Uttarakhand News: 90 वर्षीय महामंडलेश्वर स्वामी असंगानंद सरस्वती हुए ब्रह्मलीन
दैवीय सम्पद मंडल के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी असंगानंद सरस्वती महाराज 90 वर्ष की आयु में ब्रह्मलीन हो गए। उनके पार्थिव शरीर को परमार्थ निकेतन में रखा गया है। स्वामी चिदानंद सरस्वती और अन्य साधु-संतों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया और इसे एक अपूर्णीय क्षति बताया। स्वामी असंगानंद लंबे समय से अस्वस्थ थे।

परमार्थ निकेतन स्वर्गाश्रम में स्वामी असंगानंद सरस्वती के पार्थिव शरीर पर माल्यार्पण एवं सुमन अर्पित कर भावभीनी श्रद्धांजलि देते संस्था अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती। साभार परमार्थ
जागरण संवाददाता, ऋषिकेश : लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे दैवीय सम्पद मंडल के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी असंगानंद सरस्वती महाराज (90 वर्ष) सोमवार दोपहर को ब्रह्मलीन हो गए। उनके पार्थिव शरीर को स्वर्गाश्रम स्थित परमार्थ निकेतन में रखा गया है।
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने उनके ब्रह्मलीन होने पर गहरा शोक व्यक्त किया। वहीं, ऋषिकेश व हरिद्वार के साधु-संतों ने भी उनके निधन को अपूर्णीय क्षति बताया।
स्वामी असंगानंद पिछले कई महीनों से शारीरिक दुर्बलता, वृद्धावस्था की व्याधियों से ग्रस्त थे। उनका दिल्ली समेत कई बड़े अस्पतालों में उपचार चल रहा था। सोमवार दोपहर एक बजे हरिद्वार स्थित आश्रम में स्वामी ब्रह्मलीन हुए।
शाम को स्वामी के पार्थिव शरीर को परमार्थ निकेतन स्वर्गाश्रम में लाया गया, जहां संस्था अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती, साध्वी भगवती सरस्वती व अन्य संतों ने स्वामी अंसगानंद के पार्थिव शरीर पर भावभीनी श्रद्धासुमन अर्पित किए।
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि स्वामी असंगानंद सरस्वती महाराज ने महज नौ वर्ष की आयु में अपना जीवन महामंडलेश्वर स्वामी शुकदेवानंद सरस्वती महाराज की सेवा में समर्पित कर दिया था।
पहले वे शाहजहांपुर पहुंचे और वहां विद्या-अध्ययन किया।फिर परमार्थ निकेतन ऋषिकेश आए, जहां उन्होंने अध्यापन कार्य व साधना की।
स्वामी चिदानंद ने कहा कि उनका सरल, सहज और सबको अपना बना लेने वाला स्वभाव, उनके चिन्तन, उनके संस्कार, उपदेश और सनातन धर्म की सेवा में उनका अटूट समर्पण सदैव हमारे हृदय में जीवंत रहेगा।
दैवी सम्पद मंडल के माध्यम से जो सेवा, तपस्या, ज्ञान‑प्रसार, सामाजिक सहयोग और धर्मरक्षा के कार्य उन्होंने जीवन पर्यंत किए, वह हम सभी के लिए एक आदर्श, एक प्रेरणा और एक दीपशिखा है।
उनके उपदेश, उनके वचनों में सदैव धर्म, श्रद्धा, कर्म, भक्ति, ज्ञान गूंजता था। पूरे दैवी संपद मंडल एवं सम्पूर्ण परमार्थ निकेतन परिवार की ओर से उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि।
कहा उनकी पुण्य स्मृति सदैव हमारे हृदय में जीवंत रहेगी एवं वे हम सबका मार्गदर्शन करते रहेंगे। पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, पूज्य साध्वी भगवती सरस्वती जी और सभी ऋषिकुमारों ने उनकी आत्मा की शान्ति के लिए दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धाजंलि अर्पित की।
मंगलवार सुबह परमार्थ निकेतन में श्रद्धालु उनके पार्थिव शरीर के दर्शन करेंगे। बता दें कि बीती 15 अक्टूबर को परमार्थ निकेतन परिवार ने स्वामी असंगानंद के 90 वर्ष पूर्ण होने पर उत्सव मनाया था।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।