Move to Jagran APP

उत्तराखंड के इन चार जिलों में लड़नी होगी कुपोषण से जंग

उत्तराखंड के चार जिलों हरिद्वार ऊधमसिंहनगर उत्तरकाशी चमोली में कुपोषण के शिकार लोगों की संख्या काफी ज्यादा है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sun, 02 Sep 2018 04:45 PM (IST)Updated: Sun, 02 Sep 2018 04:45 PM (IST)
उत्तराखंड के इन चार जिलों में लड़नी होगी कुपोषण से जंग
उत्तराखंड के इन चार जिलों में लड़नी होगी कुपोषण से जंग

देहरादून, [जेएनएन]: उत्तराखंड की प्रति व्यक्ति आय का औसत आंकड़ा 1.77 लाख रुपये को पार कर गया है। इस तरह औसत स्तर की आय के हिसाब से कुपोषण जैसे रोग की कल्पना नहीं की जा सकती। जबकि नीति आयोग की पिछली रिपोर्ट पर गौर करें तो पता चलता है कि 13 जिलों वाले छोटे से उत्तराखंड के चार जिले (हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर, उत्तरकाशी, चमोली) कुपोषण का शिकार हैं। पांच वर्ष तक के बच्चों में कुपोषण की पुष्टि होना प्रदेश के भविष्य पर भी बड़े सवाल खड़े करता है। 

loksabha election banner

नीति आयोग की यह रिपोर्ट देश के 170 कुपोषित जिलों पर आधारित है। जनपद संख्या के हिसाब से भले ही उत्तराखंड का स्थान 13वां है, लेकिन राज्य की कुल जनपद संख्या व कुपोषित जनपदों की तुलना करें तो उत्तराखंड के 31 फीसद क्षेत्र में बच्चे कुपोषण का शिकार हैं। जबकि इस मामले में सात जिले कुपोषण का शिकार होने के बाद भी उत्तर प्रदेश में महज नौ फीसद क्षेत्र में बच्चे कुपोषण से ग्रसित हैं। 

अब बात आती है कि कुपोषण के खिलाफ जंग लड़ी जाए तो कैसे। इसका जवाब देते हुए दून चिकित्सालय के बाल रोग विशेषज्ञ (पीडियाट्रिशियन) डॉ. पीएस रावत का कहना है कि पांच वर्ष तक के बच्चों के पोषण का अतिरिक्त ख्याल रखने की जरूरत होती है। आयु व भार के लिहाज से बच्चे को कैलोरी देने की जरूरत पड़ती है। अक्सर देखने में आता है कि ज्यादातर माता-पिता तीन वर्ष तक की उम्र तक भी बच्चों को सिर्फ दूध की मात्रा बढ़ाने पर जोर देते हैं। जबकि एक वर्ष बाद ही बच्चे को दूध के अलावा अन्य खाद्य पदार्थ मिश्रित मात्रा में देने की जरूरत पड़ती है।

इस संतुलन के अभाव में बच्चे का वजन उसकी उम्र के हिसाब से कम रहता है या उसकी लंबाई प्रभावित होने लगती है। वहीं, डॉ. आलोक सेमवाल का कहना है कि अल्प आयु में पोषण का बेहद अहम योगदान होता है। जन्म के कम से कम छह माह तक बच्चे को मां का दूध अनिवार्य रूप से दिया जाना चाहिए। इसके बाद एक वर्ष तक भी मां के दूध के अलावा गाय या भैंस का दूध भी उपयोगी रहता है। इसी क्रम में धीरे-धीरे बच्चे को अन्य तरह के पोषण की भी जरूरत पड़ती है। इसके लिए माता-पिता का जागरुक रहना बेहद जरूरी है। 

कुपोषित जिलों की तस्वीर 

जिले,                  कुपोषित दर,     कम भार,    कम लंबाई 

हरिद्वार              39.80               31           69 

ऊधमसिंहनगर     37.80               42           58 

उत्तरकाशी           35.20              42           58 

चमोली,               33.70              35           65 

यह भी पढ़ें: समृद्ध खानपान फिर भी बच्‍चों को नहीं मिल रहा है पर्याप्त पोषण

यह भी पढ़ें: उत्‍तराखंड में विकास दर में गिरावट थामने की चुनौती


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.