Dog Attack: सिस्टम की ढिलाई से मिला खूंखार कुत्तों की गुर्राहट को बल, आमजन की जान पर बन आई बात
राटवीलर पिटबुल अमेरिकन बुली जैसी प्रजातियां शहर के पाश इलाकों से लेकर स्लम बस्तियों तक में पाली जा रही हैं। इन कुत्तों के कारण बीते दो वर्षों में करीब दर्जनभर हमले दर्ज हुए जिनमें महिलाएं बच्चे और बुजुर्ग बुरी तरह घायल हुए। लेकिन निगम की ओर से न तो कोई सघन सर्वे हुआ न ही प्रतिबंधित नस्लों की गणना।

विजय जोशी, जागरण देहरादून। दून की गलियों और मोहल्लों में खुलेआम खूंखार प्रजाति के कुत्ते घूमते मिल जाएंगे। बिना पट्टे, बिना पंजीकरण और कई बार बिना नियंत्रण के। जबकि इनके पालने पर न केवल सख्त पाबंदी है, बल्कि नियमों के उल्लंघन पर कार्रवाई के स्पष्ट निर्देश भी शासन और नगर निगम की उपविधि में दर्ज हैं।
लेकिन, हकीकत यह है कि नियम-कायदे ''''धूल फांक रही फाइलों'''' का हिस्सा बनकर रह गए हैं। सिस्टम की ढिलाई का ही नतीजा है कि शहर में प्रतिबंधित कुत्तों की गुर्राहट तेजी से बढ़ती रही। खतरनाक कुत्तों को पालने का चलन बढ़ा और आमजन की जान पर बन आई।
नगर निगम की हीलाहवाली और शासन की ढीली गाइडलाइन के कारण स्थिति यह है कि देहरादून जैसे संवेदनशील शहर में लोग खतरनाक नस्लों के कुत्ते पाल रहे हैं और उनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही। जब तक जिम्मेदार तंत्र सक्रिय नहीं होगा, ये खूंखार जबड़े सिर्फ बेजुबानों को ही नहीं, आम नागरिकों की जान को भी खतरे में डालते रहेंगे।
अब जब नियम सामने हैं, तो यह नगर निगम की ज़िम्मेदारी है कि हर वार्ड में रजिस्ट्रेशन की आडिट सूची बनाई जाए। एक कुत्ता एक पंजीकरण की नीति सख्ती से लागू हो। लोगों को जागरूक करने के साथ-साथ दोषियों पर कठोर कार्रवाई हो।
यह हैं नियम
- पंजीकरण अनिवार्य: सभी कुत्तों का वार्षिक पंजीकरण (200 रुपये फीस) जरूरी।
- रैबीज वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट जरूरी।
- प्रतिबंधित नस्लों पर अतिरिक्त एनओसी व निगरानी अनिवार्य।
- कुत्ते को गले में टोकन पहनाना जरूरी, बिना टोकन मिलने पर जब्ती संभव।
- सार्वजनिक स्थलों पर लीश व मुंहबंद जरूरी, मल-मूत्र पर जुर्माना पांच हजार तक।
जमीनी हकीकत
- प्रतिबंधित नस्लों की पहचान को कोई सूची नहीं बनाई गई- पंजीकरण अभियान न के बराबर प्रचार, प्रक्रिया जटिल
- अवैध पालन पर कार्रवाई सिर्फ नोटिस या प्रतीकात्मक चालान
- स्वास्थ्य प्रमाणपत्र की जांच कोई वैरिफिकेशन नहीं होता
- जब्ती या चेतावनी पर कभी अमल नहीं हुआ
नगर निगम में सभी प्रकार के कुत्तों का पंजीकरण अनिवार्य है। विभिन्न औपचारिकताएं कर निगम से लाइसेंस प्रदान किया जाता है। मानकों का उल्लंघन करने पर उपविधि में किए गए प्रविधानों के आधार पर कार्रवाई की जाती है। शहर में अलग-अलग जोन में अभियान चलाकर रैंडम चेकिंग की जा रही है। प्रतिबंधित प्रजाति के कुत्ते पालने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
-नमामी बंसल, नगर आयुक्त
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