माय सिटी माय प्राइडः 11 मुद्दे और इनके समाधान
धाद संस्था के सचिव तन्मय ममगांई ने सहमति दी कि संस्था की ओर से ऐसे 20 विद्यालय (10 माध्यमिक व 10 जूनियर-प्राथमिक स्तर) चयनित कर वहां बच्चों को खेल सामग्री प्रदान करने के मद्देनजर प्रस्ताव तैयार किया जाएगा।
देहरादून। 'दैनिक जागरण' की पहल 'माय सिटी माय प्राइड' महाभियान के तहत हुई नौ राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस में शहर के 11 मुद्दे चिह्नित किए गए। विभिन्न संस्थाओं और कंपनियों के साथ ही सरकार के स्तर से इनके समाधान की दिशा में प्रयास शुरू कर दिए गए हैं।
1-शिक्षा
मुद्दा :- शहर के सरकारी स्कूलों में आधारभूत सुविधाओं, मसलन फर्नीचर, पुस्तकें, कंप्यूटर, शुद्ध पानी के लिए वाटर प्यूरीफायर-वाटर कूलर जैसे संसाधनों का अभाव है। इनके समाधान को प्रत्येक स्तर पर कदम उठाने की जरूरत है।
समाधान- शहर के 10 स्कूलों में कंप्यूटर, फर्नीचर, पुस्तकें, वाटर प्यूरीफायर। इनमें से जहां भी जिसकी जरूरत होगी, उसके हिसाब से देने पर धाद संस्था प्रस्ताव तैयार कर ओएनजीसी को भेजेगी। साथ ही अन्य कंपनियों व संस्थाओं को भी सीएसआर के तहत मदद के लिए प्रस्ताव भेजे जाएंगे।
मुद्दा- सरकारी विद्यालयों में खेल सामग्री का अभाव प्रतिभाओं की राह में बाधक बन रहा है। ऐसे में प्रतिभाओं को आगे लाने को खेल सामग्री मुहैया कराना आवश्यक है।
समाधान- धाद संस्था के सचिव तन्मय ममगांई ने सहमति दी कि संस्था की ओर से ऐसे 20 विद्यालय (10 माध्यमिक व 10 जूनियर-प्राथमिक स्तर) चयनित कर वहां बच्चों को खेल सामग्री प्रदान करने के मद्देनजर प्रस्ताव तैयार किया जाएगा। यह प्रस्ताव यूजेवीएनएल को भेजा जाएगा और यूजेवीएनएल ने सीएसआर के तहत इसमें मदद मुहैया कराने पर सहमति जताई है।
मुद्दा :- शहर में एक बड़ी आबादी ऐसी भी है, जो आर्थिक रूप से कमजोर है और इसी कारण उसके बच्चे अच्छे स्कूलों में दाखिला नहीं ले पाते। यही नहीं, जेलों से छूटने वाले बच्चों के पुनर्वास का भी बड़ा सवाल खड़ा है।
समाधान :- गरीब बच्चों को अच्छे स्कूलों में दाखिला दिलाने के मद्देनजर मनुर्भव संस्था उन्हें इस लायक तैयार करेगी। इसके लिए वह बस्तियों के बच्चों को चयनित कर उन्हें गुणवत्तायुक्त शिक्षा वाले स्कूलों में दाखिले की तैयारी कराएगी। सुद्धोवाला में यह पहल प्रारंभ कर दी गई है। इसके अलावा जेल से छूटने वाले बच्चों को मुख्यधारा में लाने को उनके पुनर्वास के लिए प्रस्ताव तैयार करेगी। यह प्रस्ताव सीएसआर के तहत ओएनजीसी को भेजा जाएगा।
2- इन्फ्रा
मुद्दा :- कचरा निस्तारण दून में भी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। शहर से रोजाना तीन सौ मीट्रिक टन कचरा निकलता है। यदि इसमें से जैविक कचरे का उपयोग खाद में हो जाए तो सोने में सुहागा। ऐसे में कूड़ा-कचरा निस्तारण को हर स्तर पर प्रयास की दरकार महसूस की जा रही है।
समाधान :- यूजेवीएनएल की ओर से आश्वस्त किया गया है कि वह सीएसआर फंड से शहर की विभिन्न कॉलोनियों में 10 कंपोस्टिंग यूनिट लगवाएगा। इस मुहिम में दून रेजीडेंट्स वेलफेयर फ्रंट मदद करेगा।
मुद्दा :- शहर में फुटपाथ, ड्रेनेज सिस्टम, फ्री लेफ्ट टर्न, खस्ताहाल सड़कें, बढ़ती आबादी के हिसाब से कम पड़ती सड़कों की चौड़ाई, अतिक्रमण, बिजली के तारों का जाल जैसी दिक्कतों से शहरवासी दो-चार हो रहे हैं।
समाधान :- इस सिलसिले में मुख्यमंत्री, शहरी विकास मंत्री, जिले के प्रभारी मंत्री के साथ ही विधायकों ने भरोसा दिलाया है कि इन समस्याओं के निदान को चरणवार कदम उठाए जाएंगे।
मुद्दा :- स्वच्छता की मुहिम में स्कूल और स्कूली बच्चे अहम भूमिका निभा सकते हैं, लेकिन इसके लिए स्कूलों को मॉडल बनाना होगा।
समाधान :- पायलट प्रोजेक्ट के तहत गति फाउंडेशन द्वारा तीन स्कूलों का चयन किया गया है, जिन्हें प्लास्टिक फ्री स्कूल बनाया जाएगा। इसके तहत वर्षभर विभिन्न कार्यक्रम संचालित किए जाएंगे। यूजेवीएनएल ने इस मुहिम में सीएसआर के तहत सहयोग देने पर सहमति दी है।
मुद्दा :- शहर में सार्वजनिक शौचालयों की कमी है, जिससे लोगों को दिक्कतें उठानी पड़ती हैं। लिहाजा, सार्वजनिक शौचालयों के विस्तार की जरूरत है।
समाधान :- देहरादून पुलिस ने पूर्व में सर्वे कर विभिन्न स्थानों पर टॉयलेट बनाने की जगह चिह्नित की थी। गति फाउंडेशन और पुलिस इस संबंध में प्रस्ताव तैयार करेंगे। विधायकों ने इसके लिए बजट की व्यवस्था का भरोसा दिलाया है। यूजेवीएनएल ने भी सीएसआर के तहत इसमें सहयोग का आश्वासन दिया है।
3- सुरक्षा
मुद्दा :- साइबर क्राइम से दून भी अछूता नहीं है। जानकारी के अभाव में तमाम लोग साइबर ठगों का निशाना बनकर जीवनभर की जमा पूंजी गंवा रहे हैं। ऐसे में जरूरी है कि जनता को जागरूक किया जाए।
समाधान :- वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसटीएफ रिद्धिम अग्रवाल ने राजधानी की विभिन्न कॉलोनियों में प्रत्येक पखवाड़े में जागरूकता कार्यशालाओं के आयोजन पर सहमति जताई है। इनमें एसटीएफ के एक्सपर्ट लोगों को साइबर क्राइम और इससे बचने के गुर सिखाएंगे। पहली कार्यशाला 25 सितंबर को शास्त्रीनगर में शास्त्रीनगर जनकल्याण समिति के सहयोग से संचालित की जाएगी।
मुद्दा :- शहर की सुरक्षा के मद्देनजर दून को सीसीटीवी कैमरों से आच्छादित करना समय की मांग है। इसके लिए सरकारी और निजी क्षेत्र, दोनों को ही पहल करनी होगी।
समाधान :- शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने भरोसा दिलाया कि एक साल में पूरा शहर सीसीटीवी कैमरों से आच्छादित होगा। इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के अध्यक्ष पंकज गुप्ता ने भी कॉलोनियों के लिए 10 सीसीटीवी कैमरे देने का भरोसा दिया है। इस कड़ी में दून रेजीडेंट्स वेलफेयर फ्रंट कॉलोनी का चयन करेगा। यही नहीं, शहर के विधायकों ने भी सीसी कैमरों के लिए विधायक निधि से राशि देने पर सहमति जताई है।
4- स्वास्थ्य
मुद्दा :- सरकारी स्कूलों में स्वास्थ्य परीक्षण और स्वास्थ्य जागरूकता को लेकर शिविरों का आयोजन होना चाहिए।
समाधान :- श्री महंत इंदिरेश अस्पताल, दून नर्सिंग होम, एचआइएचटी के जरिये शहर के स्कूलों के साथ ही विभिन्न स्थानों पर समय-समय पर स्वास्थ्य जांच शिविर लगाए जाएंगे।
5- इकोनॉमी
मुद्दा :- उद्योग जगत की ओर से बात सामने आई है कि यहां कुशल श्रमिकों की कमी है।
समाधान- युवाओं के कौशल विकास के मद्देनजर प्रशिक्षण देने के लिए कैंप आयोजित किए जाने चाहिए। इस संबंध में इंडस्ट्रीज एसोसिएशन आफ उत्तराखंड से विमर्श कर कौशल विकास को प्रस्ताव भेजे जाएंगे।