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    UCC: मैरिज रजिस्‍ट्रेशन में इन लोगों को परेशानी, लिव इन में रहने वाले जोड़ों को मिली राहत

    Updated: Thu, 30 Oct 2025 04:48 PM (IST)

    समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू होने से विवाह पंजीकरण अनिवार्य है, जिसमें कुछ समुदायों को परेशानी हो रही है। प्रदेश में समान नागरिक संहिता के अंतर्गत लिव इन में रहने वाले जोड़ों के संबंध में उनके अभिभावकों को भी सूचना दी जा रही थी। एक्ट में इस संबंध में भी बदलाव किया जा रहा है।

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    समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद केवल पोर्टल पर हो रहे हैं पंजीकरण। प्रतीकात्‍मक

    विकास गुसाईं, जागरण, देहरादून। प्रदेश में समान नागरिक संहिता लागू हो चुकी है। प्रदेश सरकार ने अनुसूचित जनजातियों को संहिता के दायरे से बाहर रखा है। इसका उद्देश्य उनकी परंपराओं और संस्कृति का संरक्षण बताया गया है, लेकिन केवल समान नागरिक संहिता पोर्टल में ही विवाह पंजीकरण की बाध्यता अब इन पर भारी पड़ रही है। इनके विवाह पंजीकरण प्रमाण पत्र नहीं बन पा रहे हैं। ये प्रमाण पत्र विरासत, जमीन की रजिस्ट्री समेत अन्य सरकारी योजनाओं के लिए जरूरी होते हैं। इसे देखते हुए अब अनुसूचित जनजातियों की सहूलियत के लिए संबंधित एक्ट में बदलाव की तैयारी चल रही है।

    प्रदेश सरकार ने इसी वर्ष फरवरी से समान नागरिक संहिता लागू की है। इस संहिता के दायरे में अनुसूचित जनजातियों के छोड़ शेष प्रदेश के निवासी आते हैं। संहिता लागू होने के बाद विवाह पंजीकरण, लिव इन पंजीकरण, विरासत जैसे कार्य समान नागरिक संहिता के पोर्टल के जरिये ही किए जा रहे हैं। समान नागरिक संहिता लागू होने से पहले प्रदेश के निवासी रजिस्ट्रार कार्यालय में विवाह का पंजीकरण कराते थे।

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    समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद यह व्यवस्था भी बंद कर दी गई। चूंकि, अनुसूचित जनजातियां संहिता के दायरे से बाहर हैं तो उन्हें विवाह पंजीकरण कराने में दिक्कतें आ रही हैं। ऐसे में गृह विभाग इस समस्या के निराकरण के लिए विस्तृत अध्ययन कर रहा है। यह देखा जा रहा है कि किस तरह जनजातियों के विवाह पंजीकरण की व्यवस्था हो सकती है। साथ ही, इस बात पर भी ध्यान दिया जा रहा है कि उनके अन्य हित इससे प्रभावित न हों।

    इसके अलावा संहिता में कई ऐसे बिंदु हैं जो पहले से ही केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए विभिन्न एक्ट में भी शामिल हैं। दोनों एक्ट में व्यवस्था अलग-अलग हैं। इसे देखते हुए भी गृह विभाग को वर्तमान एक्ट में बदलाव की आवश्यकता महसूस हो रही है। एक्ट में बदलाव करने के बाद इससे संबंधित नियमावली में भी बदलाव किया जाएगा।

    लिव इन पर अभिभावकों को नहीं दी जाएगी सूचना

    प्रदेश में समान नागरिक संहिता के अंतर्गत लिव इन में रहने वाले जोड़ों के संबंध में उनके अभिभावकों को भी सूचना दी जा रही थी। वहीं, कुछ प्रकरणों में धर्म गुरूओं से भी प्रमाण पत्र लेने की व्यवस्था थी। हाल ही में हाईकोर्ट में हुई सुनवाई में इन विषयों को निजता के अधिकार का हनन माना गया है। इसे देखते हुए अब लिव इन में रहने वाले जोड़ों के संबंध में उनके स्वजन व माता-पिता को भी सूचना नहीं दी जाएगी। एक्ट में इस संबंध में भी बदलाव किया जा रहा है।

    सचिव गृह शैलेश बगौली का कहना है कि इन सभी विषयों का अध्ययन किया जा रहा है। यह भी देखा जा रहा है कि एक्ट में किसी के निजता के अधिकार का हनन नहीं होने पाए।