लोकसभा चुनाव के बाद होंगे निकाय चुनाव !
उत्तराखंड में निकाय चुनाव अगले लोकसभा चुनाव के बाद ही हो सकते हैं। मौजूदा हालात भी इसी ओर इशारा कर रहे हैं।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: प्रदेश में निकाय चुनाव को लेकर अभी तक तस्वीर साफ नहीं हो पाई है। जैसी परिस्थितियां हैं, वह इसी तरफ इशारा कर रही हैं कि अगले साल लोकसभा चुनाव के बाद ही निकाय चुनाव हो सकते हैं। हालांकि, निकाय एक्ट में छह माह तक ही निकायों में प्रशासक बैठाने का प्रावधान है और इस लिहाज से प्रशासकों का कार्यकाल चार नवंबर को खत्म होना है। इसे देखते हुए कार्यकाल बढ़ाने के मद्देनजर विधिक राय लेने पर भी गहनता से मंथन चल रहा है।
राज्य के 92 नगर निकायों में से 84 के लिए पूर्व में सरकार ने तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया था। तब राज्य निर्वाचन आयोग व सरकार के मध्य चुनाव को लेकर करीब-करीब सहमति भी बन गई थी। सरकार के समक्ष उलझन तब आई, जब अदालत ने रुड़की नगर निगम को भी आरक्षण की प्रक्रिया में शामिल करने को कहा। इस पर सरकार माथापच्ची कर ही रही थी कि कोर्ट ने 39 नगर पालिका परिषदों से संबंधित अधिसूचना निरस्त कर दी। सरकार को तब फिर झटका लगा, जब प्रशासकों को निर्वाचित प्रतिनिधियों की देखरेख में ही कार्य करने के निर्देश कोर्ट ने दिए। इन मामलों को लेकर सरकार रिव्यू में गई है। कुछ मामलों में उसे राहत भी मिल गई।
इस बीच सरकार ने बाजपुर, श्रीनगर नगर पालिका से संबंधित मसले भी सुलझा लिए। साथ ही नगर निगम रुड़की के सीमा विस्तार को कवायद प्रारंभ की है। अब कोर्ट ने देहरादून नगर निगम के सीमा विस्तार की अधिसूचना निरस्त करने के भी आदेश दिए हैं। इससे सरकार की भी उलझन बढ़ी है। हालांकि, सरकार की ओर से पूरी तैयारियों का दावा करते हुए बरसात के बाद निकाय चुनाव कराने के संकेत दिए गए थे, लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में ऐसा संभव नजर नहीं आ रहा। अगर रुड़की नगर निगम को भी चुनाव की प्रक्रिया में शामिल किया गया तो इससे पहले सीमा विस्तार, आपत्तियां-सुनवाई, आरक्षण, वार्डों का आरक्षण जैसे कार्यों में कम से कम तीन माह का वक्त लगना तय है।
सूरतेहाल, बरसात बाद चुनाव होना असंभव है। यही नहीं, नगर निकायों में प्रशासकों का कार्यकाल चार नवंबर को खत्म होना है। निकाय एक्ट के अनुसार प्रशासक छह माह तक ही बैठाए जा सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक चुनाव आगे खिसकने के मद्देनजर प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ाने के संबंध में विधिक राय लेने पर मंथन चल रहा है। इस सबको देखते हुए माना जा रहा कि लोकसभा चुनाव के बाद ही निकाय चुनाव कराए जा सकते हैं। संभवत: यही वजह भी है कि पूर्व में सरकार ने निकाय चुनाव के लिए जिस प्रकार की तेजी दिखाई थी, उसकी रफ्तार अब मंद सी पड़ गई है।
यह भी पढ़ें: मानसून सत्र में खराब वित्तीय स्थिति को लेकर सरकार पर हमला बोलेगी कांग्रेस
यह भी पढ़ें: कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बढ़ती महंगार्इ के खिलाफ फूंका केंद्र सरकार का पुतला