Uttarakhand News: राज्य महिला आयोग ने नारी रिपोर्ट पर पीवैल्यू कंपनी पर कसा शिकंजा, मांगा जवाब
उत्तराखंड राज्य महिला आयोग ने देहरादून को असुरक्षित बताने वाली नारी-2025 रिपोर्ट पर पीवैल्यू एनालिटिक्स कंपनी से स्पष्टीकरण माँगा है। आयोग ने कंपनी के प्रतिनिधियों के जवाबों से असंतुष्ट होकर प्रबंध निदेशक और रिसर्च टीम को दस्तावेजों के साथ पेश होने का आदेश दिया है। आयोग ने रिपोर्ट में कई खामियां पाई हैं और संतोषजनक जवाब न मिलने पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है।

जागरण संवाददाता, देहरादून। उत्तराखंड राज्य महिला आयोग ने देहरादून को महिलाओं के लिए असुरक्षित करार देने वाली राष्ट्रीय वार्षिक रिपोर्ट एवं सूचकांक नारी-2025 को लेकर बड़ा कदम उठाया है। आयोग ने रिपोर्ट जारी करने वाली पीवैल्यू एनालिटिक्स कंपनी पर शिकंजा कसते हुए सभी दस्तावेजों के साथ अगली सुनवाई में प्रबंध निदेशक और पूरी रिसर्च टीम की अनिवार्य उपस्थिति के आदेश दिए हैं।
दरअसल, महिला आयोग ने नारी 2025 रिपोर्ट का इसलिए कड़ा संज्ञान लिया था, क्योंकि उसमें देहरादून को महिलाओं के लिए 10 सर्वाधिक असुरक्षित शहरों में शामिल किया गया था।
सोमवार को आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल की अध्यक्षता में हुई सुनवाई में कंपनी की ओर से प्रतिनिधि मयंक ढैय्या उपस्थित हुए, लेकिन आयोग के सवालों पर वह कोई ठोस जवाब नहीं दे पाए।
मयंक ढैय्या ने आयोग से क्षमा मांगते हुए दलील दी कि यह रिपोर्ट केवल एकेडमिक रिसर्च के लिए है। जिसका उद्देश्य किसी शहर की छवि खराब करना नहीं था।
हालांकि, आयोग उनकी दलीलों से संतुष्ट नहीं हुआ। अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि कंपनी के प्रतिनिधि के पास बुनियादी जानकारी का अभाव है। यह बेहद गंभीर और संदेहास्पद स्थिति है।
यदि रिपोर्ट के पीछे ठोस आधार नहीं है तो यह केवल धारणा-आधारित आंकड़े हैं, जिनसे समाज और महिलाओं की सुरक्षा की वास्तविक तस्वीर को गुमराह किया जा रहा है।
एक सप्ताह में सभी दस्तावेज उपलब्ध कराने के आदेश
आयोग ने कंपनी को सख्त निर्देश दिए हैं कि अगली सुनवाई 15 सितंबर 2025 को प्रबंध निदेशक एवं प्रमुख/सहायक अन्वेषक की उपस्थिति अनिवार्य होगी। रिसर्च और सर्वे से संबंधित सभी दस्तावेज, सर्वे प्रश्नावली, प्रक्रिया, और मीटिंग की मिनट्स रिपोर्ट एक सप्ताह के भीतर आयोग को उपलब्ध कराई जाए।
रिपोर्ट और इंडेक्स पर कई खामियां सामने आईं
महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल किन महिलाओं के बीच सर्वे किया गया, वह वर्किंग वूमेन या गृहिणी, इसका कोई स्पष्ट ब्योरा नहीं है। टेलीफोनिक सर्वे में पूछे गए सवाल सार्वजनिक नहीं किए गए।
एकेडमिक रिसर्च के मानकों और पारदर्शिता की घोर कमी पाई गई है। अध्यक्ष कंडवाल ने चेतावनी दी कि यदि कंपनी संतोषजनक स्पष्टीकरण और प्रमाण प्रस्तुत करने में विफल रहती है, तो आयोग आवश्यक कानूनी कार्रवाई से पीछे नहीं हटेगा।
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