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    उत्तराखंड में अगले साल खत्म होगा मदरसा बोर्ड, बना अल्पसंख्यक शिक्षा अधिनियम लाने वाला पहला राज्य

    Updated: Wed, 20 Aug 2025 01:56 PM (IST)

    उत्तराखंड में मदरसा बोर्ड अगले साल खत्म हो जाएगा। सरकार ने अल्पसंख्यक शिक्षा अधिनियम विधेयक पेश किया है जिसके तहत सभी अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान एक प्राधिकरण के अधीन होंगे। जबरन मतांतरण पर रोक लगाने के लिए कानून को और कड़ा किया गया है जिसमें 10 लाख तक का जुर्माना और आजीवन कारावास का प्रावधान है। विस्‍तार से नीचे पढ़ें खबर।

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    उत्‍तराखंड के मुख्‍यमंत्री पुष्‍कर सिंह धामी। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, जागरण देहरादून। उत्तराखंड में अगले वर्ष मदरसा बोर्ड खत्म हो जाएगा और मुस्लिम के साथ ही सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन व पारसी अल्पसंख्यकों द्वारा स्थापित किए जाने वाले शैक्षणिक संस्थानों को एक छतरी के नीचे लाया जाएगा। सरकार ने इसके लिए उत्तराखंड अल्पसंख्यक शिक्षा अधिनियम विधेयक सदन में पेश कर दिया है।

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    इसके तहत गठित होने वाला प्राधिकरण ही इन शैक्षणिक संस्थानों को मान्यता देगा। ऐसा करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य हो गया है। इसके साथ ही छांगुर प्रकरण के बाद उत्तराखंड ने भी जबरन मतांतरण कानून को और कड़ा बना दिया है। इसके लिए उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता एवं विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक सदन में रखा है।

    उत्तराखंड अल्पसंख्यक शिक्षा अधिनियम विधेयक पर सदन की मुहर लगने के बाद उत्तराखंड राज्य अल्पसंख्यक शिक्षा प्राधिकरण का गठन किया जाएगा। अभी तक अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान का दर्जा केवल मुस्लिम समुदाय को ही मिलता है, लेकिन अधिनियम के तहत मुस्लिम के साथ ही अन्य अल्पसंख्यक समुदायों सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई व पारसी को भी यह सुविधा मिलेगी।

    यही नहीं मुस्लिम समुदाय के शैक्षिक संस्थानों को मान्यता देने वाले मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम और उत्तराखंड गैर सरकारी अरबी व फारसी मदरसा नियम को अगले वर्ष समाप्त कर दिया जाएगा। अल्पसंख्यक शिक्षा प्राधिकरण से मान्यता प्राप्त संस्थानों में धार्मिक शिक्षा पर रोक नहीं होगी, लेकिन उनका पाठ्यक्रम उत्तराखंड शिक्षा बोर्ड के तय मानकों के अनुरूप होगा। प्राधिकरण में सभी छह अल्पसंख्यक समुदायों को प्रतिनिधित्व मिलेगा।

    जबरन या धोखे से मतांतरण करने अथवा करवाने पर कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लाए गए उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता एवं विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध संशोधन विधेयक में कानून को अधिक सख्त बनाया गया है।

    इसमें व्यक्तिगत व सामूहिक मतांतरण के मामलों में 10 लाख रुपये तक का जुर्माना और आजीवन कारावास का प्रविधान किया गया है। साथ ही सजा व जुर्माना दोनों में बढ़ोतरी की गई है। पहली बार यह प्रविधान भी किया गया है कि मतांतरण के लिए इंटरनेट साइट का इस्तेमाल करने वालों पर आइटी एक्ट के तहत भी कार्रवाई होगी।