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एमसी-ईएमई तक में बजा देहरादून का डंका, पासआउट होने वाले 28 कैडेट में तीन उत्तराखंड से

मिलिट्री कालेज ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियरिंग सिकंदराबाद (तेलंगाना) की पासिंग आउट परेड में भी राज्य का दबदबा बरकरार रहा। यहां से पासआउट होने वाले 28 कैडेट में तीन उत्तराखंड से हैं। इनमें दून निवासी लेफ्टिनेंट दिव्यांश जोशी मनुज चमोली व शेखर सती शामिल हैं।

By Sumit KumarEdited By: Published: Sun, 13 Jun 2021 11:15 AM (IST)Updated: Sun, 13 Jun 2021 11:15 AM (IST)
एमसी-ईएमई तक में बजा देहरादून का डंका, पासआउट होने वाले 28 कैडेट में तीन उत्तराखंड से
लेफ्टिनेंट दिव्यांश जोशी, मनुज चमोली व शेखर सती भारतीय सेना की ईएमई ब्रांच में अधिकारी (लेफ्टिनेंट) बने हैं।

जागरण संवाददाता, देहरादून: मिलिट्री कालेज ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियरिंग, सिकंदराबाद (तेलंगाना) की पासिंग आउट परेड में भी राज्य का दबदबा बरकरार रहा। यहां से पासआउट होने वाले 28 कैडेट में तीन उत्तराखंड से हैं।  इनमें दून निवासी लेफ्टिनेंट दिव्यांश जोशी, मनुज चमोली व शेखर सती शामिल हैं। यह लोग भारतीय सेना की ईएमई ब्रांच में अधिकारी (लेफ्टिनेंट) बने हैं।

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दिव्यांश के पिता भुवन चंद्र जोशी उत्तराखंड शासन में प्रथम श्रेणी अधिकारी हैं और वर्तमान में प्रमुख निजी सचिव के पद पर कार्यरत हैं, जबकि उनकी मां अनीता जोशी गृहणी हैं। दिव्यांश की दो बड़ी बहनें व दोनों बहनोई भी इंजीनियर हैं। दिव्यांश ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा दून इंटरनेशनल स्कूल से पूरी की। सेना में जाने की लगन के चलते उन्होंने बिना किसी ट्रेनिंग एवं कोचिंग के अपनी मेहनत के बल पर यह सफलता प्राप्त की। वहीं क्लेमेनटाउन निवासी लेफ्टिनेंट मनुज चमोली के पिता प्रमोद कुमार वायुसेना से सेवानिवृत्त हैैं। जबकि उनकी बहन हिमानी मेजर हैैं। लेफ्टिनेंट शेखर सती यहां जीएमएस रोड के रहने वाले हैं। उनके पिता गिरीश चंद्र सती डीआरडीओ, जबकि मां पुष्पलता बैैंक कर्मी हैं। शेखर की एक बहन भी हैं, जो साफ्टवेयर इंजीनियर हैं।

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आइएमए पासिंग आउट परेड से पहले टेंट पर गिरा पेड़

 भारतीय सैन्य अकादमी में शनिवार को पासिंग आउट परेड का आयोजन किया जाना था। इसकी शुरुआत सुबह छह बजे होनी थी, लेकिन पांच बजे के करीब यहां परिसर के बाहर सड़क किनारे लगा विशालकाय पेड़ टूटकर भीतर की ओर गिर गया। पेड़ सीधा टेंट के ऊपर गिरा, जहां दर्शकों के बैठने की व्यवस्था की गई थी। इससे आइएमए की दीवार को भी खासा नुकसान पहुंचा। पेड़ को काटकर हटाने में करीब दो घंटे लगे। जिसके चलते आइएमए में परेड का कार्यक्रम छह बजे की बजाय आठ बजे शुरू हुआ। गनीमत रही कि आयोजन शुरू होने के बाद यह घटना नहीं हुई।

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