सुभारती मेडिकल कॉलेज से शिफ्ट होंगे एमबीबीएस छात्र
श्रीदेव सुमन सुभारती मेडिकल कॉलेज के एमबीबीएस छात्रों को अन्य कॉलेजों में शिफ्ट किया जा सकता है। छात्र प्रदेश के अन्य मेडिकल कॉलेजों में शिफ्ट किए जाएंगे।
देहरादून, जेएनएन। श्रीदेव सुमन सुभारती मेडिकल कॉलेज के एमबीबीएस छात्रों को अन्य कॉलेजों में शिफ्ट किया जा सकता है। सरकारी कोटा के तहत दाखिला लेने वाले छात्र प्रदेश के तीन राजकीय मेडिकल कॉलेजों व मैनेजमेंट कोटा वाले निजी कॉलेजों, एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज व हिमालयन इंस्टीट्यूट में शिफ्ट किए जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल स्टेटस रिपोर्ट में इसका उल्लेख किया गया है।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि एचएनबी चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हेमचंद्र की अध्यक्षता में गठित छह सदस्यीय समिति ने कॉलेज का निरीक्षण किया। समिति के अनुसार, मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में अवस्थापना एमसीआइ के मानकों के अनुरूप नहीं है। प्राध्यापकों के 22 फीसद और एसआर-जेआर के 12 फीसद पद रिक्त हैं। मानकों को पूरा करने में सरकार को भी दो से तीन वर्ष का समय लग जाएगा। वर्तमान समय में यहां एमबीबीएस की पढ़ाई मुमकिन नहीं है।
बताया गया कि हाल में यहां दो वर्ष के छात्र अध्ययनरत हैं। प्रत्येक वर्ष 75 छात्रों को सरकारी व 75 को मैनेजमेंट कोटा के तहत दाखिला दिया गया है। जिन कॉलेजों में इन छात्रों को शिफ्ट किया जाना है, वहां कोई सीट रिक्त नहीं है। पर सरकार का मानना है कि यही एकमात्र रास्ता दिखाई पड़ता है। यह सुझाव दिया है कि एमसीआइ से अनुरोध किया जाए कि अस्थायी व्यवस्था के तहत इन कॉलेजों में सीट आवंटन किया जाए। यह भी कहा गया है कि इस दौरान सुभारती मेडिकल कॉलेज में व्यवस्था बनाई जाएंगी। बता दें, गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई होनी थी। कोर्ट ने एमसीआइ से रिपोर्ट मांगी है। जिस पर एमसीआइ ने कुछ वक्त मांगा है। अब अगली सुनवाई 16 जनवरी को होगी।
सीट विभाजन का फार्मूला
कॉलेज------------------वर्तमान सीट-----एडहॉक सीट अलॉटमेंट
दून मेडिकल कॉलेज------150-----------25 प्रथम व 25 द्वितीय वर्ष।
श्रीनगर मेडिकल कॉलेज--100----------25 प्रथम व 25 द्वितीय वर्ष।
हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज-100---------25 प्रथम व 25 द्वितीय वर्ष।
एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज--150---38 प्रथम व 38 द्वितीय वर्ष।
हिमालयन इंस्टीट्यूट-------100---------37 प्रथम व 37 द्वितीय वर्ष।
बिना मान्यता चल रहा पैरामेडिकल कॉलेज
रास बिहारी बोस सुभारती विवि छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है। सरकार द्वारा दाखिल स्टेटस रिपोर्ट में इसका उल्लेख है। विवि द्वारा संचालित पैरामेडिकल कॉलेज को उत्तराखंड पैरामेडिकल काउंसिल की मान्यता तक नहीं है।
टीम ने निरीक्षण के दौरान पाया कि पैरामेडिकल कॉलेज संचालित करने के लिए यहां कोई अलग बिल्डिंग तक नहीं है। पैरामेडिकल कोर्स के लिए भी एमबीबीएस की ही प्रयोगशालाओं का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह प्रयोगशालाएं भी मानकों के अनुरूप नहीं हैं। उस पर फिजियोथेरेपी लैब में भी उपकरण की कमी व इसे भी मानकों के अनुरूप नहीं पाया गया। स्थिति यह कि पैरामेडिकल कोर्स के लिए अलग लेक्चर हॉल भी नहीं है। इसका भी पैरामेडिकल व एमबीबीएस छात्रों के लिए संयुक्त इस्तेमाल किया जा रहा है। पैरामेडिकल कोर्स के लिए आवश्यक शिक्षकों की संख्या भी पूरी नहीं है। जो शिक्षक हैं, उनमें अधिकांश आवश्यक अर्हता पूरी नहीं करते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि मेडिकल कॉलेज परिसर में ही ग्यारह अन्य कॉलेज संचालित किए जा रहे हैं। इसी परिसर में रास बिहारी बोस सुभारती यूनिवर्सिटी का ऑफिस भी है। जिस तरह की स्थिति है, कई छात्रों का भविष्य दाव पर है।
विश्वविद्यालय की वैधता पर भी सवाल
सरकार द्वारा दाखिल स्टेटस रिपोर्ट में रास बिहारी बोस सुभारती विवि को लेकर भी सवाल उठाए गए हैं। कहा गया कि यूजीसी के मानकों के तहत विवि की स्थापना के लिए प्रस्तावक के खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं होना चाहिए। पर प्रस्तावक, डॉ. जगत नारायण सुभारती चैरिटेबल ट्रस्ट के मैनेजिंग ट्रस्टी के खिलाफ यूपी में मामला दर्ज है। इस प्रस्ताव के समर्थन में उनकी पत्नी ने शपथ पत्र दिया। उनके खिलाफ देहरादून के एडीजी कोर्ट में मामला विचाराधीन है।
यह भी पढ़ें: सुभारती मेडिकल कॉलेज के एमबीबीएस छात्र दुविधा में, जानिए वजह
यह भी पढ़ें: सुभारती मेडिकल कॉलेज से दो माह का रिकॉर्ड तलब, जानिए वजह