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    कोटद्वार की महापौर हेमलता बोलीं, पद से जबरन हटाया तो जाऊंगी कोर्ट

    By BhanuEdited By:
    Updated: Sat, 08 Feb 2020 09:11 AM (IST)

    कोटद्वार की महापौर हेमलता नेगी ने कहा कि भाजपा सरकार उन्हें लगातार पद से हटाने की साजिश रच रही है। यदि उन्हें जबरन महापौर पद से हटाया गया तो वह कोर्ट की शरण लेंगी।

    कोटद्वार की महापौर हेमलता बोलीं, पद से जबरन हटाया तो जाऊंगी कोर्ट

    देहरादून, राज्य ब्यूरो। सरकारी भूमि पर अतिक्रमण मामले में घिरीं नगर निगम कोटद्वार की महापौर हेमलता नेगी को पद से हटाने के मद्देनजर शासन द्वारा भेजे गए कारण बताओ नोटिस से सियासत गर्माने के आसार बन गए हैं। नोटिस में महापौर को सप्ताहभर के भीतर स्पष्टीकरण शासन को उपलब्ध कराने को कहा गया है। ऐसा न होने पर अभिलेखों व साक्ष्यों के आधार पर अग्रेत्तर कार्यवाही की चेतावनी दी गई है। 

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    उधर, महापौर हेमलता नेगी का कहना है कि उन्हें अभी नोटिस नहीं मिला है, लेकिन उनकी ओर से चुनाव के दरम्यान ही अतिक्रमण को लेकर स्थिति स्पष्ट कर दी गई थी। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार उन्हें लगातार पद से हटाने की साजिश रच रही है। यदि उन्हें जबरन महापौर पद से हटाया गया तो वह कोर्ट की शरण लेंगी।

    नगर निगम कोटद्वार की महापौर हेमलता नेगी पर नगर निगम चुनाव का नामांकन दाखिल करने के दौरान सरकारी भूमि पर अतिक्रमण का आरोप है। शासन द्वारा जिलाधिकारी पौड़ी से कराई गई जांच में नजूल भूमि पर अतिक्रमण व निर्माण की पुष्टि हुई। इस मामले में पिछले वर्ष एक नवंबर को शासन ने महापौर को नोटिस जारी किया। 

    तब महापौर के जवाब के बाद पुन: परीक्षण कराया गया और इसमें निर्वाचन के दौरान कोटद्वार में नजीबाबाद रोड पर नजूल भूखंड में अवैध निर्माण व अतिक्रमण की पुष्टि हुई। अब शासन ने महापौर को पद से हटाए जाने के मद्देनजर कारण बताओ नोटिस जारी किया है।

    कोटद्वार की महापौर नेगी कांग्रेस नेता एवं पूर्व मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी की धर्मपत्नी हैं। अब उन्हें पद से हटाए जाने संबंधी नोटिस से सियासत भी गर्मा गई है। नोटिस के संबंध में पूछने पर महापौर हेमलता नेगी ने पूरे मामले को राजनीतिक करार दिया। नेगी ने कहा कि नामांकन पत्र दाखिल करने के दौरान उन्होंने स्पष्ट कर दिया था कि उनका बरामदा अतिक्रमण की जद में है और वह जल्द इसे हटा देंगी।

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    नेगी के अनुसार चुनाव के दौरान ही उन्होंने अतिक्रमण हटा दिया था और इसके बाद ही उन्हें चुनाव लड़ने की अनुमति मिली। अब प्रदेश की भाजपा सरकार उन्हें पद से हटाने की साजिश रच रही है। उन्होंने यह भी कहा कि अतिक्रमण का प्रकरण उच्च न्यायालय में विचाराधीन है। जब तक न्यायालय से कोई निर्णय नहीं होता, तब तक उन्हें पद से नहीं हटाया जा सकता।

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