देहरादून: उत्तराखंड की राजधानी होने से मिली आर्थिक विकास को गति
उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय, दून विश्वविद्यालय और श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय विभिन्न ट्रेड में युवाओं को दक्ष बनाने की योजना पर कार्य कर रहे हैं।
वक्त सदैव गतिशील रहता है और परिवर्तन इसका नियम है। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून इससे अछूता नहीं है। कभी लीची, बासमती और चाय बागानों के लिए खास पहचान रखने वाला दून अब मेट्रोपॉलिटिन कल्चर में ढल रहा है। पारंपरिक बाजार के साथ जगह बनाते मल्टीप्लेक्स, आलीशान मॉल, विकसित होती इंडस्ट्रियल बेल्ट और शिक्षा हब बनने से यहां की अर्थव्यवस्था को चार चांद लगे हैं। शिक्षा का केंद्र होने के कारण दून में हॉस्टल व्यवसाय भी विकास कर रहा है। राजधानी बनने से भी देहरादून के आर्थिक विकास को गति मिली है।
अपने शहर को शानदार बनाने की मुहिम में शामिल हों, यहां करें क्लिक और रेट करें अपनी सिटी
मल्टीप्लेक्स, मॉल और हॉस्टल ने बदली तस्वीर
वर्ष 2000 में उत्तराखंड अलग राज्य के तौर अस्तित्व में आया और देहरादून को अस्थाई राजधानी का दर्जा मिला। तब से अब तक काफी कुछ बदल गया है। ब्रिटिश काल में सेना के लिए स्थापित पलटन बाजार ही यहां के लोगों के लिए खरीदारी के साथ-साथ खरीदारी का एक मात्र केंद्र होता था।
वर्ष 2000 तक इस तस्वीर में कोई खास परिवर्तन नहीं हुआ, लेकिन इसके बाद दून राजधानी बनी और सरकार के साथ ही शासन के आला-अफसर और कर्मचारियों की तादाद भी बढ़ गई। शिक्षा और तकनीकी शिक्षा संस्थानों की बाढ़ आई तो हॉस्टल व्यवसाय फलने फूलने लगा। इसी के साथ मॉल और मल्टीप्लेक्स भी शहर में आये । आज शहर में नौ मल्टीप्लेक्स और दो दर्जन से ज्यादा शॉपिंग मॉल हैं। जीएसटी भरने वालों में दून अग्रणी है।
औद्योगिक विकास
पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए यहां 'दून वैली नोटिफिकेशन' लागू है। इससे औद्योगिक गतिविधियां एक दायरे में सीमित हैं। राज्य गठन के दौरान नवंबर 2000 तक देहरादून में कुल 2321 सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग थे। इनमें 88.2 करोड़ का निवेश था और 7232 लोगों को रोजगार मिला हुआ था।
इसके बाद औद्योगिक क्षेत्र में शहर ने बड़ी छलांग लगाई है। राज्य सरकार ने पटेलनगर अलावा सेलाकुई को औद्योगिक क्षेत्र के लिए चुना। जहां करीब 500 सौ बीघा भूमि औद्योगिक इकाइयों को आवंटित की गई।
ये उद्योग चल रहे हैं दून औद्योगिक क्षेत्र में
वर्तमान में दून औद्योगिक क्षेत्र में केमिकल तरल पदार्थ, दवा, इलेक्ट्रॉनिक सामान, कपड़े, जूते, सौंदर्य का सामान, पेपर मिल, चमड़ा उद्योग सुचारू रूप से चल रहे हैं।
उद्योगों के अनुरुप तैयार हो रहा मानव संसाधन
उद्योग बढ़ने के साथ ही कुशल मानव संसाधन की मांग भी बढ़ी। इसके लिए औद्योगिक इकाईयों ने सरकार से मांग की युवाओं को उद्योगों की जरूरत के अनुरुप प्रशिक्षित किया जाए। यहां उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय, दून विश्वविद्यालय और श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय विभिन्न ट्रेड में युवाओं को दक्ष बनाने की योजना पर कार्य कर रहे हैं।
दून में उद्योगों की स्थिति
बड़े उद्योग -
- 10 करोड़ से अधिक निवेश वाले- 20- 31 मई, 2018 तक
-निवेश - 519.96 करोड़
- रोजगार- 4479
- एमएसएमई (सूक्ष्म व लघु उद्योग) - 5816 (31 मई, 2018 तक )
- निवेश 1000.51 करोड़
- रोजगार- 39946
फैशन ट्रेंड के मामले में देहरादून है आगे
दूसरे शहरों के मुकाबले दून में औद्योगिक उत्पादन भले ही कम हो, लेकिन उपभोक्ताओं की तादाद में कोई कमी नहीं है। ब्रांडेड के शौकीन युवा फैशन के भी दीवाने हैं। यही वजह है कि दून को न्यू फैशन ट्रेंड के मामले में देश के दस शीर्ष शहरों में गिना जाता है। मुंबई और दिल्ली के बाद स्टाइलिश कपड़ों की सर्वाधित डिमांड दून में है। इसे देखते हुए देश-विदेश के सभी ब्रांडेड कपड़ों के शोरूम यहां मौजूद हैं। प्रदेश व्यापार संघ के अध्यक्ष अनिल गोयल के अनुसार दून में छह हजार से अधिक व्यापारिक प्रतिष्ठान हैं। जबकि दो दर्जन के करीब बड़े शॉपिंग मॉल हैं।
दून में खेती है चिंता का विषय
परिवर्तन अपने साथ चुनौतियां भी पेश करता है। यह दून के साथ भी हो रहा है। देहरादूनी लीची और बासमती की खुशबू कम हुई है। कृषि का रकबा लगातार कम हो रहा है। इसके अलावा सबसे बड़ी चुनौती है पर्यावरण के अनुकूल उद्योगों को स्थापित करना। दरअसल, सम्यक विकास की अवधारणा को धरातल पर उतारना अब भी किसी चुनौती से कम नहीं है।