उत्तराखंड के संरक्षित क्षेत्रों में दो हजार हेक्टेयर क्षेत्र से हटेगा लैंटाना, विकसित होंगे घास के मैदान
लैंटाना की झाड़ियों के फैलाव से उत्तराखंड के संरक्षित क्षेत्र बेहाल हैं। अब इसके उन्मूलन की कड़ी में 12 संरक्षित क्षेत्रों में दो हजार हेक्टेयर क्षेत्र को लैंटाना मुक्त किया जाएगा।
देहरादून, केदार दत्त। पारिस्थितिकीय तंत्र के लिए खतरनाक साबित हो रही कुर्री (लैंटाना कमारा) की झाड़ियों के फैलाव से उत्तराखंड के संरक्षित क्षेत्र भी बेहाल हैं। कॉर्बेट-राजाजी टाइगर रिजर्व से लेकर उच्च हिमालयी क्षेत्र तक यह फैल चुकी है। अब इसके उन्मूलन की कड़ी में राज्य के 12 संरक्षित क्षेत्रों में दो हजार हेक्टेयर क्षेत्र को इस साल लैंटाना मुक्त किया जाएगा। क्षतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन और योजना प्राधिकरण (कैंपा) ने इसके लिए तीन करोड़ की राशि मंजूर की है। पहली किश्त के रूप में डेढ़ करोड़ अवमुक्त किए गए हैं। जिन इलाकों से लैंटाना हटाया जाएगा, उन्हें घास मैदानों के रूप में विकसित किया जाएगा।
दरअसल, लैंटाना के अपने इर्द-गिर्द दूसरी वनस्पतियों को न पनपने देने के गुण और वर्षभर खिलते रहने से इसके निरंतर फैलाव ने पारिस्थितिकी के लिए खतरे की घंटी बजाई है। प्रदेश का शायद ही कोई क्षेत्र ऐसा होगा, जहां लैंटाना ने दस्तक न दी हो। कॉर्बेट और राजाजी टाइगर रिजर्व में तो घास के मैदानों में लैंटाना का कब्जा है। इससे बाघ, गुलदार जैसे जानवरों के शिकार के अड्डों में कमी आई है। उच्च हिमालयी क्षेत्र के नंदादेवी और गंगोत्री नेशनल पार्कों के अलावा केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग, गोविंद वन्यजीव अभयारण्य जैसे संरक्षित क्षेत्रों में भी लैंटाना पहुंच चुका है।
संरक्षित क्षेत्रों में लैंटाना के फैलाव को रोकने के लिए कैंपा ने संबल प्रदान किया है। राज्य के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक राजीव भरतरी बताते हैं कि संरक्षित क्षेत्रों के दो हजार हेक्टेयर क्षेत्र को इस वर्ष लैंटानामुक्त करने को कैंपा से तीन करोड़ की राशि स्वीकृत हुई है। इसके मद्देनजर 12 संरक्षित क्षेत्रों का प्लान बनाया गया है। कॉर्बेट, राजाजी में सर्वाधिक 1395 हेक्टेयर क्षेत्र से लैंटाना हटाई जाएगी।
विकसित होंगे घास के मैदान
मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक भरतरी के अनुसार जिस क्षेत्र से लैंटाना हटाया जाएगा, वहां घास की प्रजातियां रोपित कर उन्हें घास मैदान बनाया जाएगा। वरिष्ठ आइएफएस और घास विशेषज्ञ मनोज चंद्रन को इसकी निगरानी का जिम्मा सौंपा गया है। घास के लिए कॉर्बेट में छह, राजाजी में तीन, रामनगर में एक नर्सरी तैयार हो रही है। लैंटाना उन्मूलन की थर्ड पॉटी मॉनीटरिंग भी होगी। लैंटाना हटाने को 'कट रूट तकनीक' अपनाई जाएगी। इसमें लैंटाना की झाड़ियों को जड़ से काटकर उल्टा रखा जाता जाता है।
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कहां कितना होगा लैंटाना उन्मूलन
संरक्षित क्षेत्र, क्षेत्रफल (हे.में)
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व, 530
राजाजी टाइगर रिजर्व, 530
कालागढ़ टाइगर रिजर्व, 335
केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग, 150
पवलगढ़ कंजर्वेशन रिजर्व, 130
नंदादेवी नेशनल पार्क, 100
नंधौर अभयारण्य, 100
गंगोत्री नेशनल पार्क, 50
झिलमिल कंजर्वेशन रिजर्व, 50
मसूरी अभयारण्य, 40
गोविंद अभयारण्य, 10
आसन कंजर्वेशन रिजर्व, 10
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