Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उत्‍तराखंड में 500 एकड़ सरकारी जमीन गायब, जांच पड़ताल में सामने आया नया खेल

    Updated: Fri, 05 Sep 2025 03:22 PM (IST)

    देहरादून में खनन पट्टों के लिए आवंटित 500 एकड़ से अधिक भूमि गायब है। 1985 में खनन पर रोक के बाद भूमि जिलाधिकारी की कस्टडी में दी गई थी लेकिन सरकारी तंत्र ने कब्जा नहीं लिया। अब इस भूमि पर आलीशान रिसॉर्ट बन गए हैं। जिलाधिकारी ने मामले की जांच का आश्वासन दिया है। नीचे विस्‍तार से पढ़ें पूरी खबर।

    Hero Image
    जांच पड़ताल में सामने आया खनन की भूमि का नया खेल। प्रतीकात्‍मक

    सुमन सेमवाल, देहरादून। राजधानी देहरादून में एक ऐसा जमीन घोटाला सामने आता दिख रहा है, जिसका आंकड़ा सन्न करने वाला है। खनन पट्टों के रूप में जिस भूमि को विभिन्न कंपनियों को लीज पर दिया गया था, उनकी स्थिति का आज कहीं अता-पता नहीं है। जमीन का यह आंकड़ा महज कुछ बीघा नहीं, बल्कि 500 एकड़ से अधिक है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    देहरादून और मसूरी क्षेत्र म वर्ष 1960 के दशक में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआइ) लखनऊ ने 500 एकड़ से अधिक भूमि पर खनन के पट्टे आवंटित किए थे। खनन क्षेत्रों का जीएसआइ ने बकायदा नक्शा भी तैयार किया था।

    हालांकि, वर्ष 1985 में सुप्रीम के तत्कालीन न्यायाधीश न्यायमूर्ति पीएन भगवती ने (रिट संख्या 8209 और 8202) ने दूनघाटी में खनन पर रोक लगा दी थी। समस्त भूमि को जिलाधिकारी देहरादून की कस्टडी में दिया गया था। ताकि जमीन के पुनरुद्धार से लेकर प्रबंध के अन्य कार्य किए जा सकें।

    सीधे शब्दों में कहें तो समस्त भूमि सरकार के नियंत्रण में वापस आ गई थी। लेकिन, सरकारी तंत्र ने खनन से संबंधित भूमि पर वास्तवित कब्जा नहीं लिया। यह सब जानबूझकर किया गया या लापरवाही इसकी वजह रहा, लेकिन अब खनन से संबंधित भूमि लगभग पूरी तरह कब्जे की जद में है। ऐसी जमीनों पर आलीशान रिसार्ट से लेकर होटल आदि तक खड़े किए जा चुके हैं।

    इन क्षेत्रों में थी खनन पट्टों की भूमि

    हाथीपांव, बनोग, अलीपुर रोड, हरिद्वार रोड, क्यारकुली, भितरली, रिखोली, सेरा गांव, चामासारी, बांडवाली, सहस्रधारा, धनौला, लंबीधार, मसूरी (पालिका के आंतरिक और बाह्य क्षेत्र), तिमली, कार्लीगाड़, सेरा बसवाल, मसूरी रोड, सेलाकुई, आर्केडिया ग्रांट, बंदवाली शिमली मान सिंह, सहारनपुर रोड, पटेल नगर।

    दूनघाटी की संवदेनशीलता पर दिया गया था आदेश

    मौजूदा समय में मानसून सीजन में भारी वर्षा से उत्तराखंड के कच्चे पहाड़ों के पार्टी चिंता बढ़ा दी है। जगह-जगह भूस्खलन को देखते विशेषज्ञ हुए संवेदनशील क्षेत्रों अनियोजित निर्माण पर अंकुश लगाने की सलाह दे रहे हैं। हालांकि, दूनघाटी में जिस तरह खनन को बंद कर पर्यावरणीय मानकों का पालन कराया गया था, वह भी धरातल पर सिरे से गायब है।

    नान जेडए की है जमीन, सरकार का है स्वामित्व

    खनन पट्टों से संबंधित भूमि नान जेडए की है। जिस पर पूरी तरह सरकार का स्वामित्व होता है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि खनन को बंद कर जिस भूमि को सरकार के नियंत्रण में दिया गया था, वह कैसे खुर्दबुर्द कर दी गई।

    ईको टास्क फोर्स को भी दी थी संरक्षण को भूमि

    खनन कार्य बंद कर दिए जाने के बाद बंजर हो चुकी भूमि के पुनरुद्धार के लिए संरक्षण की जिम्मेदारी ईको टास्क फोर्स को भी दी गई थी। कई सालों की मेहनत के बाद टास्क फोर्स न जमीन को हराभरा किया। यह कार्य विशेषकर मसूरी की निचली पहाड़ियों पर किया गया।

    हालांकि, इस कार्य के पूरे होते ही जमीन खुर्दबुर्द की जाने लगी। ईको टास्क फोर्स को दी गई भूमि की धरातलीय स्थिति से ही साफ होता है कि खनन कार्यों से मुक्त कराई गई जमीनों का क्या हश्र किया गया है।

    खनन कार्यों से संबंधित भूमि की धरातलीय स्थिति को लेकर अभी कोई रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है। यदि भूमि को खुर्दबुर्द किए जाने को लेकर कोई जानकारी समाने आती है तो पुराने रिकार्ड के आधार पर जांच कराई जाएगी। - सविन बंसल, जिलाधिकारी, देहरादून

    comedy show banner
    comedy show banner