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    Dehradun Crime News: देहरादून में हत्या के दोषी को उम्रकैद की सजा, पांच हजार रुपये का अर्थदंड भी

    देहरादून में अपर जिला जज चतुर्थ चंद्रमणि राय की अदालत ने हत्‍या के एक मामले में आरोपित को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। साथ ही दोषी पर पांच हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया। बता दें कि यह मामला दो मार्च 2018 का है।

    By Sunil NegiEdited By: Updated: Wed, 15 Sep 2021 09:53 AM (IST)
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    देहरादून में हत्या के दोषी को उम्रकैद की सजा।

    जागरण संवाददाता, देहरादून। हत्या के एक मामले में अपर जिला जज चतुर्थ चंद्रमणि राय की अदालत ने आरोपित को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है। दोषी पर पांच हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया गया है।शासकीय अधिवक्ता जेके जोशी ने बताया कि दो मार्च 2018 को हरिद्वार रेलवे स्टेशन पर एक ट्रेन के कोच में एक व्यक्ति का शव बरामद हुआ, जो खून से लथपथ था। मृतक की पहचान रमेश महतो उर्फ रामेश्वर निवासी ग्राम अमोहा मजार, बेतिया, पश्चिमी चंपारण (बिहार) के रूप में हुई थी।

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    पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि उसकी गला घोंटकर हत्या की गई। इस मामले में जीआरपी हरिद्वार ने मृतक के स्वजन की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की। सबसे पहले मृतक के मोबाइल की काल डिटेल खंगाली गई। उससे पता चला कि आखिरी काल इरशाद अहमद निवासी नजीबाबाद (उत्तर प्रदेश) के घर की गई थी। पुलिस ने इरशाद को हिरासत में लेकर सख्ती से पूछताछ की तो उसने रमेश की हत्या करना कबूल लिया।

    मोबाइल ने पहुंचाया सलाखों के पीछे

    रमेश ऋषिकेश में चंद्रभागा पुल के पास रहकर मजदूरी करता था। दो मार्च 2018 को होली थी, उसी रोज वह ऋषिकेश रेलवे स्टेशन से रायवाला के लिए हरिद्वार-ऋषिकेश पैसेंजर ट्रेन में सवार हुआ। उसी ट्रेन में सवार इरशाद ने उसकी हत्या कर मोबाइल समेत अन्य सामान लूट लिया। इसके बाद इरशाद ने रमेश के मोबाइल से अपने घर पर फोन किया, इसी काल ने उसे सलाखों के पीछे पहुंचा दिया। हत्या की घटना का पता तब चला, जब ट्रेन हरिद्वार पहुंची और जीआरपी ने ट्रेन की चेकिंग की। दूसरे दिन कुछ लोग रमेश की तलाश में हरिद्वार रेलवे स्टेशन पहुंचे और शव की पहचान की।

    जैकेट पर मिला बाल बना अहम सबूत

    शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि मोबाइल की काल डिटेल खंगालने के बाद पुलिस को सुराग मिले और इरशाद ने अपराध कबूल भी कर लिया, मगर अदालत में उसे दोषी साबित करने के लिए पुलिस के पास कोई पुख्ता सबूत नहीं था। ऐसे में मृतक के पास मिला जैकेट महत्वपूर्ण साबित हुआ। जैकेट में कुछ बाल चिपके थे। डीएनए टेस्ट में उक्त बाल इरशाद के होने की पुष्टि हुई। यही साक्ष्य इरशाद के दोषी होने का आधार बना। अभियोजन पक्ष से 20 गवाह पेश हुए।

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