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    सेंट्रल:: कठिन समय में देवदूत बनकर आ रहे युवा

    By JagranEdited By:
    Updated: Mon, 17 May 2021 05:09 AM (IST)

    विकासनगर ऐसे समय में जब कोरोना संक्रमित की मौत पर नाते-रिश्तेदार व पड़ोसी तक साथ नहीं दे रहे हैं ऐसे में पछवादून के कुछ युवाओं का समूह सामाजिक सहयोग दे ...और पढ़ें

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    सेंट्रल:: कठिन समय में देवदूत बनकर आ रहे युवा

    संवाद सहयोगी, विकासनगर: ऐसे समय में जब कोरोना संक्रमित की मौत पर नाते-रिश्तेदार व पड़ोसी तो छोड़िए, स्वजन तक दूरी बना रहे हैं, तब नगर में युवाओं की एक टीम ऐसे शवों के अंतिम संस्कार जिम्मा संभाले हुए है। यह टीम पीपीई किट पहनकर संक्रमित व्यक्ति के शव का जलालिया कोविड श्मशान घाट में पूरे विधि-विधान से अंतिम संस्कार करती है। अब तक टीम ऐसे 11 शवों का अंतिम संस्कार कर चुकी है, जिन्हें हाथ लगाने तक को कोई तैयार नहीं था।

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    बीते शुक्रवार को देर रात संस्था से जुड़े पूर्व जिला पंचायत सदस्य वीरेंद्र सिंह बाबी एवं उनकी टीम को सूचना मिली कि जौनसार-बावर के चकराता तहसील क्षेत्र के एक व्यक्ति की कोरोना संक्रमण से मौत हो गई। इस पर बाबी ने सभी सदस्यों को फोन पर अविलंब अस्पताल में इकट्ठा होने को कहा। उन्होंने ऐसा ही किया और फिर पुलिस व स्वास्थ्य विभाग के दिशा-निर्देशन में शव को श्मशान ले जाकर उसका अंतिम संस्कार किया। इस टीम में मनीष रावत, दीवान चौहान, अमन, सुलेमान अहमद, मुराद हसन, नवाब अली, महेश, हिमांशु नेगी व अनिल चौहान शामिल हैं। गंगा-जमुनी संस्कृति की अनूठी मिसाल कायम कर यह टीम महामारी के मौजूदा दौर में संक्रमित व्यक्ति के परिवारों की राशन, दूध, दवाई व अन्य जरूरतों को भी पूरा कर रही है। टीम के सदस्य अभी तक विकासनगर में 20 से अधिक संक्रमितों को आक्सीजन सिलिंडर, दवाई आदि वितरित कर चुके हैं।

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    टीम के तीन सदस्य मना रहे थे ईद

    जिस समय टीम के सदस्य सुलेमान अहमद, मुराद हसन व नवाब अली को संक्रमित के निधन की सूचना मिली, उस समय वह अपने परिवार के साथ ईद मनाने में व्यस्त थे। बावजूद इसके सूचना मिलने के ठीक 15 मिनट में तीनों मौके पर पहुंच गए। इसके बाद उन्होंने अंतिम संस्कार की प्रक्रिया को पूरा कराया। उनका कहना है बीते माह जब संस्था के अध्यक्ष बाबी ने विधायक मुन्ना सिंह चौहान के दिशा-निर्देशन में टीम का गठन किया, तब रमजान का पवित्र महीना चल रहा था। टीम के तीन सदस्य मुस्लिम समाज से होने के कारण प्रतिदिन रोजा भी रख रहे थे, लेकिन नगर व आसपास के क्षेत्र से मिलने वाली ऐसी सभी सूचनाओं के बाद अंतिम संस्कार के कार्य में वह निरंतर अपना हाथ बंटाते रहे। उनका कहना है कि विपदा के ऐसे समय में जब मनुष्य ही मनुष्य से दूर हो गया हो, तब किसी को तो मानवता का धर्म निभाना ही पड़ेगा।

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    स्वजन के मौजूद न होने पर बाबी देते हैं मुखाग्नि

    टीम के सदस्य मनीष, अनिल व दीवान का कहना है कि विकासनगर क्षेत्र में जहां से भी उन्हें सूचना मिल रही है, पूरी टीम वहां एकत्रित होकर पहले स्वयं को सैनेटाइज करती है। इसके बाद पीपीई किट पहनकर शव को श्मशान ले जाया जाता है। वहां लकड़ी, सामग्री, घी व अन्य जरूरी सामान की पूरी व्यवस्था टीम के माध्यम से ही होती है। शव के साथ कोई स्वजन है तो वही मुखाग्नि देता है, अन्यथा टीम के अध्यक्ष बाबी स्वयं मुखाग्नि देते हैं। अभी तक वो तीन मृतकों को मुखाग्नि दे चुके हैं। बताया कि अंतिम संस्कार के बाद टीम के सभी सदस्य अपनी पीपीई किट, दस्ताने आदि को नष्ट कर कोविड श्मशान किनारे बहने वाली यमुना नदी में स्नान करते हैं। फिर स्वयं को पूरी तरह सैनिटाइज कर घरों को वापस लौटते हैं।