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इन पांच दिनों में सूरज उगलेगा आग, मसूरी-दून में भी नहीं होगी राहत

उत्तराखंड में मार्च के अंतिम सप्ताह में सूरज आग उगल सकता है। इस बार पारे में तीन से चार डिग्री का उछाल है। जिससे लोगों को भीषण गर्मी का सामना करना पड़ सकता है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Mon, 26 Mar 2018 08:14 PM (IST)Updated: Sat, 31 Mar 2018 05:09 PM (IST)
इन पांच दिनों में सूरज उगलेगा आग, मसूरी-दून में भी नहीं होगी राहत

देहरादून, [अशोक केडियाल]: उत्तराखंड में पारा बेचैनी बढ़ाने लगेगा। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार इसके संकेत मिलने लगे हैं। मसूरी और नैनीताल जैसे शहर भी इससे अछूते नहीं रहेंगे। मार्च के अंतिम सप्ताह में पारा चार से छह डिग्री का उछाल ले सकता है। वैज्ञानिकों के अनुसार गर्मी की मार पहाड़ से लेकर मैदानों तक पड़ेगी। इसका मुख्य कारण कम बारिश का होना है। इस साल जनवरी से मार्च तक उत्तराखंड में बारिश से सामान्य से 66 फीसद कम रही है। 

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इस बार मार्च में भी पारा कुलांचे भरने लगा है। पिछले वर्ष मार्च के अंतिम सप्ताह से तुलना करें इस बार पारे में तीन से चार डिग्री का उछाल है। देहरादून स्थित मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह के अनुसार तापमान में यह बढ़ोतरी केवल मैदानी क्षेत्रों में ही नहीं, बल्कि अल्मोड़ा, काशीपुर, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग समेत टिहरी, श्रीनगर, हल्द्वानी, उधम सिंह नगर, हरिद्वार और देहरादून में होगी। उन्होंने बताया कि मार्च में अधिकतम तापमान 37 डिग्री तक पहुंचने के आसार हैं। 

कम बारिश बनी मुसीबत का सबब 

राज्य मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह ने कहा कि पारे में आए उछाल के पीछे मुख्य कारण बारिश की कमी है। उन्होंने बताया कि पर्याप्त बारिश न होने से मार्च में सामान्य तापमान बढऩा शुरू हो गया। दरअसल, सामान्य तौर पर जनवरी से मार्च प्रदेश में 106.1 मिमी बारिश होनी चाहिए, लेकिन इस अवधि में महज 34.7 मिमी बारिश ही रिकार्ड की गई। मौसम केंद्र के अनुसार अगले एक सप्ताह तक उत्तराखंड का मौसम शुष्क रहेगा जिसके कारण भी पहाड़ों से लेकर मैदानों तक तापमान में बढ़ोतरी हो सकती है। तीन अप्रैल के बाद मौसम बदलने की संभावना है जिससे बढ़े तापमान में कमी आ सकती है। 

फसलों पर ज्यादा असर नहीं 

कृषि निदेशक गौरीशंकर के अनुसार बढ़ते पारे का फिलहाल कृषि पर खास असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड के अधिकतर इलाकों में इस समय गेंहू की कटाई शुरू हो गई है। ऐसे समय बारिश एवं ओलावृष्टि फसलों के लिए नुकसानदायक होती है। मौसम शुष्क रहने एवं तापमान बढऩे से फसलों पर कोई विशेष प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। अन्य नकदी फसलों एवं सब्जियों के लिए बढ़े तापमान से नुकसान जैसी कोई स्थिति पैदा नहीं हो सकती है। 

वर्ष 2017      अधिकतम तापमान   

20 मार्च         29.7   

21 मार्च         29.1   

22 मार्च         30.2 

23 मार्च         29.8 

24 मार्च         29.7 

25 मार्च         30.3 

26 मार्च         30.2 

वर्ष 2018 

20 मार्च         33.2 

21 मार्च         31.7 

22 मार्च         30.2 

23 मार्च         31.2 

24 मार्च         30.3 

25 मार्च         30.8 

26 मार्च         31.7 

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