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भोले भंडारी हर शिवभक्त की करते हैं मनोकामना पूरी

हरिद्वार जिले के लक्सर के सिमली स्थित प्राचीन शिव मंदिर दो सौ वर्ष पुराना है। मान्‍यता है कि मंदिर में जलाभिषेक करने से भोले-भंडारी हर शिवभक्त की मनोकामना पूरी हो जाती है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 10 Aug 2018 12:20 PM (IST)Updated: Fri, 10 Aug 2018 12:20 PM (IST)
भोले भंडारी हर शिवभक्त की करते हैं मनोकामना पूरी
भोले भंडारी हर शिवभक्त की करते हैं मनोकामना पूरी

देहरादून, [जेएनएन]: हरिद्वार जिले के लक्सर के सिमली स्थित प्राचीन शिव मंदिर दो सौ वर्ष पुराना है। बताया जाता है कि इस मंदिर में शिवलिंग स्वयंभू हैं। इस मान्यता के चलते स्थानीय ग्रामीणों ने अपने प्रयासों से मंदिर का निर्माण कराया था। हर वर्ष महाशिवरात्रि पर मंदिर में भव्य मेला होता है। इसमें दूर-दराज से हजारों शिवभक्त आते हैं। 

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मान्यता

पुजारी अरविंद कुमार शर्मा ने बताया कि मंदिर में जलाभिषेक करने से भोले-भंडारी हर शिवभक्त की मनोकामना पूरी हो जाती है। मंदिर में जलाभिषेक और पूजा-अर्चना करने के लिए नगर समेत गांव एवं दूर दराज से श्रद्धालु आते हैं। मंदिर में सच्चे मन से मनोकामना मांगने पर पूरी होती है। कई श्रद्धालुओं की मन्नते भगवान शिव ने पूरी की है। मन्नते पूरी होने के बाद श्रद्धालु आकर पूजा-अर्चना और भंडारे का आयोजन करते हैं। 

इतिहास

मंदिर में शिवलिंग के खुद प्रकट होने के कारण मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूजा-अर्चना व आशीर्वाद लेने पहुंचते हैं। मंदिर परिसर में पहले कुआं था, लेकिन समय के साथ अब इसका अस्तित्व नहीं रहा है। मंदिर का निर्माण स्थानीय निवासियों ने अपने प्रयासों से किया और वह ही इसकी देखभाल करते हैं। स्वयंभू शिवलिंग प्रकट होने के चलते प्राचीन शिव मंदिर की अपनी विशेषता है। इस मंदिर में उप्र, उत्तराखंड आदि राज्यों के शहरों से श्रद्धालु मन्नत मांगने यहां आते हैं। शिवरात्रि समेत कांवड़ के दौरान यहां विशेष आयोजन होते हैं। श्रद्धालुओं द्वारा भंडारे भी आयोजित किए जाते हैं।

पुजारी अरविंद कुमार शर्मा का कहना है कि मंदिर की बेहद मान्यता है, यहां महादेव स्वयं प्रकट हुए हैं। यही वजह है कि यहां पर शिवभक्तों का पूरे वर्ष आना लगा रहता है, श्रावण मास और महाशिवरात्रि के दिनों में उनकी संख्या में खासा इजाफा हो जाता है। मंदिर में महादेव की सेवा करते हुए मैं दूसरी पीढ़ी का हूं, इससे पहले मेरे पिता सेवाराम महादेव की सेवा में थे।

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