Move to Jagran APP

सरकारी अभिलेखों से गायब इस गांव का नहीं हो पाया मंगल, जानिए वजह

पौड़ी जनपद के यमकेश्वर प्रखंड में एक गांव कुनाऊं ऐसा है जहां करीब 350 परिवारों की डेढ़ हजार की आबादी निवास करती है, लेकिन सरकारी अभिलेखों में यह गांव कहीं भी अस्तित्व में नहीं है।

By BhanuEdited By: Published: Mon, 21 Jan 2019 01:17 PM (IST)Updated: Mon, 21 Jan 2019 03:45 PM (IST)
सरकारी अभिलेखों से गायब इस गांव का नहीं हो पाया मंगल, जानिए वजह

ऋषिकेश, जेएनएन।  पौड़ी जनपद के यमकेश्वर प्रखंड में एक गांव कुनाऊं ऐसा  है जहां करीब 350 परिवारों की डेढ़ हजार की आबादी निवास करती है, लेकिन सरकारी अभिलेखों में यह गांव कहीं भी अस्तित्व में नहीं है। इससे ग्रामीणों की मूलभूत समस्याओं का हल भी नहीं हो रहा है। 

loksabha election banner

दरअसल वर्ष 1978 में वन विभाग ने यमकेश्वर के 36 पशुपालकों को यहां गोठ के रूप में 30 वर्ष के लिए भूमि लीज पर आवंटित की थी। तब से यह परिवार यहीं निवासरत हैं। मगर, सरकारी अभिलेखों में कुनाऊं न तो किसी गांव, शहर और ना ही वन ग्राम में ही अस्तित्व में है। 

पांच वर्ष पूर्व राजाजी टाइगर रिजर्व ने अपने गजट नोटिफिकेशन में इस गांव को पार्क से मुक्त भी कर दिया था। मगर, अभी तक इसका सीमांकन नहीं हो पाया। वन विभाग व प्रशासन की सुस्ती का खामियाजा ग्रामीण भुगत रहे हैं।

राजाजी टाइगर रिजर्व की गौहरी रेंज में गंगा से सटे करीब 14 हेक्टेयर क्षेत्रफल में स्थित कुनाऊं कागजों में न तो गांव है, न शहर और ना ही वन ग्राम। यही नहीं कुनाऊं यमकेश्वर प्रखंड के किसी गांव का खंड ग्राम या तोक के रूप में भी सरकारी अभिलेखों में दर्ज नहीं है। 

कुनाऊं में करीब डेढ़ हजार की आबादी वर्तमान में निवासरत है। इसमें करीब दो सौ परिवार वन गुर्जरों के हैं। वर्ष 1978 में यमकेश्वर के ग्रामसभा कोठार, भौन व आसपास के कुछ पशुपालकों को वन विभाग ने यहां गोठ के रूप में पट्टे आवंटित किए थे। इन पट्टों की समय अवधि 30 वर्ष की गई थी। 

मगर, समय के साथ यहां के मूल परिवार बढ़ते गए और यहीं स्थायी रूप से बस गए। वर्तमान में कुनाऊं गांव में करीब 150 परिवार पट्टेधारकों के जबकि 200 परिवार वन गुर्जरों के निवास कर रहे हैं। मगर राजकीय अभिलेखों में कुनाऊं गांव कहीं भी दर्ज नहीं है। पूर्व में कुनाऊं गांव ग्रामसभा कोठार का हिस्सा था, यहां के लोग त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में भी प्रतिनिधित्व करते थे। 

अब कुनाऊं गांव को कोठार ग्राम पंचायत से भी अलग कर दिया गया है। लोकसभा व विधानसभा चुनाव में यहां के लोगों को वोट देने का अधिकार है, लेकिन अपनी छोटी सरकार चुनने का नहीं। हालांकि यह गांव राजाजी टाइगर रिजर्व के अंतर्गत आता है, मगर इसे वन ग्राम का भी दर्जा नहीं है।

करीब छह वर्ष पूर्व राजाजी टाइगर रिजर्व ने अपनी सीमाओं का गजट नोटिफिकेशन जारी किया था। इस नोटिफिकेशन में कुनाऊं गांव के 14 हेक्टेयर क्षेत्र को पार्क से मुक्त कर दिया गया था। हैरानी की बात यह है कि छह वर्ष का समय गुजर जाने के बाद भी इस नोटिफिकेशन के मुताबिक यहां सीमांकन नहीं हो पाया। वन विभाग व प्रशासन की इस लापरवाही का नतीजा ही कहेंगे कि कुनाऊं गांववासी अपने मौलिक अधिकार भी हासिल नहीं कर पा रहे हैं।

चार वर्ष पहले पहुंची गांव में बिजली 

कुनाऊं गांव में महज चार वर्ष पहले ही बिजली पहुंची है। ऋषिकेश से महज पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित कुनाऊं गांव में इससे पहले ग्रामीण सौर ऊर्जा या लैंप के सहारे पर थे। उत्तराखंड की सबसे शानदार चीला जलविद्युत परियोजना का बैराज इस गांव के निकट है और गांव के आगे से चीला जलविद्युत परियोजना के लिए शक्ति नहर गुजरती है। 

बावजूद इसके आजादी के बाद कई वर्षों तक कुनाऊंवासियों को बिजली की सुविधा से महरूम रहना पड़ा। लंबे जनांदोलन के बाद आखिर कुनाऊं में चार वर्ष पूर्व बिजली पहुंची। मगर, पक्की सड़क और अन्य सरकारी योजनाओं के लिए आज भी ग्रामीण तरस रहे हैं।

यह आती है परेशानी 

- गांव में निवासरत लोगों के आय प्रमाण पत्र नहीं बन पाते 

- नौकरी के लिए युवाओं को दस्तावेज तैयार करने में परेशानी 

- मूल गांव के पते पर बनाने पड़ते हैं दस्तावेज, जहां कई वर्षों से वह निवास ही नहीं कर रहे 

- पासपोर्ट में मूल गांव का पता होने पर जांच में आती है परेशानी 

- अब नए राशन कार्ड कुनाऊं के पते पर नहीं बन रहे

- आयुष्मान स्वास्थ्य योजना के गोल्डन कार्ड बनाने में आ रही परेशानी

कुछ दोहरे मापदंड

- कुनाऊं गांव में सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान भी आवंटित है। 

- कुनाऊं गांव में राजकीय प्राथमिक विद्यालय भी है।

- यहां निवासरत गुर्जर परिवारों के बच्चों के लिए एससीईआरटी तीन शिक्षा केंद्र भी संचालित कर रहा है।

- ऊर्जा निगम गांव में बिजली पहुंचा चुका है और सभी ग्रामीणों को स्थायी बिजली के कनेक्शन दिए गए हैं। 

जल्द निकाला जाएगा समस्या का हल 

उप जिलाधिकारी यमकेश्वर किशन नेगी के अनुसार कुनाऊं गांव के किसी गांव में शामिल न होने के कारण इस तरह की परेशानियां पेश आ रही हैं। राजाजी टाइगर रिजर्व के गजट नोटिफिकेशन के संबंध में मुझे जानकारी नहीं है। इस संबंध में तमाम पत्रावलियों का अध्ययन कर ही कुछ कहा जा सकता है। जल्द ही कुनाऊं गांव के मामले में संबंधित पक्षों के साथ बैठक कर समस्या का हल निकाला जाएगा। 

यह भी पढ़ें: रेलवे ओवर ब्रिज बनने के बाद भी नहीं दूर हो रही लोगों की परेशानी

यह भी पढ़ें: इस इलाके में कभी नहीं होती सफाई, खुले में शौच को करते हैं लोग

यह भी पढ़ें: इन क्षेत्र में है समस्याओं का अंबार, नगर निगम बना है लाचार


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.