्मार्ट सिटी को लेकर कई स्तर पर कार्य प्रस्तावित हैं। आने वाले समय पर यह धरातल पर भी नजर आएंगे।
सवाल : अन्य राज्यों की तरह उत्तराखंड में यहां की लोकभाषाओं गढ़वाली, कुमाऊंनी में चौक चौराहों पर होर्डिंग क्यों नहीं लगाए जाते। - विजय भूषण उनियाल, अध्यक्ष डांडी कांठी क्लब
जवाब: सुझाव पर विचार किया जाएगा। स्थानीय बोली एवं भाषाओं के संरक्षण को लेकर सरकार प्रतिबद्ध है।
सवाल : ऊर्जा निगम घरेलू उपभोक्ताओं के बिल दो महीने में दे रहा, जबकि व्यवसायिक उपभोक्ताओं के बिल प्रति महीने दिए जाते हैं। - एनके दत्ता, अध्यक्ष राजेंद्रनगर रेजिडेंस वेलफेयर सोसायटी
जवाब: इस बारे में ऊर्जा निगम के एमडी से जानकारी ली जाएगी। जनता एक महीने में बिल देना चाहती है तो यह बेहतर पहल है। विभाग में मीटर रीडर की कमी होने के कारण घरेलू उपभोक्ताओं के बिल दो महीने में लिए जा रहे हैं।
सवाल : सड़कों पर स्पीड ब्रेकर अधिक होने के कारण यह दुर्घटना का सबब बन रहे हैं। - लोकेश नवानी, संस्थापक धाद संस्था
जवाब: आमजन की सुरक्षा को लेकर ही सड़कों पर स्पीड ब्रेकर बनाए जाते हैं। विशेषकर स्कूलों के बाहर यह बेहद जरूरी हैं। धीमी गति में वाहन चलाने वाले वाहनों को स्पीड ब्रेकर से कोई परेशानी नहीं होती है।
सवाल: शहर में केवल साठ फीसद लोग ही टैक्स भरते हैं। सरकार उन चालीस फीसद लोगों से टैक्स वसूलने के बजाए पहले टैक्स दे चुके लोगों से दोबारा टेक्स वसूली के नोटिस भेज रही है। - जीएस जस्सर, पदाधिकारी संयुक्त नागरिक संगठन
जवाब : सरकार उन क्षेत्रों में पहले पांच साल टैक्स नहीं वसूलती जो नगर निगम क्षेत्र में शामिल किए गए हैं। पुराने भवन मालिकों को टैक्स के दायरे में लिया जाता है।
सवाल : शहर का पानी यहां तक कि बोतल बंद पानी भी शुद्ध नहीं है। सरकार जांच के लिए क्या कदम उठा रही है। - डॉ. बृजमोहन शर्मा, सचिव स्पेक्स
जवाब : पानी की शुद्धता की जांच के लिए वह अपने स्तर पर कोई दावा नहीं कर सकते हैं। फिर भी सरकार की कोशिश है कि आमजन को शुद्ध पेयजल मुहैया करवाया जाए।
सवाल : इन्वेस्टर समिट में देहरादून जिले को क्या लाभ मिलेगा। पूर्व में स्थापित उद्योग बिजली बाधित से जूझ रहे हैं। - अनिल मारवाह, अध्यक्ष उत्तराखंड इंडस्ट्रियल वेलफेयर एसोसिएशन
जवाब: इन्वेस्टर समिट निवेशकों के लिए खुला मंच है। सरकार की औद्योगिक नीति में निवेशकों का विशेष ध्यान रखा जाता है। उद्योगपतियों की समस्याओं को लेकर सरकार संजीदा है।
सवाल : प्रदेश सरकार कूड़ा प्रबंधन को लेकर क्या कर रही है। दून में डंपिंग साइट कब तक विकसित हो पाएगा। - डॉ. महेश भंडारी, अध्यक्ष दून रेजीडेंस वेलफेयर फ्रंट
जवाब : शीशमबाड़ा सॉलिड वेस्ट मैंनजमेंट पर बड़े पैमाने पर कार्य चल रहा है। निकट भविष्य में पूरे शहर से निकलने वाले कचरे का निस्तारण तो होगा ही इससे खाद भी बनेगी।
सवाल : दून में वायु प्रदूषण का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। - अनूप नौटियाल, संस्थापक अध्यक्ष गति फाउंडेशन
जवाब : वायु प्रदूषण के मामले में दून कुछ बिंदुओं में निर्धारित मानकों से काफी पीछे रहा। आमजन को भी पर्यावरण संरक्षण में भागीदार बनना होगा।