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Lockdown 4.0: देहरादून में ऑड-ईवन फॉर्मूले से चले वाहन, जानिए क्या ऑड-ईवन का मतलब

देहरादून नगर निगम और ऋषिकेश नगर निगम क्षेत्र में बुधवार को निजी चौपहिया वाहन ऑड-ईवन (विषम और सम) फॉर्मूले पर चले।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Wed, 20 May 2020 07:43 PM (IST)Updated: Wed, 20 May 2020 07:43 PM (IST)
Lockdown 4.0: देहरादून में ऑड-ईवन फॉर्मूले से चले वाहन, जानिए क्या ऑड-ईवन का मतलब
Lockdown 4.0: देहरादून में ऑड-ईवन फॉर्मूले से चले वाहन, जानिए क्या ऑड-ईवन का मतलब

देहरादून, जेएनएन। देहरादून नगर निगम और ऋषिकेश नगर निगम क्षेत्र में बुधवार को निजी चौपहिया वाहन ऑड-ईवन (विषम और सम) फॉर्मूले पर चले। वाहनों के संचालन में तारीख के हिसाब से ऑड व ईवन (विषम व सम) की व्यवस्था लागू होगी। बुधवार से ईवन (सम) संख्या वाले वाहनों का संचालन शुरू हुआ। जिन वाहनों की नंबर प्लेट के अंतिम अंक 0, 2, 4, 6 और 8 होंगे, वह बुधवार को चलेंगे। इसी तरह 21 मई को 1, 3, 5, 7 और 9 नंबर वाले निजी चौपहिया वाहन चलेंगे।

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जिलाधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि सार्वजनिक वाहन 50 फीसद यात्री लेकर चलेंगे। हालांकि, इसके लिए परिवहन विभाग इसकी एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर या मानक संचालन प्रक्रिया) का इंतजार किया जा रहा था, जो देर रात तक जारी नहीं की जा सकी थी। हालांकि, फिर बुधवार रात को एसओपी जारी कर दी गई है। बता दें कि  दोपहिया वाहनों पर ऑड-ईवन का नियम लागू नहीं होगा। इसके अलावा राजकीय वाहनों, मालवाहक वाहनों, आवश्यक सेवा में लगे वाहनों और बाहर से पास लेकर आने वाले वाहनों को भी इस व्यवस्था से छूट मिलेगी।

यह है ऑड-ईवन का मतलब

जिन वाहनों की नंबर प्लेट का अंतिम अंक 0, 2, 4, 6 या 8 होगा, उसे ईवन या सम नंबर माना जाएगा। वहीं, अंतिम अंक 1, 3, 5, 7 व 9 वाले वाहन ऑड यानी विषम श्रेणी में आएंगे।

सरकारी कार्मिकों की चिंता, निजी झेलें टेंशन

ऑड-ईवन की व्यवस्था में राजकीय वाहनों को छूट देने का जिक्र है। राजकीय वाहन उन्हें भी माना जाएगा, जो किसी सरकारी कार्मिक का होगा। यदि वह सरकारी काम से सफर कर रहे हैं या कार्यालय आ-जा रहे हैं तो उनके निजी वाहन भी राजकीय श्रेणी में माने जाएंगे। वहीं, जो कार्मिक निजी प्रतिष्ठानों में काम करते हैं, उन्हें इसकी छूट नहीं मिलेगी। यदि उन्हें कार्यालय जाना है और मान लें कि किसी का वाहन ऑड नंबर का है तो वह ईवन नंबर वाले दिन अपनी कार नहीं ले जा सकेंगे। फिर चाहे वह किसी अन्य की मदद लें, सार्वजनिक वाहन का प्रयोग करें या पैदल जाएं, यह उन पर निर्भर करता है।

आम से लेकर खास तक की चिंता बराबर

ऐसा नहीं है कि यह चिंता सिर्फ आम नागरिकों की है, बल्कि शहर के प्रथम नागरिक महापौर सुनील उनियाल गामा, विधायकगणों व अन्य बुद्धिजीवियों की भी है। सभी का कहना है कि यह अभी प्रयोगभर है। इसे सोच-विचार के बाद लागू किया जाना चाहिए था। यदि आशंका के अनुरूप समस्या खड़ी होती है तो इसे तत्काल बंद भी कर दिया जाए। क्योंकि, शारीरिक दूरी के नियमों का पालन कराकर ही कोरोना संक्रमण से बचा जा सकता है। यह समय लोगों को एक-दूसरे के संपर्क में आने से बचाने का है।

बाजार, कार्यालय खुले तो ऑड-ईवन का क्या मतलब

एक तरफ कार्यालय खुले हैं और बाजार खोलने का दायरा भी बढ़ता जा रहा है और दूसरी तरफ शासन ने ऑड-ईवन के संचालन की व्यवस्था कर दी है। इससे सड़कों पर बेशक वाहनों की भीड़ कम दिखेगी, मगर जिस व्यक्ति को अपनी कार में सफर करना था, वह किसी न किसी ऐसे माध्यम से सफर करेगा, जिसमें दूसरे व्यक्ति के संपर्क में आने की आशंका बनी रहेगी। कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए यह जरूरी है कि हम बाहरी लोगों के संपर्क में न आएं। अब निजी कार्मिकों को कार्यालय जाना ही है तो वह ऐसे अन्य माध्यमों पर निर्भर रहेंगे।

महापौर सुनील उनियाल गामा का कहना है कि सभी लोग बिना किसी दूसरे के संपर्क में आए कार्यालय या बाजार आ-जा सकें, यही सबसे उपयुक्त रहेगा। ऑड-ईवन की व्यवस्था से लोगों की सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी। इस पर पुनर्विचार करने की जरूरत है। क्योंकि यहां सवाल सड़कों पर वाहनों की संख्या कम करने का नहीं, बल्कि लोगों की सुरक्षा का है।

धर्मपुर के विधायक विनोद चमोली ने कहा कि इस समय कोई भी प्लान पुख्ता नहीं माना जा सकता। संक्रमण की रोकथाम के प्रयोग चल रहे हैं। ऑड-ईवन की व्यवस्था भी एक प्रयोग है। यदि इसके परिणाम आशा के अनुरूप नहीं मिलते हैं तो ऑड-ईवन का फॉर्मूला वापस ले लेना चाहिए। क्योंकि इस समय यह जरूरी है कि किसी भी तरह शारीरिक दूरी का पालन कराया जा सके।

मसूरी विधायक गणेश जोशी का कहना है कि जितने अधिक लोग अपने चौपहिया वाहन में आवागमन करेंगे, वह उतने ही सुरक्षित रहेंगे। एक दिन के लिए यह प्रयोग किया जा रहा है तो ठीक है। क्योंकि, इसके विपरीत परिणाम मिलने पर इसे तुरंत बंद कर देना चाहिए। कोरोनाकाल में ऐसी कोई भी व्यवस्था न की जाए, जिससे सुरक्षा की जगह खतरा बढ़ जाए।

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दून रेजीडेंस वेलफेयर फ्रंट के अध्यक्ष डॉ. महेश भंडारी का कहना है कि ऑड-ईवन की व्यवस्था से एक आशंका यह है कि जिन लोगों को जरूरी काम से निकलना है, वह दूसरे विकल्पों पर निर्भर होने को विवश रहेंगे। ऐसे में वह किसी कोरोना संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में भी आ सकते हैं। इसलिए पहले हर पहलू पर विचार करना जरूरी है। प्रयोग के नाम पर कहीं जनता की सुरक्षा खतरे में न पड़ जाए।

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