Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मैती आंदोलन के प्रणेता को मिला पर्यावरण संरक्षण का ईनाम

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Mon, 27 Jan 2020 03:22 PM (IST)

    कल्याण सिंह रावत ने मैती आंदोलन की शुरुआत चमोली के ग्वालदम कस्बे से की थी। इस आंदोलन से प्रभावित व्यक्ति विवाह के बंधन में बंधते समय एक पौधा अवश्य रोपते हैं।

    Hero Image
    मैती आंदोलन के प्रणेता को मिला पर्यावरण संरक्षण का ईनाम

    देहरादून, जेएनएन। मैती आंदोलन उत्तराखंड में एक स्वस्फूर्त आंदोलन बन चुका है। इस आंदोलन से प्रभावित व्यक्ति विवाह के बंधन में बंधते समय एक पौधा अवश्य रोपते हैं। इस तरह पांच लाख से अधिक विवाहित जोड़े अब तक मैती आंदोलन का हिस्सा बन चुके हैं। इसका श्रेय इस आंदोलन के प्रणेता जीव विज्ञान के रिटायर्ड प्रवक्ता कल्याण सिंह रावत को जाता है। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मूल रूप से चमोली जिले के कर्णप्रयाग ब्लॉक निवासी व वर्तमान में देहरादून के नथुवावाला में रह रहे कल्याण सिंह रावत ने मैती आंदोलन की शुरुआत चमोली के ग्वालदम कस्बे से वर्ष 1995 में की थी। तब वह वहां जीव विज्ञान के शिक्षक थे। अपने छात्र जीवन में चिपको की प्रारंभिक गतिविधियों का स्पर्श पाने वाले कल्याण सिंह रावत शुरुआत से ही पर्यावरण के प्रति चिंतित रहते थे।

    ग्वालदम में ही तैनाती के समय उनके मन में विवाह समारोह में पौधे रोपने का अभियान शुरू करने का विचार आया। ग्वालदम में ही एक मित्र और एक जलपान गृह के संचालक के साथ उन्होंने मिठाई के डिब्बों पर मैती आंदोलन का संदेश प्रकाशित करना शुरू किया। धीरे-धीरे यह मुहिम जोर पकड़ने लगी और कल्याण सिंह स्वयं भी साथियों के साथ पौधे लगवाने किसी भी विवाह समारोह में पहुंच जाते।

    लोगों की चेतना जागने लगी और यह यह स्वस्फूर्त आंदोलन में तब्दील हो गया। कल्याण सिंह रावत के ही प्रयास से कर्णप्रयाग ब्लॉक में पांच-पांच हेक्टेयर के बांज के दो हरे-भरे वन भी विकसित किए जा चुके हैं। कल्याण सिंह रावत इस सम्मान को लोगों का सम्मान बताते हैं। उनका कहना है कि वह मैती आंदोलन को नई दिशा देने का काम करेंगे, ताकि उनके बाद भी यह रीत चलती रहे। 

    यह भी पढ़ें: ग्रामीण क्षेत्रों की तस्वीर संवारने में जुटे हैं डॉ. अनिल प्रकाश जोशी

    • रिटायर्ड प्रवक्ता कल्याण सिंह रावत को मिलेगा पद्मश्री, अब तक लगवा चुके पांच लाख से अधिक पौधे।
    • छात्र जीवन में चिपको आंदोलन से मिली पर्यावरण बचाने की सीख अब शादी समारोह में नवविवाहित जोड़े रोपते हैं पौधे।

    यह भी पढ़ें: बेटे के सपने को साकार करने के लिए पिता ने छोड़ी हाईकोर्ट में सेक्शन ऑफिसर की नौकरी